के चंपावत () में दलित भोजनमाता () को हटाए जाने के बाद विवाद गहराता जा रहा है। मुख्यमंत्री के आदेश पर हरकत में आए अधिकारियों ने यूं तो विवाद के निपटारे का दावा किया था। मगर अब इसी स्कूल के दलित विद्यार्थियों ने ऊंची जाति की कुक का बनाया खाना खाने से इनकार कर दिया है। पहले दलित महिला को भोजनमाता नियुक्त करने के बाद सवर्ण छात्र-छात्राओं ने भोजन करने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद उसे हटा दिया गया था। यहीं से विवाद की जड़ पड़ी थी। मामले में उत्तराखंड अनुसूचित जाति आयोग ने भी नाराजगी जताई है। ऐसे में सवाल उठता है कि मासूमों में यह जहर घोल कौन रहा है? बच्चों के मन में कौन भर रहा दलित-सवर्ण का जहर?जिले के सुखीढांग स्थित राजकीय इंटर कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चे नाबालिग हैं। जिस उम्र के पड़ाव पर ये बच्चे हैं, उसमें ऊंची-नीची जाति, राजनीति, छुआछूत आमतौर पर नहीं देखा जाता। हालांकि चंपावत विवाद के बाद यह सवाल उठ रहा है कि आखिर इन बच्चों के मन में दलित-सवर्ण जैसा यह जहर भर कौन रहा है? प्रशासन की लाख कोशिशों के बावजूद विवाद शांत नहीं हो रहा है। मामले में बच्चों के पैरंट्स ने भी दलित भोजनमाता की नियुक्ति को नियमों के खिलाफ बताया था। अधिकारियों ने साथ बैठकर खाया खाना, विवाद सुलझने का था दावासोमवार को जिले के मुख्य शिक्षा अधिकारी आरसी पुरोहित ने स्कूल के सभी दलित और सवर्ण बच्चों के साथ बैठकर भोजन माता विमला उप्रेती के हाथों से बना भोजन ग्रहण किया था। इस दौरान कक्षा 6 से 8 तक के 66 में से 61 बच्चे स्कूल में उपस्थित थे। अधिकारियों ने इसके बाद भोजन माता विवाद सुलझ जाने का दावा किया। अधिकारियों ने स्कूली बच्चों को आपसी सौहार्द बनाए रखने को भी कहा। दलित बच्चे घर से लाए टिफिन, मगर स्कूल में बना खाना खिलाया गयापिछले दिनों की तरह सोमवार को भी कुछ अनुसूचित जाति के बच्चे घर पर बना खाना लेकर आए थे, लेकिन मुख्य शिक्षा अधिकारी और अन्य शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बच्चों को समझा-बुझाकर उन्हें स्कूल में बना भोजन खिलाया। गुरुवार और शुक्रवार को एससी वर्ग के बच्चों ने स्कूल में सामान्य वर्ग की भोजन माता के हाथ से बना भोजन खाने से इसलिए इनकार कर दिया था क्योंकि पहले सवर्ण बच्चों ने एक दलित भोजनमाता के हाथ बने भोजन को खाने से इनकार किया था। स्कूल के प्रिंसिपल ने हाथ खड़े किएस्कूल के प्रिंसिपल प्रेम सिंह की तरफ से शिक्षा विभाग को भेजी गई चिट्ठी में कहा गया है कि बच्चों के बीच इस तरह की चर्चा है कि अगर दलित कुक के पकाए भोजन से सामान्य वर्ग के छात्र नफरत करते हैं तो वे भी सामान्य वर्ग के कुक के हाथों से बना खाना नहीं खाएंगे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कुमाऊं के DIG नीलेश आनंद भरने को घटना की जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा है। 13 दिसंबर को दलित भोजनमाता की नियुक्ति के बाद विवाद230 छात्र-छात्राओं वाले इस स्कूल में 13 दिसंबर को दलित भोजनमाता की नियुक्ति हुई थी। लेकिन इसके अगले ही दिन कुछ सवर्ण छात्रों ने दलित भोजनमाता के हाथ का बना खाना खाने से इनकार कर दिया। चंपावत जिले के मुख्य शिक्षा अधिकारी आरसी पुरोहित मामले में कदम उठाते हुए भोजनमाता की नियुक्ति को अवैध बताते हुए उसे बर्खास्त कर दिया। उनकी पैरंट्स-टीचर असोसिएशन ने आरोप लगाया था कि बिना उप शिक्षा अधिकारी की मंजूरी लिए भोजनमाता की नियुक्ति हुई थी। उसी के बाद से ये मामला सुर्खियों में है। इलाके के ग्रामीण जातीय आधार पर बंटे हुए नजर आ रहे हैं।
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