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देहरादून के बढ़ते खौफ की चपेट में अब के उद्योग समेत जीवन रक्षक दवाओं का उद्योग भी आता दिख रहा है। उत्तराखंड की दवा उत्पादन कंपनियां 70 फीसदी दवाओं के प्रॉडक्शन के लिए चीन पर निर्भर हैं। माउंटेनियरिंग और ट्रेकिंग क्षेत्र में व्यवसाय करने वाली कंपनियों का दावा है कि कई विदेशी सैलानियों ने उत्तरकाशी के लिए आगामी ट्रेकिंग की अडवांस बुकिंग रद्द करा दी है। कोरोना वायरस से भयभीत पर्यटकों ने उत्तराखंड आने का फैसला टालना शुरू कर दिया है। राज्य सरकार की ओर से कार्बेट पार्क के समीपवर्ती रामनगर के ढिकुली में होने वाली अन्तरराष्ट्रीय स्तर की अडवेंचर समिट को भी कोरोना वायरस के बढंते खौफ के चलते निरस्त कर दिया गया है। यह तीन दिवसीय समिट ढिकुली के एक रिजॉर्ट में बीस मार्च से प्रस्तावित थी। समिट का मुख्य उद्देश्य कार्बेट नेशनल पार्क में पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ साहसिक पर्यटन की संभावनाएं तलाशना था। होटल असोसिएशन के अध्यक्ष हरिसिंह मान ने बताया कि ढिकुली में राज्य सरकार की ओर से प्रस्तावित इस समिट में 20 देशों के 900 प्रतिनिधियों को शामिल होना था। समिट में कुमाऊं मण्डल विकास निगम, पर्यटन विभाग, होटल असोसिएशन के अलावा राज्य सरकार के प्रतिनिधियों को भी हिस्सा लेना था। अडवेंचर टूरिजम की सम्भावनाएं तलाशने के लिए आयोजित होने वाली इस समिट को देश में कोरोना वायरस के चलते बने माहौल को देखते हुए सुरक्षा के लिहाज से निरस्त कर दिया गया है। समिट की अगली तिथि राज्य सरकार की ओर से जल्द ही घोषित की जायेगी। राज्य की दवा उत्पादन कंपनियां 70 फीसद दवाओं के प्रॉडक्शन के लिए चीन पर निर्भर हैं। उत्तराखंड में एंटीबायोटिक और विटामिन जैसी दवाओं का निर्माण चीन से आयातित ऐक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रीडिएंट पर ही निर्भर है। इससे बीपी, शुगर, हार्ट, कैंसर समेत जीवनरक्षक दवाओं की बाजार में किल्लत हो सकती है। उत्तराखंड में कार्यरत 350 से ज्यादा दवा प्रॉडक्शन कंपनियां हरिद्वार, देहरादून और ऊधमसिंह नगर में हैं।
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