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यहां गुनियाल गांव में बनाए जा रहे सैन्य धाम के लिए भूमिपूजन करने के बाद रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘कुछ ताकतें ऐसी हैं जो भारत और नेपाल के बीच रिश्ते खराब करना चाहती हैं लेकिन सरकार का प्रतिनिधि होने के नाते आपको बताना चाहता हूं कि चाहे कुछ भी हो जाए, हमें शीश झुकाकर ही क्यों न रहना पड़े लेकिन अपने पड़ोसी नेपाल के साथ रिश्ते कभी टूटने नहीं देंगे, कभी बिगड़ने नहीं देंगे।’’
उन्होंने कहा कि इस संबंध में केवल इतना कहना ही पर्याप्त है।
तिब्बत का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि तिब्बत के साथ भी हमारे भावनात्मक रिश्ते हैं लेकिन आज स्थिति बदल चुकी है। हालांकि, उन्होंने कहा कि मानसरोवर यात्रा पर जाने के लिए अब लिपुलेख से भी होकर रास्ता साफ कर दिया गया है।
पाकिस्तान पर युद्ध में मिली जीत की 50वीं वर्षगांठ (16 दिसंबर) की पूर्वसंध्या पर बधाई देते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि ठीक 50 साल पहले 1971 में इसी दिन भारत और पाकिस्तान के बीच ‘इंस्ट्रमेंट आफ सरेंडर’ (आत्मसमर्पण के दस्तावेज) पर दस्तखत हुए थे और भारतीय सैनिकों के शौर्य और पराक्रम के कारण ही पाकिस्तान के 93 हजार से ज्यादा सैनिकों ने भारत की सेना के सामने समर्पण किया था।
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