मंगलवार, 16 जुलाई 2019

उत्‍तराखंड के सीएम ने कहा, लक्ष्मण झूला को संरक्षित करने के लिए यथासंभव प्रयास

देहरादून के मुख्यमंत्री ने कहा कि पुल को संरक्षित करने के लिए यथासंभव प्रयास किए जाएंगे। लक्ष्मण झूला उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर है। पिछले 90 सालों से यह देश-दुनिया के पर्यटकों और श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रहा है। इस पुल की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस पर आवाजाही दोबारा शुरू होने की स्थिति के संबंध में विशेषज्ञों से और सुझाव लिए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह हमारी हेरिटेज प्रॉपर्टी है। इसे ठीक करने के सभी विषयों पर कार्य किया जाएगा। विशेषज्ञों की राय के बाद इसकी रेट्रोफिटिंग पर ध्यान दिया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि शुरू में इसके एक स्‍क्‍वॉयर मीटर में 200 किलोभार क्षमता आंकी गई थी। वर्तमान में इसका पिलर झुक रहा है, आज आधुनिक तकनीक के दौर में इसे कैसे ठीक किया जा सकता है यह देखा जाएगा। मुख्यमंत्री का कहना है कि इस पुल से जनभावनाएं जुड़ी हैं, इसका भी हमें ध्यान रखना होगा। मंगलवार को ग्रॉफिक ऐरा विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से भेंट की। उन्होंने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि उनके संस्थान के तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा लक्ष्मण झूला का जीर्णोद्धार किया जा सकता है। ग्राफिक ऐरा के प्रो. पार्थो सेन ने कहा कि अत्याधुनिक तकनीक का प्रयोग करके इस पुल को बचाया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पुल के लिए तकनीकी अध्ययन आईआईटी के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है। उनकी सलाह के मद्देनजर ही जन सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इसमें आवाजाही बंद की गई है। रावत ने कहा कि इसके बावजूद भी यदि इसके संरक्षण में कोई तकनीकी जानकारी प्राप्त हो सकती है तो इस दिशा में भी पहल की जा सकती है। उन्होंने ग्रॉफिक ऐरा विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों व लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों से सभी तकनीकी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए कार्ययोजना बनाने को कहा।


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