अल्मोड़ा उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिला अस्पताल में मरीज के इलाज के दौरान मलेरिया की एक दुर्लभ प्रजाति के परजीवी की खोज हुई है। यहां तैनात चिकित्सकों का दावा है कि मलेरिया प्लाज्मोडियम का यह परिजीवी भारत में पहली बार देखा गया है। डॉक्टर के अनुसार मरीज का ब्लड सैंपल और भेजा जा रहा है। वहां यदि रिपोर्ट सही साबित हो गई तो यह भारत में इस तरह के मलेरिया का पहला मामला होगा। मरीज के ब्लड सैंपल में मिला अल्मोड़ा जिला चिकित्सालय में तैनात एमडी पैथलॉजिस्ट डा. अखिलेश ने बताया कि बीते दिनों जिला अस्पताल में ठंड और बुखार से पीड़ित बरेली के रहने वाले एक 62 वर्षीय बुजुर्ग पहुंचे थे। इसके बाद उनका ब्लड सैंपल लेकर उसे स्लाइड में लेकर माइक्रोस्कोप से देखा गया। इस जांच में पीड़ित को मलेरिया होने की पुष्टि हुई। अखिलेश ने कहा कि उनके ब्लड सैंपल की जांच के दौरान प्लाज्मोडियम की एक अलग प्रजाति दिखी। डॉक्टर ने कहा कि अभी तक भारत में मलेरिया के वजह बनने वाली 4 प्रजातियां ही देखी गई हैं। इनमें फैल्सीफेरम, वाइवैक्स, मलेरी और ओवेल हैं। लेकिन इस केस में उन्हें इन चारों प्रजातियों से अलग तरह की एक प्रजाति दिखाई दी है, जो प्लाज्मोडियम नोवेल्सी से मिलता जुलता है। पहली बार बंदरों में देखी गई थी यह प्रजाति अखिलेश ने कहा कि यह प्रजाति उन्होंने माइक्रोस्कोपिक स्लाइड पर देखी है और अब इसके आगे की जांच की आवश्यकता है। इसके लिए वह इस ब्लड सैंपल को एनआईएमआर दिल्ली और मलेरिया सेंटर लखनऊ पुष्टि के लिए भेज रहे हैं। डॉ. अखिलेश ने बताया कि यह दुर्लभ प्रजाति का परजीवी है, जो भारत में अभी तक सामने नहीं आया था। उन्होंने कहा कि सबसे पहले इस 5वीं प्रजाति को 1931 में डॉ. आर नोवेल्स और डा. बीएम दासगुप्ता ने बंदरों में पाया था। घातक नहीं, सामान्य इलाज से होता है ठीक अखिलेश ने बताया कि मलेरिया की वजह बनने वाली यह प्रजाति विदेशों में तो देखी गई है लेकिन अगर लैब से इसकी पुष्टि हो जाती है तो यह भारत में पहली बार पाई जाने मलेरिया कारकों की प्रजाति होगी। हालांकि उन्होंने कहा कि इस प्रजाति का मलेरिया ज्यादा घातक नहीं होता बल्कि सामान्य मलेरिया की तरह ही होता है, जिसका इलाज भी सामान्य है लेकिन यह भारत में कम पाया जाता है।
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