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हालांकि, जिला प्रशासन ने रविवार को कहा कि दोनों समुदायों के सदस्यों के बीच आम सहमति के बाद इस मुद्दे को सुलझा लिया गया है।
चंपावत के जिला मजिस्ट्रेट विनीत तोमर ने कहा, ''मुझे उम्मीद है कि दलित छात्र कल से नयी भोजन माता (रसोइया) द्वारा तैयार खाना फिर से खाना शुरू करेंगे।''
सुखीडांग में एक सरकारी इंटर कॉलेज में एक दलित बावर्ची को तब बर्खास्त कर दिया गया था, जब छठी से आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले अगड़ी जाति के 43 बच्चों ने उसके द्वारा पकाया हुआ खाना खाने से इनकार कर दिया था।
चंपावत शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने हालांकि उसे नौकरी से हटाए जाने का कारण नियुक्ति में प्रक्रियागत चूक को बताया था।
उसके बाद दलित महिला की जगह अगड़ी जाति की महिला को काम पर रखा गया था।
इसके जवाब में विद्यालय 23 दलित छात्रों ने नयी बावर्ची द्वारा बनाया गया भोजन खाने से इनकार कर दिया।
तोमर ने कहा कि जांच शुरू कर दी गई है और एक सप्ताह में रिपोर्ट आने की उम्मीद है।
दलित बावर्ची को हटाने की खबरें सामने आने के बाद कांग्रेस के राज्य सभा सदस्य प्रदीप टम्टा ने कहा कि उनकी उनकी पार्टी महिला के संवैधानिक अधिकारों को बहाल करने के लिये एक अभियान शुरू करेगी।
भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि यदि दलित महिला को वापस काम पर नहीं रखा गया तो उनका संगठन मुख्यमंत्री पुष्कर धामी का घेराव करेगा।
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