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देहरादून में जून में पारित को मिल गई है। इसके साथ ही अब राज्य में दो से ज्यादा बच्चों के माता-पिता नहीं लड़ पाएंगे। परिवार नियोजन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह बिल सदन में पेश किया गया था, जिसमें दो से ज्यादा बच्चों वाले लोगों को पंचायत चुनाव की उम्मीदवारी के लिए अयोग्य ठहराने का प्रावधान था। सदन में पारित होने के बाद जुलाई के पहले सप्ताह में इसे राजभवन भेज दिया गया था। विपक्ष ने उठाए सवाल सामान्य तौर पर राजभवन विधानसभा में पारित बिलों को सहजता से मंजूर कर तुरंत सरकार को लौटा देता है लेकिन पंचायती राज संशोधन विधेयक को राजभवन में 15 दिनों तक रहने के बाद मंजूरी मिली है। बताया जा रहा है कि विपक्षी दलों की आपत्तियों को देखते हुए राजभवन ने इसका परीक्षण करने का फैसला लिया था। इसके बाद ही इस बिल को स्वीकृति दी गई है। गौरतलब है कि दो बच्चों की शर्त और शैक्षिक योग्यता के मानक पर विपक्षी दलों की ओर से इस बिल पर सवाल उठाए जा रहे थे। बिल पर राज्यपाल की मुहर ऐसे में जांच-परख के बाद विधेयक से संतुष्ट होने पर ही राज्यपाल ने इस पर मुहर लगाई है। हालांकि, कांग्रेस और पंचायत से जुड़े संगठन इस बिल से खुश नहीं हैं। उनका कहना है कि यह लोकतांत्रिक भावनाओं के खिलाफ है। विरोध करने वाले संगठनों ने कहा है कि वह इस बिल के खिलाफ कोर्ट जाएंगे। बता दें कि सरकार की ओर से जून में इस बिल को विधानसभा में पेश किया गया था, जिसके मुताबिक, पंचायत चुनाव लड़ने के लिए शैक्षिक योग्यता जरूरी कर दी गई थी। साथ ही दो पद एक साथ धारण करने पर भी रोक लगा दी गई थी। शैक्षिक योग्यता भी जरूरी दसवीं कक्षा उत्तीर्ण होने के अलावा पंचायत चुनाव के उम्मीदवार की दो से ज्यादा संतान न होने की शर्त भी इस विधेयक में शामिल है। शैक्षिक योग्यता में महिलाओं और अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों को छूट दी गई है। उनके लिए यह अर्हता 8वीं कक्षा की है। वहीं, अनुसूचित जाति और जनजाति की महिलाओं के लिए पंचायत चुनाव लड़ने हेतु पाचवीं कक्षा उत्तीर्ण होना जरूरी होगा। इस विधेयक में ऐसे लोगों को पंचायत चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित कर दिया गया है जिनकी दो से अधिक जीवित संतानें हों। अगले पंचायत चुनाव में इन प्रावधानो को लागू किया जाएगा।
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