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इस मौके पर काशी ने कहा, ‘‘उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य में दो राजधानियां रखने का कोई औचित्य नहीं है। यह ब्रिटिश युग की अवधारणा है और करदाताओं के धन की बर्बादी है।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि गैरसैंण को स्थायी राजधानी का दर्जा नहीं दिया जाना पहाड़ के खिलाफ राजनीति का परिणाम है ।
गैरसैंण को पिछले साल मार्च में राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया गया था ।
काशी ने कहा कि जब तक सरकार गैरसैंण में नहीं बैठेगी, तबतक वह पहाड के लिए कृषि और औद्योगिक नीति नहीं बना पाएगी जिसके अभाव में पहाड से पलायन नहीं रूक रहा है ।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के निर्माण से अब तक पहाड से 35 लाख लोग पलायन कर चुके हैं और 400 गांव भुतहा गांवों में तब्दील हो गए हैं ।
काशी ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य विधानसभा के हाल में संपन्न शीतकालीन सत्र के दौरान कांग्रेस ने भी गैरसैंण का मुददा नहीं उठाया ।
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