हरिद्वार के संक्रमण को रोकने के लिए हुए में अचानक ठप हुई जिंदगी की वजह से देहरादून में मजदूरी करने वाले मूरत को खाने के लाले पड़ गए। वह 800 किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश के रायबरेली स्थित अपने घर के लिए साइकल लेकर निकल पड़े हैं। अपने 8 अन्य सदस्यों के साथ निकले मूरत अभी हरिद्वार पहुंचे हैं और 700 किलोमीटर का उनका सफर अभी बाकी है। मूरत लाल ने बताया, 'हमने पिछले दो दिनों में केवल एक बार ही कुछ खाया है। हम रोज कमाकर खाने वाले लोग हैं। हम सभी 8 लोगों के पास मिलाकर 2 हजार रुपये ही हैं। अगर रास्ते में रोका नहीं जाता है तो हमें घर पहुंचने में शायद 5 दिन और लगें। लेकिन अब हम वापस नहीं जा सकते हैं। देहरादून में हमारे लिए कुछ भी नहीं बचा है।' पढ़ें: रोज कमाने खाने वालों की आफत 30 साल के मूरत लाल सहित आठों मजदूर देहरादून में प्लंबर, इलेक्ट्रिशन, कारपेंटिंग का काम करते हैं। सभी ने बुधवार की रात तक 90 किलोमीटर का सफर तय कर लिया था और हरिद्वार के लकसर तक पहुंचे हैं। इसी तरह मेरठ में लेबर का काम करने वाले अंकित कुमार पूरी रात करीब 10 घंटे का सफर तय कर 135 किलोमीटर दूर सहारनपुर अपने घर पहुंचे। बच्चे को खिलाने के लिए कुछ नहीं, कैसे रहूं? इसी तरह रुद्रपुर में रहने वाले मदन अपने 5 महीने के बच्चे के साथ बरेली अपने घर जाने के लिए निकले लेकिन पुलिस ने बीच रास्ते से ही उन्हें लौटा दिया। उन्होंने बताया, 'पिछले 5 दिनों से मेरे पास पैसा नहीं है क्योंकि कोई काम नहीं मिला। मेरे पास बीवी-बच्चे को खिलाने के लिए कुछ भी नहीं है।' इसी तरह कुछ लोग दूध के खाली टैंकरों में बैठकर नजीबाबाद पहुंचे। पढ़ें: वैसे तो यह पलायन चार-पांच दिन पहले से ही शुरू हो गया था, लेकिन मंगलवार की रात जब प्रधानमंत्री ने पूरे देश में 21 दिनों के कंप्लीट लॉकडाउन की घोषणा की, तो उसके बाद इन लोगों की उम्मीद ही टूट गई। मंगलवार रात से ही बड़ी तादाद में लोग अपना बिस्तर बांधकर यूपी, बिहार, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब में स्थित अपने घरों के लिए निकल पड़े। ऐसे लोगों का कहना था कि अगर यहां रहे, तो कोरोना से पहले भूख से मर जाएंगे। अभी निकलेंगे, तो कम से कम जिंदा अपने गांव तक तो पहुंच जाएंगे। जब हालात सुधर जाएंगे, तो वापस आ जाएंगे।
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