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नैनीताल, एक जुलाई (भाषा) पिछले सप्ताह कोरोना की दवा के तौर पर लांच की गयी कोरोनिल के बारे में पतंजलि आयुर्वेद के दावों का गंभीर संज्ञान लेते हुए उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बुधवार को रामदेव की कंपनी, राज्य सरकार, केंद्र सरकार तथा कुछ अन्य संस्थाओं को नोटिस जारी किए और उनसे इस मामले में एक सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा। दवाई के बारे में रामदेव के दावे को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन तथा न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने राज्य सरकार, केंद्र सरकार, पतंजलि, आयुष उत्तराखंड के निदेशक, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और पतंजलि के दावे के अनुसार दवाई का परीक्षण करने वाले राजस्थान के निम्स विश्वविद्यालय को नोटिस जारी किए। अदालत ने सभी संस्थाओं को अपने जवाब एक सप्ताह के भीतर दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। अधिवक्ता मणिकुमार द्वारा दायर जनहित याचिका में रामदेव पर कोरोना की दवा के रूप में कोरोनिल लांच कर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए दवाई पर प्रतिबंध लगाने की प्रार्थना की गयी है। याचिका में कहा गया है कि दवाई को आईसीएमआर से कोई प्रमाणिकता नहीं मिली है और न ही पतंजलि आयुर्वेद के पास इसे बनाने का कोई लाइसेंस है। याचिका में कहा गया है कि पतंजलि का दावा है कि दवाई का राजस्थान के निम्स विश्वविद्यालय में परीक्षण किया गया है जबकि निम्स ने इसका खंडन किया है।
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