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देहरादून लगभग 1,156 किलोमीटर का कठिन सफर, 24 सबसे कठिन इलाके, पुराने रास्तों से चार धाम की यात्रा पर गयी 25 लोगों की टीम 50 दिन बाद ऋषिकेश लौट आयी है। ट्रेकिंग विशेषज्ञों, राज्य आपदा अनुक्रिया बल और वन विभाग के कर्मियों की टीम ने 25 अक्टूबर को ऋषिकेश से अपनी यात्रा शुरू की थी। स्थानीय लोककथाओं के अनुसार हिमालय में चार धाम तीर्थस्थलों के लिए पैदल मार्ग 3,000 वर्ष पुराना है और पांडव इन्हीं रास्तों से होकर गये थे। 1940 के दशक से पहले भक्तों ने यात्रा गाइड के साथ हरिद्वार से अपनी यात्रा शुरू करने के लिए पुराने रास्तों का उपयोग किया और इसे 14 दिनों में पूरा किया था। मंदिरों तक जाने के लिए जब अच्छी सड़कें बन गईं और वाहनों का आना-जाना शुरू हो गया तब पारंपरिक रास्तों से आवाजाही बंद हो गयी। अतिरिक्त निदेशक पर्यटन, पूनम चंद ने कहा, 'बहती नदियों के बीच से गुजरते हुए, ऊंचे पहाड़ी दर्रों को पार करते हुए, खड़ी चढ़ाई पर चढ़ते हुए, टीम ने सबसे कठिन इलाकों को पार किया, सबसे दूर के गांवों की खोज की।' टीम ने पुराने दिनों में तीर्थयात्रियों को भोजन और आवास उपलब्ध कराने के लिए बाबा काली कमली समूह द्वारा स्थापित विभिन्न 'चट्टियों' की फिर से खोज की। उन्होंने कहा कि 80 में से अधिकांश 'चटियां' खंडहर में हैं। टीम ने पनवाली कांथा सहित कुछ ऊंचे पहाड़ी दर्रों से ट्रेकिंग की जो गढ़वाल हिमालय में 11,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। मार्ग में कुछ दिक्कतों को दूर करने और उनकी मरम्मत में मदद करने के लिए सभी डेटा उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड को दिया जाएगा।
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