सोमवार, 2 मार्च 2020

अदालत का देहरादून के डीएम को पशुओं के वध वाले स्थानों का निरीक्षण कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश

देहरादून, दो मार्च (भाषा) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सोमवार को देहरादून के जिलाधिकारी (डीएम) से अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले उन सभी स्थानों का निरीक्षण करने के निर्देश दिये जहां पशुओं का वध किया जा रहा है। न्यायालय ने जिलाधिकारी को अदालत को यह रिपोर्ट देने को भी कहा है कि इन स्थानों पर पशुओं का वध करने के लिए उनके पास वन और पर्यावरण मंत्रालय का अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) है या नहीं। मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने यह आदेश उत्तराखंड में कोई वैध बूचड़खान नहीं होने के मद्देनजर चिकन और मछली सहित जिंदा जानवरों के प्रदेश में आयात को प्रतिबंधित किये जाने के अनुरोध वाली एक जनहित याचिका पर दिया। खंडपीठ ने देहरादून के जिलाधिकारी को इस मामले की सुनवाई की अगली तारीख 16 मार्च तक इस संबंध में अपनी रिपोर्ट सौंपने का भी निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता के वकील कार्तिकेय हरि गुप्ता ने बताया कि अदालत ने जिलाधिकारी को यह बताने को भी कहा है कि क्या पशुओं के वध वाले स्थानों पर प्रतिदिन 500 किलोलीटर पानी भी छोड़ा जा रहा है। गुप्ता ने अदालत को यह भी बताया कि दून घाटी में कोई भी वैध रूप से प्रमाणित बूचड़खाना नहीं है। भारत सरकार ने 1989 और 2020 में एक अधिसूचना जारी की है जिसके अनुसार दून घाटी में पर्यावरण और वन मंत्रालय से अनापत्ति प्रमाणपत्र लिए बिना कोई बूचड़खाना नहीं खोला जा सकता।


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