गुरुवार, 9 दिसंबर 2021

Bipin Rawat News: ननिहाल और पैत्रिक गांव से था खासा लगाव, दो साल पहले परिवार के साथ नानी घर आए थे जनरल बिपिन रावत

ओम प्रकाश भट्‌ट, चमोली सीडीएस बिपिन रावत को पहाड़ों से प्रेम था। बचपन से ही वे अपने पैत्रिक गांव सैण और नानिहाल थाती पहुंच जाते थे। सेना में बड़ा मुकाम हासिल करने के बाद भी उनकी यह आदत नहीं बदली। वे पहाड़ों में अपने बचपन की स्मृतियों को ताजा करने पहुंच जाते थे। सेना में भी उन्हें पहाड़ों के उच्च सैन्य क्षेत्रों में काम करने के लिए जाना जाता था। यह उनके पहाड़ों से प्रेम का ही परिणाम था। आज जब सीडीएस रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत और 11 अन्य अफसरों के हेलिकॉप्टर क्रैश की सूचना आई है तो मानों ये पहाड़ भी अपने साथी की याद में उदास हो गए हैं। पैत्रिक गांव से लेकर ननिहाल तक में हर चेहरे पर उदासी दिख रही है। आखिर एक वीर सैनिक को ऐसी दुर्घटना का शिकार तो नहीं होना था। जनरल रावत सीमाओं पर स्थिति सेना की अग्रिम चौकियों पर भी जाने से नहीं हिचकते थे और चार धाम के नाम से विख्यात बदरीनाथ धाम, केदारनाथ धाम, यमुनोत्री धाम और गंगोत्री धाम भी अक्सर पहुंच जाया करते थे। सैन्य प्रमुख के रूप में आए थे गांव जनरल बिपिन रावत अपने थल सेनाध्यक्ष के कार्यकाल के दौरान अपने पैत्रिक गांव सैण आए थे। उनके गांव के अधिकतर लोग नौकरी के लिए पलायन कर चुके हैं। वहां कुछ ही परिवार रह गए हैं। जनरल रावत पौड़ी गढ़वाल के द्वारीखाल विकास खंड के सैण गांव के मूल निवासी थे। वहीं, उनकी मां का गांव उत्तरकाशी जिले की धनारी पट्टी का थाती गांव है। सीडीएस बिपिन रावत बतौर सेनाध्यक्ष नवंबर 2019 में अपने परिवार सहित ननिहाल थाती गांव में अपने ममेरे भाई से मिलने आये थे। पिता थे लेफ्टिनेंट जनरल जनरल बिपिन रावत को बचपन से ही फौज का अनुभव मिला था। उनके पिता लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत थे। उनकी माता का नाम सुशीला देवी था। उनका जन्म पौड़ी गढ़वाल के द्वारीखाल के सैण गांव में हुआ था। उनकी माता सुशीला देवी का मायका तत्कालीन टिहरी की धनारी पट्टी में था। उनके नाना सूरत सिंह परमार के छोटे भाई ठाकुर किशन सिंह संयुक्त उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेताओं में थे। वे संविधान सभा के भी सदस्य रहे। ठाकुर किशन सिंह टिहरी प्रजामंडल सरकार में शिक्षा मंत्री रहे। उसके बाद स्वतंत्र भारत में मनोनीत सांसद रहे। वर्ष 1962, वर्ष 1967 और वर्ष 1969 में उत्तरकाशी विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए। वर्ष 1969- 70 में उत्तर प्रदेश सरकार में वन राज्य मंत्री भी रहे। ठाकुर साहब ने भारत सरकार से उत्तरकाशी में नेहरू पर्वतारोहण संस्थान की स्थापना करवाई। वह देहरादून बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे। मां सुशीला देवी की पढ़ाई किशन सिंह जी के देख रेख में देहरादून में हुई थी। हर्षिल में भी जनरल रावत ने दी थी सेवा जनरल बिपिन रावत हर्षिल, नेलांग में भी सेवारत रहे थे। बतौर आर्मी चीफ वह दो बार हर्षिल में रहे थे। उन्होंने नेलांग और हर्षिल के पुराने दिनों को याद किया था। नवम्बर 2019 को हर्षिल से अपने मामा के गांव गए थे। वहां वह अपने भाई, भाभी, उनके बच्चों और गांव के लोगों के साथ बड़ी श्रद्धा और प्यार के साथ मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने वह घर भी देखा था, जहां वे बचपन में अपनी मां के साथ आया करते थे। रहा करते थे। जनरल रावत की मां एमकेपी कालेज में पढ़ती थी। जब छुट्टियां होती थी, तब वह धनारी पट्टी जाती थी। जनरल विपिन रावत के नाना ठाकुर किशन सिंह की न्यू रोड देहरादून में कोठी थी। वहां भी जनरल बिपिन रावत काफी समय तक रहे। उस कोठी में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू बैडमिंटन खेलने आया करते थे। अंग्रेज अधिकारियों ने उन्हें यह छूट दे रखी थी। वे पास के ही देहरादून जेल में करीब 300 दिन तक बंद थे।


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