सोमवार, 29 जुलाई 2019

उत्तराखंड: बाघों का कुनबा बढ़ा, संख्या पहुंची 442 के पार

देहरादून अखिल भारतीय आंकलन 2018 के नतीजों के अनुसार में बाघों की संख्या 442 पार हो गई है। राज्य के लिए यह एक खास उपलब्धि है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत का कहना है कि यह उत्तराखंड जैव विविधता, पर्यावरण और वन्य जीव संरक्षण की संकल्पबद्धता का नतीजा है। ऑल इंडिया टाइगर एस्टिमेशन 2018 की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2010 में उत्तराखंड में 227 बाघ थे, जो कि वर्ष 2014 में 340 तथा वर्ष 2018 में बढकर 442 हो गए हैं। वर्ष 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग डिक्लेरेशन में वर्ष 2022 तक बाघों की संख्या दोगुनी करने का लक्ष्य रखा गया था। भारत ने यह लक्ष्य चार साल पहले ही हासिल कर लिया। इसमें उत्तराखंड का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वन और वन्य जीवन का संरक्षण उत्तराखंड की संस्कृति में है। बाघ फूड चेन में सबसे ऊपर हैं। बाघ पारिस्थितिक तंत्र की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है। यह कहा भी गया है कि वन हैं तो बाघ हैं और बाघ हैं तो वन हैं। राज्य में बाघों की संख्या में 102 बाघों का इजाफा हुआ है। हालांकि देश में बाघों की संख्या के लिहाज से उत्तराखंड तीसरे स्थान पर है। टाइगर गणना जारी होने के बाद यह भी साफ़ हुआ है कि क्षेत्रफल के मद्देनजर घनत्‍व के हिसाब से उत्तराखंड पहले नंबर पर आ गया है। देश के टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्‍या के लिहाज से कॉर्बेट टाइगर रिजर्व पहले स्‍थान पर है। राज्य के अन्य टाइगर रिजर्व क्षेत्रों में भी बाघ संरक्षण के लिए उत्तराखंड अव्‍वल साबित हुआ है। 2014 में हुई अखिल भारतीय स्तर की बाघ गणना के अनुसार प्रदेश में 340 बाघ थे। 2017 की राज्य स्तरीय बाघ गणना में यह आंकड़ा 361 पहुंच गया था। 2018 की अखिल भारतीय बाघ गणना के अनुसार उत्तराखंड, देश में मध्‍यप्रदेश (526) और कर्नाटक (524) के बाद तीसरे स्थान पर है। उत्तराखंड में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के अलावा राजाजी टाइगर रिजर्व और 12 वन प्रभागों में बाघ हैं। प्रदेश में बाघों का कुनबा लगातार बढ़ रहा है।


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