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सीमा सडक संगठन (बीआरओ) के मुख्य अभियंता और परियोजना प्रभारी एमएनवी प्रसाद ने कहा कि ऊंची पहाडियों पर बन रही सड़क को इस साल पूरा होना था लेकिन कठिन चटटानें रास्ता बनाने में बडी चुनौती पेश कर रही हैं ।
उन्होंने बताया कि सर्दियों में शून्य से नीचे तापमान के अलावा कोविड-19 महामारी के कारण तालाबंदी में मजदूरों के वापस चले जाने से भी इस सीमावर्ती परियोजना के पूरा होने में देर हुई है ।
मुनस्यारी में हाल में परियोजना की समीक्षा के दौरान बीआरओ के महानिदेशक राजीव चौधरी ने इंजीनियरों के साथ बैठक में कहा कि वह सड़क को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए हरसंभव मदद देने को तैयार हैं ।
प्रसाद के अनुसार बीआरओ द्वारा 65 किलोमीटर लंबी इस सड़क का निर्माण मध्य हिमालयी क्षेत्र में भारत-चीन सीमा पर जोहार घाटी में भारतीय सुरक्षा चौकियों को जोडने के लिए किया जा रहा है और इसके 2023 के आखिर तक पूरा होने की संभावना है ।
इस परियोजना को पूरा करने के लिए पहले 2015 तक की समयसीमा रखी गयी थी लेकिन विभिन्न कारणों के चलते इसे बढ़ाकर 2021 तक कर दिया गया ।
मुख्य अभियंता ने बताया कि निर्माण एजेंसी मुनस्यारी की तरफ से 25 किलोमीटर सड़क का निर्माण कर चुकी है लेकिन इसके बाद का 15 किलोमीटर का हिस्सा कठिन चटटानों से होकर गुजरता है जिसके कारण काम की प्रगति धीमी हो गयी।
प्रसाद ने बताया कि मिलम की ओर से भी सड़क का नौ किलोमीटर का हिस्सा पूरा हो गया है। उन्होंने बताया कि इस महत्वपूर्ण सड़क के पूरा बन जाने के बाद भारत चीन सीमा पर जोहार घाटी में स्थित आखिरी सुरक्षा चौकियों तक वाहनों से पहुंचना आसान हो जाएगा ।
उन्होंने बताया कि इसके अलावा मिलम हिमनद देखने के इच्छुक पर्यटक और जोहार घाटी के स्थानीय लोगों को भी इस सड़क से बहुत सुविधा हो जाएगी ।
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