बुधवार, 31 जुलाई 2019

उत्तराखंड: मुस्लिम महिलाओं ने तीन तलाक विधेयक पारित होने पर खुशियां मनायीं

देहरादून, 31 जुलाई (भाषा) तीन तलाक विधेयक राज्यसभा से पारित होने पर बुधवार को यहां राज्य भाजपा कार्यालय में खुशियां मनायी गयीं तथा मिठाई बांटी गयी । इस दौरान बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं भी उपस्थित रहीं। इस दौरान मुस्लिम महिलाओं ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए इसे उनकी आजादी की दिशा में एक कदम बताया। भाजपा के प्रदेश महामंत्री अनिल गोयल ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘लोकसभा के बाद अब राज्य सभा में भी तीन तलाक विधेयक पारित होना एक ऐतिहासिक अवसर है। इसके लिए भाजपा पूरी तरह कटिबद्ध थी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में यह महत्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त हुई है।’’ उन्होंने कहा कि लोकसभा में पहले भी कई बार यह विधेयक पारित हुआ, लेकिन राज्यसभा में बिल पारित न होने के कारण केन्द्र सरकार को कई बार अध्यादेश लाने पडे़। गोयल ने कहा कि अब यह विधेयक पारित हो गया है और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन जाएगा, जिसके बाद मुस्लिम महिलाएं किसी भी समय तलाक दिए जाने के डर से मुक्त हो जाएंगी। इस कानून को महिलाओं के सम्मान से जुडा़ बताते हुए भाजपा नेता ने कहा कि तीन तलाक विश्व के 22 देशों मे प्रतिबंधित है लेकिन भारत में यह अब प्रधानमंत्री मोदी के कारण संभव हो पाया है। प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ० देवेन्द्र भसीन ने कहा कि तीन तलाक का बिल पारित होना एक ऐतिहासिक घटना है और इसे लेकर पूरे देश में विशेष रूप से मुस्लिम महिलाओं में प्रसन्नता है। सह मीडिया प्रभारी शादाब शम्स ने बिल के पारित होने पर प्रसन्नता व्यक्त की और इसे एक महत्वपूर्ण अवसर बताया।


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कांवड़ मेला संपन्न: इस बार तीन करोड़ से ज्यादा कांवड़िये गंगाजल लेने पहुंचे

देहरादून उत्तराखंड के हरिद्वार और अन्य हिस्सों में पिछले एक पखवाडे़ से चल रहा कांवड़ मेला संपन्न हो गया। इस साल रेकॉर्ड तीन करोड़ से ज्यादा शिवभक्त कांवड़िये लेने पहुंचे। 17 जुलाई को के पहले दिन से शुरू हुए कांवड़ मेले में शुरू से ही भोले बाबा के भक्त कांवड़ियों के हरिद्वार, ऋषिकेश और आसपास के इलाकों में तांता लगने लगा था। आखिरी दिन मेले के संपन्न होने तक गंगा नदी से लगा क्षेत्र केसरिया रंग में रंगा दिखाई दिया। पुलिस महानिदेशक (कानून और व्यवस्था) अशोक कुमार ने बताया कि इस बार तीन करोड़ से ज्यादा कांवड़िये उत्तराखंड आए और मेला शांतिपूर्वक संपन्न हो गया। केसरिया कपडे़ पहने और कंधों पर कांवड़ टांगे शिवभक्त कांवड़िये गंगा जल लेने के लिए हरिद्वार और ऋषिकेश के अलावा नीलकंठ महादेव मंदिर और उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री तक भी पहुंच गए। हर साल होती है कांवड़ियों की संख्या में बढ़ोतरी हर साल कांवड़िये उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, बिहार, हरियाणा, पंजाब, जम्मू—कश्मीर और हिमाचल आदि राज्यों से लंबी दूरी तय कर यहां आते हैं। ज्यादातर कांवड़िये घर से यहां तक का रास्ता पैदल तय करते हैं लेकिन कुछ लोग समय बचाने के लिए गाड़ियों या ट्रेनों से यात्रा करके गंगा जल लेने भी आते हैं। कांवड़ियों की संख्या में साल दर साल हो रही बढ़ोतरी से उत्साहित राज्य सरकार ने इस बार हरिद्वार में उन पर हेलिकॉप्टरों से पुष्पवर्षा करवाई। पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी ने भी हरिद्वार और अन्य जगहों पर अच्छे काम के लिए सुरक्षा डयूटी में तैनात रहे पुलिसकर्मियों की सराहना की।


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उत्तराखंड में गरीब छात्रों को मिलेगा 10 प्रतिशत आरक्षण

देहरादून, 31 जुलाई (भाषा) उत्तराखंड में अनारक्षित श्रेणी के गरीब छात्रों को अब सरकारी विश्वविद्यालयों तथा डिग्री कॉलेजों में प्रवेश में 10 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय के निर्देश के अनुपालन में इस आशय का आदेश कल प्रमुख सचिव (उच्च शिक्षा) आनंद बर्धन द्वारा जारी किया गया। राज्य में अनारक्षित श्रेणी के गरीब छात्रों को सरकार द्वारा संचालित आधा दर्जन विश्वविद्यालयों, 104 डिग्री कॉलेजों तथा सरकार द्वारा सहायता प्राप्त 15 डिग्री कॉलेजों में प्रवेश के समय आरक्षण का लाभ मिलेगा। बर्धन ने प्रदेश के विश्वविद्यालयों के रजिस्ट्रारों तथा डिग्री कॉलेजों के प्रशासकों को आदेश लागू करने को कहा है।


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उत्तराखंड: झूलाघाट से बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार

पिथौरागढ़, 31 जुलाई (भाषा) भारतीय सीमा में स्थित झूलाघाट क्षेत्र से नेपाल में घुसने का प्रयास कर रहे एक बांग्लादेशी नागरिक को गिरफ्तार किया गया है। पिथौरागढ़ के पुलिस अधीक्षक रामचंद्र राजगुरू ने बुधवार को यहां बताया कि बांग्लादेश के कुरी जिले के रांगपूत गांव के रहने वाले 20 वर्षीय मोहम्मद रज्जाक मियां को मंगलवार रात सशस्त्र सीमा बल के सुरक्षा गार्डों ने उस समय गिरफ्तार किया जब वह पिथौरागढ़ जिले के झूलाघाट से नेपाल में घुसने का प्रयास कर रहा था। उन्होंने बताया कि एसएसबी ने उसे गिरफ्तार कर सिविल पुलिस को सौंप दिया जिसके बाद उसे अदालत के सामने पेश किया गया। पुलिस अधिकारी ने बताया कि आगे की जांच के लिए रज्जाक को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। उन्होंने बताया कि बांग्लादेशी नागरिक के पास ‘‘ठीक दस्तावेज’’ नहीं थे और उसके खिलाफ विदेशी अधिनियम तथा पासपोर्ट अधिनियम में मामला दर्ज किया गया है। रज्जाक भारत में पिछले एक साल से रह रहा था।


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कांवड़ मेला संपन्न, तीन करोड से ज्यादा कांवड़ियें पहुंचे गंगा जल लेने

देहरादून, 31 जुलाई :भाषा: उत्तराखंड के हरिद्वार तथा अन्य हिस्सों में पिछले एक पखवाडे़ से चल रहा कांवड़ मेला संपन्न हो गया जिसमें इस बार रिकार्ड तीन करोड़ से ज्यादा शिवभक्त कांवड़िये यहां गंगाजल लेने पहुंचे। सत्रह जुलाई को श्रावण मास के पहले दिन से आरंभ हुये कांवड़ मेले में शुरू से ही भोले बाबा के भक्त कांवड़ियों के हरिद्वार, ऋषिकेश तथा आसपास के इलाकों में तांता लगने लगा और कल रात मेले के संपन्न होने तक गंगा नदी से लगा क्षेत्र केसरिया रंग में रंगा दिखायी दिया। पुलिस महानिदेशक, कानून और व्यवस्था, अशोक कुमार ने बताया कि इस बार तीन करोड़ से ज्यादा कांवड़िये उत्तराखंड आये और मेला निर्विघ्न और शांतिपूर्वक संपन्न हो गया। केसरिया कपडे़ पहने और कंधों पर कांवड़ टांगे शिवभक्त कांवड़िये गंगा जल लेने के लिये हरिद्वार और ऋषिकेश के अलावा नीलकंठ महादेव मंदिर और उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री तक भी पहुंच गये। हर साल कांवड़िये उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, बिहार, हरियाणा, पंजाब, जम्मू—कश्मीर और हिमाचल आदि राज्यों से लंबी दूरी तय कर यहां आते हैं। ज्यादातर कांवड़िये घर से यहां तक का रास्ता पैदल तय करते हैं लेकिन कुछ लोग समय बचाने के लिये गाड़ियों या ट्रेनों से यात्रा करके गंगा जल लेने भी आते हैं। कांवड़ियों की संख्या में साल दर साल हो रही बढ़ोत्तरी से उत्साहित राज्य सरकार ने इस बार हरिद्वार में उन पर हेलीकॉप्टरों से पुष्पवर्षा करवाई। पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़़ी ने भी हरिद्वार तथा अन्य जगहों पर सुरक्षा डयूटी में तैनात रहे पुलिसकर्मियों की अच्छे कार्य के लिये सराहना की।


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मंगलवार, 30 जुलाई 2019

अल्मोड़ा में दुर्लभ प्रजाति का मलेरिया कारक परजीवी मिलने का दावा, जांच जारी

अल्मोड़ा उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिला अस्पताल में मरीज के इलाज के दौरान मलेरिया की एक दुर्लभ प्रजाति के परजीवी की खोज हुई है। यहां तैनात चिकित्सकों का दावा है कि मलेरिया प्लाज्मोडियम का यह परिजीवी भारत में पहली बार देखा गया है। डॉक्टर के अनुसार मरीज का ब्लड सैंपल और भेजा जा रहा है। वहां यदि रिपोर्ट सही साबित हो गई तो यह भारत में इस तरह के मलेरिया का पहला मामला होगा। मरीज के ब्लड सैंपल में मिला अल्मोड़ा जिला चिकित्सालय में तैनात एमडी पैथलॉजिस्ट डा. अखिलेश ने बताया कि बीते दिनों जिला अस्पताल में ठंड और बुखार से पीड़ित बरेली के रहने वाले एक 62 वर्षीय बुजुर्ग पहुंचे थे। इसके बाद उनका ब्लड सैंपल लेकर उसे स्लाइड में लेकर माइक्रोस्कोप से देखा गया। इस जांच में पीड़ित को मलेरिया होने की पुष्टि हुई। अखिलेश ने कहा कि उनके ब्लड सैंपल की जांच के दौरान प्लाज्मोडियम की एक अलग प्रजाति दिखी। डॉक्टर ने कहा कि अभी तक भारत में मलेरिया के वजह बनने वाली 4 प्रजातियां ही देखी गई हैं। इनमें फैल्सीफेरम, वाइवैक्स, मलेरी और ओवेल हैं। लेकिन इस केस में उन्हें इन चारों प्रजातियों से अलग तरह की एक प्रजाति दिखाई दी है, जो प्लाज्मोडियम नोवेल्सी से मिलता जुलता है। पहली बार बंदरों में देखी गई थी यह प्रजाति अखिलेश ने कहा कि यह प्रजाति उन्होंने माइक्रोस्कोपिक स्लाइड पर देखी है और अब इसके आगे की जांच की आवश्यकता है। इसके लिए वह इस ब्लड सैंपल को एनआईएमआर दिल्ली और मलेरिया सेंटर लखनऊ पुष्टि के लिए भेज रहे हैं। डॉ. अखिलेश ने बताया कि यह दुर्लभ प्रजाति का परजीवी है, जो भारत में अभी तक सामने नहीं आया था। उन्होंने कहा कि सबसे पहले इस 5वीं प्रजाति को 1931 में डॉ. आर नोवेल्स और डा. बीएम दासगुप्ता ने बंदरों में पाया था। घातक नहीं, सामान्य इलाज से होता है ठीक अखिलेश ने बताया कि मलेरिया की वजह बनने वाली यह प्रजाति विदेशों में तो देखी गई है लेकिन अगर लैब से इसकी पुष्टि हो जाती है तो यह भारत में पहली बार पाई जाने मलेरिया कारकों की प्रजाति होगी। हालांकि उन्होंने कहा कि इस प्रजाति का मलेरिया ज्यादा घातक नहीं होता बल्कि सामान्य मलेरिया की तरह ही होता है, जिसका इलाज भी सामान्य है लेकिन यह भारत में कम पाया जाता है।


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जानें कौन और कैसे हैं नए विप्रो चीफ रिशाद प्रेमजी

अपनी ज़िंदगी अपनी शर्तों पर जीने की बात कहने वाले रिशाद प्रेमजी को कभी विप्रो में जॉब पाने के लिए कठिन इंटरव्यू देने पड़े थे. कैसा रहा ​रिशाद का प्रोफेशनल और निजी जीवन? पढ़िए रिशाद के बारे में तमाम ज़रूरी और दिलचस्प बातें.

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केंद्रीय मंत्री ने कुपोषित बच्चों को पुष्टाहार दे कर उन्हें सामान्य श्रेणी में लाने के निर्देश दिया

देहरादून, 30 जुलाई (भाषा) केन्द्रीय महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी ने पोषण योजना, आगंनबाड़ी केन्द्रों में पेयजल व्यवस्था और शौचालय की सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिये जाने की जरूरत पर जोर देते हुए मंगलवार को कहा कि कुपोषित बच्चों को उचित पुष्टाहार दिया जाये, ताकि वे सामान्य श्रेणी में आ सके। यहां मुख्यमंत्री आवास में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ बाल विकास तथा पोषण अभियान के संबंध में अधिकारियों की बैठक के दौरान केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पौष्टिक आहार के लिए कैलेण्डर बनाया जाये और इसे जनप्रतिनिधियों के साथ साझा करते हुए लागू किया जाये । उन्होंने एनीमिया(शरीर में खून की कमी) को रोकने के लिए टी-3 रणनीति पर ध्यान दिये जाने तथा दो बच्चों के पैदा होने में उचित समयान्तर रखने के लिये जागरूकता अभियान चलाये जाने पर भी जोर दिया, जिससे बच्चों का मानसिक एवं शारीरिक विकास सही से हो। वहीं, मुख्यमंत्री रावत ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि जिन जिलों में बाल लिंगानुपात कम है, वहां का वे दौरा करें और लिंगानुपात कम होने के कारणों का पता लगायें। उन्होंने 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान के तहत राज्य व जिला स्तरीय समितियों की बैठक समय-समय पर आयोजित करने के भी निर्देश दिये ।


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परिवार को कत्ल करने की कोशिश, दो बच्चे मार डाले, पत्नी समेत आरोपी अस्‍पताल में

देहरादून उत्तराखंड में देहरादून के पास एक व्यक्ति ने अपने दो बच्चों की धारदार हथियार से कर दी। आरोपी ने अपनी पत्नी और एक अन्य बच्चे की जान लेने की असफल कोशिश भी की। उसने खुद भी फांसी लगाने का प्रयास किया। पुलिस वारदात के कारणों को तलाशने में जुटी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार देहरादून से 20 किलोमीटर दूर डोईवाला के नागल ज्वालापुर की मेहरा बस्ती में राम सिंह नाम के व्यक्ति ने मंगलवार तड़के अपने दो बच्‍चों को धारदार हथियार से वार कर हत्‍या कर दी, जबकि पत्‍नी और एक अन्‍य बच्‍चे की भी जान लेने की कोशिश की। इसके बाद खुद फांसी लगाने का प्रयास किया। तीनों अस्‍पताल में भर्ती हैं। पुलिस वारदात के कारणों को तलाशने में जुटी है। पुलिस ने बताया कि आरोपी राम सिंह चालक है। पहले वह अपनी गाड़ी चलाता था। बाद में अपनी गाड़ी भी उसने बेच दी थी। घटना का पता तब चला जब मंगलवार सुबह सात बजे साथी बच्‍चे स्‍कूल जाने लगे। दोस्‍तों ने मुस्‍कान, विनय आदि को स्‍कूल जाने के लिए आवाज दी, लेकिन कोई बाहर नहीं आया। इस पर उन्‍होंने खिड़की से झांक कर देखा तो अंदर सब बेसुध पड़े नजर आए। इस पर पास में रहने वाले राम सिंह के भाई और आसपास के लोग मौके पर एकत्र हुए। वे खिड़की तोड़कर घर के अंदर घुसे। घायल राम सिंह, रीना और भूमिका को राम सिंह के भाई श्याम सिंह ने अपनी गाड़ी से हिमालयन हॉस्पिटल जॉलीग्रांट में भर्ती कराया। जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई। देहरादून जिले की एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने बताया कि आसपास पूछताछ में पता चला कि आरोपी कुछ समय से डिप्रेशन में चल रहा था। घायल राम सिंह की पत्नी के होश आने पर उससे पूछताछ की जाएगी।


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देहरादून: एक शख्स ने अपनी पत्नी और बच्चों को डंडे से पीटा, दो बच्चों की मौत

देहरादून, 30 जुलाई (भाषा) देहरादून के डोइवाला क्षेत्र में मंगलवार को एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी और तीन बच्चों की डंडे से बुरी तरह पिटाई की जिससे दो बच्चों की मौत हो गई। हत्या के बाद आरोपी व्यक्ति ने पंखे से लटककर खुदकुशी करने की कोशिश की लेकिन पड़ोसियों ने उसे बचा लिया। आरोपी, उसकी पत्नी और उनकी एक बेटी को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, मानसिंह उर्फ राम सिंह (45) ने अपनी पत्नी रीना देवी और पुत्र विनय (13), पुत्री भूमिका (11) तथा पुत्री मुस्कान (9) को आज सुबह अपने घर में डंडे से बुरी तरह पीटा। चीखें सुनकर पड़ोसी आरोपी मानसिंह के घर की तरफ दौडे़ और घायलों को अस्पताल ले गए। इस बीच, मानसिंह ने खुद भी पंखे से लटक कर जान देने का प्रयास किया लेकिन पड़ोसियों ने उसे बचा लिया और उसे भी अस्पताल ले गए। हालांकि, सिर में गंभीर चोटों के कारण विनय और मुस्कान ने अस्पताल में उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। परिवार के बाकी सदस्यों का इलाज किया जा रहा है लेकिन उनमें से दो की हालत नाजुक बताई जा रही है। रीना देवी के परिवार वालों ने मानसिंह के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कराया है। घटना की सूचना मिलने के बाद देहरादून की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक निवेदिता कुकरेती ने भी क्षेत्र का दौरा किया और पुलिस अधिकारियों से मामले की गहन जांच करने को कहा। प्राथमिक जांच से पता चला है कि मानसिंह के अपनी पत्नी से तनावपूर्ण संबंध थे।


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उत्तराखंड: 133 गांवों में सिर्फ लड़कों के जन्म का स्वास्थ्य विभाग का दावा झुठलाया, बच्चियां भी जन्मी

देहरादून, 30 जुलाई (भाषा) उत्तरकाशी जिले के 133 गांवों में पिछले तीन माह में केवल लड़कों का जन्म होने के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों को उत्तराखंड के महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के ताजा सर्वेंक्षण ने झुठलाते हुए दावा किया है कि इस अवधि में इन गांवों में 62 लड़कियां भी पैदा हुईं। यह सर्वेंक्षण राज्य की महिला सशक्तिकरण और बाल विकास मंत्री रेखा आर्य के निर्देश पर कराया गया। महिला सशक्तिकरण मंत्री रेखा ने समाचार-पत्रों में प्रकाशित इस आशय की खबरों के मद्देनजर संबंधित सभी 133 गांवों में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों से पिछले तीन महीनों में जन्मे बच्चों का सर्वेंक्षण कराने के निर्देश दिए थे । उत्तरकाशी के जिला कार्यक्रम अधिकारी विक्रम सिंह ने मंत्री को भेजी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जिले के छह विकास खंडों में स्थित इन 133 गांवों में संचालित 158 आंगनबाड़ी केंद्रों में पिछले तीन माह में कुल 222 बच्चे पैदा हुए जिनमें से 160 लड़के और 62 लड़कियां हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, भटवाड़ी और डुंडा विकास खंड में इस अवधि में 12-12 लड़कियां, चिन्यालीसौड में आठ, नौगांव में 19, पुरोला में दो और मोरी में नौ लड़कियां पैदा हुईं। ताजा सर्वेक्षण के नतीजे सामने आने के बाद मंत्री रेखा ने कन्या भ्रूण हत्या की आशंका को भी नकार दिया। उन्होंने कहा, ‘‘इन विकास खंडों में कन्या भ्रूण हत्या की आशंका भी निराधार साबित हुई है क्योंकि वहां बालिकाओं ने भी जन्म लिया।’’ हालांकि, उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले की तह तक जाने के लिए अपनी जांच जारी रखेगी और यह पता लगाने का प्रयास करेगी कि इन विकास खंडों में पिछले तीन माह में भ्रूण लिंगानुपात इतना कम क्यों रहा। पिछले दिनों उत्तरकाशी जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग द्वारा इन गांवों में पिछले तीन महीनों में एक भी बच्ची के जन्म न लेने के आंकडे़ जारी किए जाने के बाद प्रदेश से लेकर देश तक में हड़कंप मच गया था, जिसके बाद मुख्यमंत्री रावत ने इसकी जांच के आदेश दिए थे।


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देवप्रयाग में एनसीसी अकादमी का शिलान्यास पूर्ववर्ती सरकार का हवा-हवाई फैसला : मुख्यमंत्री रावत

देहरादून, 30 जुलाई :भाषा:उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि टिहरी जिले के देवप्रयाग में एनसीसी अकादमी का शिलान्यास पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार का हवा—हवाई फैसला था और अब पौडी में इसे ऐसी जगह स्थापित किया जा रहा है जहां सभी आधारभूत सुविधायें उपलब्ध हैं । मुख्यमंत्री रावत ने यह बात कल देर शाम यहां देवप्रयाग के विधायक विनोद कण्डारी के नेतृत्व में उनसे मिलने आये क्षेत्रीय जन प्रतिनिधियों के एक शिष्टमंडल से मुलाकात में कही । यहां जारी एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, मुख्यमंत्री से प्रतिनिधिमण्डल ने देवप्रयाग में ही एनसीसी अकादमी की स्थापना करने का अनुरोध किया था और कहा था कि पूर्व में इसका शिलान्यास भी हो चुका है । इस पर रावत ने कहा कि पूर्व में देवप्रयाग में जिस स्थान पर एनसीसी अकादमी का शिलान्यास किया गया था, वह पूर्ववर्ती सरकार का हवा हवाई फैसला था और बजट एवं अन्य अवस्थापना सुविधाओं को देखे बिना ही यह शिलान्यास हुआ था। रावत ने कहा कि उनकी सरकार का उद्देश्य ठोस प्रावधान के साथ ही किसी संस्थान की स्थापना करना है और पौड़ी में जिस स्थान पर राष्ट्रीय एनसीसी अकादमी खोलने की संस्तुति प्रदान की गई है, वहां पर्याप्त जमीन उपलब्ध होने के साथ ही खेल का मैदान, पेयजल की उपलब्धता व अन्य आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए बजट का भी प्रावधान कर लिया गया है । मुख्यमंत्री ने हालांकि, जन प्रतिनिधियों को आश्वस्त किया कि देवप्रयाग में शीघ्र ही रोजगार परक एक बड़ा नया संस्थान खोला जायेगा।


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सोमवार, 29 जुलाई 2019

आज रिटायर हो रहे हैं प्रेमजी,जानें उनसे अमीर बनने के सीक्रेट

भारत के दूसरे सबसे अमीर शख्स अजीम प्रेमजी आज 30 जुलाई को विप्रो के चेयरमैन पद से रिटायर होने वाले हैं. इसके बाद कंपनी की कमान उनके बेटे रिशद को मिल जाएगी. जानिए उनका अमीर बनने का सीक्रेट.

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सिद्धार्थ ने 5 लाख में शुरू की थी CCD, आज 4000 करोड़ की कंपनी

Cafe Coffee Day के फाउंडर वीजी सिद्धार्थ के सितारे इन दिनों गर्दिश में चल रहे हैं. उन पर आयकर विभाग का 300 करोड़ रुपये बकाया है और उनकी निवेश कंपनी सिवन सिक्यॉरिटीज कर्ज में डूबी हुई है.

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सिद्धार्थ ने 5 लाख में शुरू की थी CCD, आज 4000 करोड़ की कंपनी

Cafe Coffee Day के फाउंडर वीजी सिद्धार्थ के सितारे इन दिनों गर्दिश में चल रहे हैं. उन पर आयकर विभाग का 300 करोड़ रुपये बकाया है और उनकी निवेश कंपनी सिवन सिक्यॉरिटीज कर्ज में डूबी हुई है.

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सीएम कमलनाथ के खिलाफ सिख धर्म की धार्मिक भावनाएं भड़काने की शिकायत

नैनीताल उत्तराखंड के हल्द्वानी में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के खिलाफ की धार्मिक भावनाएं भड़काने की शिकायत की गई है। पुलिस ने शिकायतकर्ता की तहरीर ले ली है। हल्द्वानी के रहने वाले मानवाधिकार कार्यकर्ता गुरविंदर सिंह चड्ढा ने नैनीताल जिले की हल्द्वानी पुलिस को तहरीर देते हुए पुलिस से शिकायत करते हुए कहा है कि फेसबुक में कमलनाथ के नाम से एक पेज पेज चल रहा है, जिसमें सिख धर्म के सबद को तोड़-मरोड़ कर कमलनाथ के नाम से इस्तेमाल किया गया है। नैनीताल जिले की हल्द्वानी पुलिस ने शिकायतकर्ता गुरविंदर सिंह चड्ढा से तहरीर ले ली है। गुरविंदर सिंह चड्ढा का कहना है कि कमलनाथ के नाम से चल रहे फ़ेसबुक अकाउंट में सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी के नाम की जगह कमलनाथ का नाम डाल दिया गया है। गुरविंदर सिंह चड्ढा के अनुसार इससे सिखों की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं और उनमें बहुत गुस्सा है।


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जल्द केदारपुरी में रुद्रा पॉइंट से मंदिर तक चलने लगेगा ई-रिक्शा

देहरादून उत्तराखंड के केदारपुरी में रुद्रा पॉइंट से मंदिर तक वैष्णो देवी की तर्ज पर जल्द ही चलने लगेगा। इसके लिए डीडीएमए (जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण) की लोक निर्माण विभाग शाखा ने रुद्रा पॉइंट से ट्रैक बनाने का कार्य शुरू कर दिया है। 6 साल पहले 2013 की केदार आपदा के बाद की पैदल दूरी 14 से बढ़कर 16 किलोमीटर हो गई थी। पैदल मार्ग पर चढ़ाई भी पहले की अपेक्षा काफी कठिन है। लिनचोली से केदारनाथ तक यात्रियों को खड़ी चढ़ाई नापनी पड़ती है। यह मार्ग भीमबली से दूसरी ओर की पहाड़ी पर बनाया गया है, जो लिनचोली से रुद्रा पॉइंट होते हुए केदारनाथ धाम पहुंचता है। रुद्रा पॉइंट से मंदिर तक दो किलोमीटर पैदल मार्ग सीधा एवं समतल है। यहीं तक घोड़ा-खच्चर से आवाजाही कराई जाती है। यहां से मंदिर तक दो किलोमीटर का सफर यात्रियों को पैदल तय करना पड़ता है, जिससे बुजुर्ग यात्रियों को काफी परेशानी भी होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रशासन रुद्रा पॉइंट से केदारनाथ तक बैटरी चालित ई-रिक्शा के संचालन की कोशिश कर रहा है। रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल के अनुसार प्रशासन इसी यात्रा सीजन के दौरान अक्टूबर में ई-रिक्शा का ट्रायल लेगा और उम्मीद है कि इसके बाद ट्रैक पर ई-रिक्शा चलने लगेंगे।


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उत्तराखंड में 442 बाघ, बाघ संरक्षण में प्रदेश पहले पायदान पर: वन मंत्री

देहरादून, 29 जुलाई (भाषा) उत्तराखंड के वन मंत्री हरक सिंह रावत ने सोमवार को बताया कि 2018 की गणना के अनुसार उत्तराखंड में 442 बाघ हैं और राज्य के क्षेत्रफल और बाघों की संख्या के अनुपात के हिसाब से प्रदेश बाघों के संरक्षण में प्रथम स्थान पर है। अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में प्रधानमंत्री आवास पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में शिरकत करते हुए वन मंत्री रावत ने यह जानकारी दी। यहां जारी एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, वन मंत्री रावत ने बताया कि 2018 की गणना के अनुसार, मध्य प्रदेश में 526 एवं कर्नाटक में 524 और उत्तरखण्ड में 442 बाघ हैं लेकिन बाघों के आंकड़े और राज्य के क्षेत्रफल का अनुपात में देखा जाए तो उत्तराखंड बाघों के संरक्षण में प्रथम स्थान पर है। उन्होंने कहा कि कॉर्बेट टाइगर डिवीजन में भी बाघों की संख्या 250 है जो पूरे देश में प्रथम स्थान पर है। रावत ने कहा कि तीसरे आधार को भी देखा जाए तो ‘नॉन टाइगर डिवीजन’ के आधार पर भी उत्तराखंड में बाघों की संख्या पूरे भारत के किसी भी राज्य के नॉन टाइगर डिविजन में सबसे ज्यादा है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, उत्तराखण्ड के सभी 13 जिलों में टाइगर की मौजूदगी प्राप्त हुई और इसके अलावा भारत के किसी भी अन्य राज्य में सभी जिलों में बाघ नहीं पाया गया है अर्थात इस दृष्टि से भी बाघ संरक्षण की दिशा में उत्तराखण्ड प्रथम स्थान पर है। वन मंत्री ने यह भी बताया कि बाघों की गणना राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों की देख-रेख में की गई है, जिसकी उन्होंने स्वयं निगरानी की। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने भी यहां एक बयान जारी कर उत्तराखंड में बाघों की संख्या बढने पर खुशी जाहिर की और कहा कि उत्तराखंड जैव विविधता, पर्यावरण व वन्य जीव संरक्षण के लिए संकल्पबद्ध है। उन्होंने कहा कि ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन 2018 की रिपोर्ट के अनुसार 2010 में उत्तराखंड में 227 बाघ थे जो 2014 में बढकर 340 और 2018 में बढकर 442 हो गए हैं। वर्ष 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग घोषणा-पत्र में वर्ष 2022 तक बाघों की संख्या दोगुनी करने के लक्ष्य का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि भारत ने यह लक्ष्य चार साल पहले ही हासिल कर लिया है जिसमें उत्तराखंड का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वन व वन्य जीवन का संरक्षण उत्तराखंड की संस्कृति में है। बाघ को पारिस्थितिक तंत्र की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी बताते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा कहा भी गया है कि 'वन हैं तो बाघ हैं और बाघ हैं तो वन हैं।' मुख्यमंत्री ने कहा कि कल मसूरी में हिमालयी राज्यों के सम्मेलन में भी सभी प्रतिभागी राज्यों के प्रतिनिधियों ने विकास व पर्यावरण संरक्षण में संतुलन रखते हुए सतत विकास का संकल्प लिया है और प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हम सतत विकास के लिए प्रयत्नशील हैं।


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उत्तराखंड: बाघों का कुनबा बढ़ा, संख्या पहुंची 442 के पार

देहरादून अखिल भारतीय आंकलन 2018 के नतीजों के अनुसार में बाघों की संख्या 442 पार हो गई है। राज्य के लिए यह एक खास उपलब्धि है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत का कहना है कि यह उत्तराखंड जैव विविधता, पर्यावरण और वन्य जीव संरक्षण की संकल्पबद्धता का नतीजा है। ऑल इंडिया टाइगर एस्टिमेशन 2018 की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2010 में उत्तराखंड में 227 बाघ थे, जो कि वर्ष 2014 में 340 तथा वर्ष 2018 में बढकर 442 हो गए हैं। वर्ष 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग डिक्लेरेशन में वर्ष 2022 तक बाघों की संख्या दोगुनी करने का लक्ष्य रखा गया था। भारत ने यह लक्ष्य चार साल पहले ही हासिल कर लिया। इसमें उत्तराखंड का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वन और वन्य जीवन का संरक्षण उत्तराखंड की संस्कृति में है। बाघ फूड चेन में सबसे ऊपर हैं। बाघ पारिस्थितिक तंत्र की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है। यह कहा भी गया है कि वन हैं तो बाघ हैं और बाघ हैं तो वन हैं। राज्य में बाघों की संख्या में 102 बाघों का इजाफा हुआ है। हालांकि देश में बाघों की संख्या के लिहाज से उत्तराखंड तीसरे स्थान पर है। टाइगर गणना जारी होने के बाद यह भी साफ़ हुआ है कि क्षेत्रफल के मद्देनजर घनत्‍व के हिसाब से उत्तराखंड पहले नंबर पर आ गया है। देश के टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्‍या के लिहाज से कॉर्बेट टाइगर रिजर्व पहले स्‍थान पर है। राज्य के अन्य टाइगर रिजर्व क्षेत्रों में भी बाघ संरक्षण के लिए उत्तराखंड अव्‍वल साबित हुआ है। 2014 में हुई अखिल भारतीय स्तर की बाघ गणना के अनुसार प्रदेश में 340 बाघ थे। 2017 की राज्य स्तरीय बाघ गणना में यह आंकड़ा 361 पहुंच गया था। 2018 की अखिल भारतीय बाघ गणना के अनुसार उत्तराखंड, देश में मध्‍यप्रदेश (526) और कर्नाटक (524) के बाद तीसरे स्थान पर है। उत्तराखंड में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के अलावा राजाजी टाइगर रिजर्व और 12 वन प्रभागों में बाघ हैं। प्रदेश में बाघों का कुनबा लगातार बढ़ रहा है।


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रविवार, 28 जुलाई 2019

हिमालयन कॉन्क्लेवः पहाड़ी राज्यों की मांग- हिल स्टेट्स के लिए केंद्र में बने अलग मंत्रालय, ग्रीन बोनस भी मिले

मसूरी उत्तराखंड के मसूरी में 10 राज्यों के प्रतिनिधियों के सम्मेलन में शामिल सभी सदस्यों ने इस बात पर सहमति जताई है कि हिमालयी क्षेत्रों के मामलों को देखने के लिए केंद्र में एक अलग मंत्रालय का गठन किया जाना चाहिए। सम्मेलन में हिमालयी राज्यों को देने की भी मांग की गई है। इसके अलावा पर्यटन के बढ़ते बोझ को कम करने के लिए हिमालयी क्षेत्रों में नए टूरिस्ट डेस्टिनेशन विकसित करने की योजना पर भी चर्चा की गई। भी हुईं शामिल गौरतलब है कि पहाड़ी राज्यों के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए उत्तराखंड के मसूरी में 'हिमालयन कॉन्क्लेव' आयोजित किया गया है। इसमें 10 राज्यों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। केंद्रीय वित्त मंत्री के अलावा हिमाचल प्रदेश के सीएम जयराम रमेश, मेघालय के सीएम केसी संगमा, नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो, वित्त आयोग के चेयरपर्सन एनके सिंह और नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार इस सम्मेलन में शामिल हैं। मीटिंग में खासतौर पर पहाड़ी राज्यों की मुद्दों और समस्याओं को लेकर चर्चा की गई। विस्थापन पर चिंता अलग-अलग राज्यों से आए प्रतिनिधियों ने सीमावर्ती इलाकों से विस्थापन पर चिंता व्यक्त की। वहीं, पहाड़ी राज्यों में पर्यटन केंद्रों पर बढ़ते बोझ को कम करने के लिए नए डेस्टिनेशन्स के विकास की योजना पर जोर दिया गया। इसके अलावा, पहाड़ी राज्यों के मुद्दों को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार में एक अलग मंत्रालय बनाने पर सभी सदस्यों ने एक स्वर में सहमति जताई। साथ ही, सम्मेलन में इकलॉजिकल सर्विस देने के लिए पहाड़ी राज्यों को ग्रीन बोनस देने की केंद्र सरकार से मांग भी की गई। असम के प्रतिनिधि नहीं हुए शामिल सम्मेलन में शामिल सदस्यों ने मीटिंग को सफल करार देते हुए कहा कि की समस्याओं से निपटने के लिए इस तरह के कॉन्क्लेव का आयोजन साल में एक बार जरूर किया जाना चाहिए। सम्मेलन में असम के अलावा सिक्किम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, मिजोरम और जम्मू-कश्मीर के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था। असम में बाढ़ की भयावह स्थिति की वजह से वहां के प्रतिनिधि सम्मेलन में मौजूदगी दर्ज नहीं करा सके।


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उत्तराखंड: हरिद्वार में कांवड़ियों का सैलाब, बरसाए गए फूल

हरिद्वार तीर्थ नगरी हरिद्वार में हर ओर बोल बम की गूंज है। शिवरात्रि का कांवड़ मेला अपने चरम पर है। यहां पर कांवड़ियों के सैलाब को थामना किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। इसी बीच रविवार को कांवड़ियों पर हेलिकॉप्टर से फूल बरसाए गए। शिवभक्तों के जनसैलाब के बीच अचानक आसमान से फूल बरसने लगे। दरअसल में जिला प्रशासन ने शिवभक्तों पर हेलिकॉप्टर से पुष्पवर्षा की योजना बनाई थी, रविवार को इसी के तहत कावड़ियों पर जमकर फूल बरसाए गए। एसएसपी जन्मेजय खंडूरी ने कहा, 'हमें प्रदेश सरकार की तरफ से कांवड़ यात्रियों पर फूल बरसाने का आदेश दिया है। राज्य के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने ऐसा आदेश दिया है।' पुष्पवर्षा का दृश्य देखकर हर कोई जय शिवशंकर का उद्घोष करता नजर आया। कांवड़ियों के सैलाब को थामना चुनौती बन गया है। यह किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। हरिद्वार में चहुंओर जाम का नजारा पुलिस के भी हाथ पांव फुला रहा है। भारी कांवड़ियों की भीड़ से शहर में आधा दर्जन के करीब एम्बुलेंस जाम में फंसी रही। जीवन दायिनी सेवा 108 की एम्बुलेंस भी इसमें शामिल थी। कुछ एम्बुलेंस तो गर्भवती महिलाओं को डिलिवरी के लिए ले जा रही थी, लेकिन इस जाम में फंसने के बाद उनको भारी फजीहत झेलनी पड़ी।


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जल लेकर ऋषिकेश जा रहे कांवड़ यात्रियों के वाहन पर गिरी चट्टान, चार श्रद्धालुओं की मौत

देहरादून के टिहरी-गढ़वाल जिले में भूस्खलन के दौरान गिरी एक चट्टान की चपेट में आने से चार कांवड़ यात्रियों की मौत हो गई। इस घटना में कई अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं, जिन्हें इलाज के लिए ऋषिकेश के एम्स में रेफर कर दिया गया है। स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, हादसा जिले के नरेंद्र नगर क्षेत्र के पास हुआ था। मिली जानकारी के अनुसार, टिहरी के नरेंद्र नगर इलाके से कुछ कांवड़ यात्री एक टाटा सूमो वाहन में सवार होकर ऋषिकेश की ओर जा रहे थे। यह सभी कांवड़ यात्री गंगोत्री से गंगाजल लेकर ऋषिकेश की ओर बढ़ रहे थे, इसी दौरान नरेंद्र नगर के पास राष्ट्रीय राजमार्ग-94 पर इनके वाहन पर अचानक एक चट्टान गिर गई। इस घटना में यात्रियों की कार चट्टान की चपेट में आकर क्षतिग्रस्त हो गई। इसके अलावा पास से गुजर रहा एक मोटरसाइकल सवार भी इस चट्टान के नीचे दब गया। एसडीआरएफ और पुलिस का रेस्क्यू ऑपरेशन हादसे के बाद स्थानीय ग्रामीणों ने पुलिस को इसकी जानकारी दी और फिर राज्य आपदा प्रबंधन विभाग, पुलिस एवं स्थानीय प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे। अधिकारियों के यहां पहुंचने के बाद मौके पर सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन की शुरुआत हुई। सूत्रों के अनुसार, इस घटना में अब तक 4 लोगों की मौत हुई है और कई अन्य घायल बताए जा रहे हैं। प्रशासन ने घायलों को गंभीर हालत में ऋषिकेश के एम्स में इलाज के लिए भेजा है। वहीं इलाके में अब भी मलबे के नीचे श्रद्धालुओं के दबे होने की आशंका में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं।


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ऋषिकेश में राम झूला पुल पर कांवड़ मेले से बढ़ा दबाव, टूटे 4 तार

ऋषिकेश के ऋषिकेश में लक्ष्मण झूला पुल पर आवाजाही बंद होने के कारण राम झूला पुल पर दबाव बढ़ गया। इस कारण शनिवार देर शाम को कांवड़ियों और अन्य लोगों की भीड़ से राम झूला पुल के भी चार तार टूट गए। इससे भगदड़ की स्थिति बनते-बनते बची। इसके बाद प्रशासन ने तत्काल लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को इसकी सूचना दी। विभाग के इंजिनियरों ने कई घंटों की मशक्कत के बाद रात करीब 8 बजे पुल की मरम्मत पूरी की। इस दौरान शाम पांच से रात 8 बजे तक पुल से आवागमन बंद किया गया। टिहरी के एसएसपी योगेंद्र सिंह रावत के अनुसार पुल पर दोपहिया वाहनों की आवाजाही बंद करा दी गई है। लोगों की भी सीमित संख्या में आवाजाही रखने के लिए दोनों ओर बैरिकेडिंग लगा दिए गए हैं। लक्ष्मण झूला और राम झूला पुल की जांच की सर्वे रिपोर्ट में लोक निर्माण विभाग ने लक्ष्मण झूला पुल पर आवाजाही पूर्ण रूप से बंद करने और राम झूला पुल पर सीमित संख्या में आवाजाही करने सहित वाहनों के आवागमन पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाने के लिए कहा था। स्थानीय प्रशासन की लापरवाही यह रही कि उसने राम झूला पुल पर वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध नहीं ही लगाया, जिसका नतीजा शनिवार को दुर्घटना होते होते बची। पुल की भार वहन क्षमता 500 किलोग्राम प्रति स्क्वेयर मीटर है लेकिन निर्माण के अनुसार 34 साल बीत जाने के बाद आवाजाही बढ़ने से पुल की वहन क्षमता काफी कम हो गई है। इसकी जानकारी होते हुए भी प्रशासन और पुलिस ने राम झूला पुल पर बेतरतीब तरीके से आवाजाही चालू रखी।


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मसूरी में हिमालयन कॉन्क्लेव शुरू, जल संरक्षण पर विशेष चर्चा

की शुरुआत मसूरी में हो गई है। इस कॉन्क्लेव के दौरान हिमालयी राज्य किस प्रकार से जल संरक्षण में केंद्र का सहयोग करे, इस पर विशेष रूप से फोकस होगा। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन से निपटने, सभी राज्यों के लिए एक आपदा प्रबंधन तंत्र तैयार करने और ग्रीन बोनस जैसे मुद्दों को भी उठाया जाएगा। कॉन्क्लेव में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, मेघालय के मुख्यमंत्री केसी संगमा, अरुणाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री चौना मेन, मिजोरम के मंत्री टीजे लालनंत्लुआंगाए, त्रिपुरा के मंत्री मनोज कांति देब सहित कई बड़ी हस्तियां शामिल हो रही हैं। मेजबान राज्य उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि देश की अधिकतर नदियों का स्रोत हिमालय ही है। ऐसे में इस बात पर चर्चा हमारी प्राथमिकता में है कि जल संरक्षण में केंद्र को हम कैसे सहयोग करें। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के जल संचय अभियान में इस तरह से हिमालयी राज्यों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। रावत ने कहा कि सभी राज्य देश में पहली बार हो रहे इस तरह के सम्मेलन में एक साझा विकास के फ्रेमवर्क पर भी मंथन करेंगे।


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शनिवार, 27 जुलाई 2019

11 राज्यों के हिमालयी कॉन्क्लेव पर देश भर की निगाहें

देहरादून उत्तराखंड के मसूरी में रविवार को देश के 11 हिमालयी राज्यों के हिमालयी कॉन्क्लेव पर देश भर की निगाहें हैं। नीति आयोग के सदस्यों के साथ प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रतिनिधियों, छह पर्वतीय राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के भी इस एक दिवसीय विचार विमर्श में उपस्थित रहने की संभावना है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने कहा कि रविवार को मसूरी में आयोजित हो रहे में हिमालयी राज्यों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर व्यापक चर्चा होगी। पर्यावरण संरक्षण, आपदा प्रबंधन जैसे विषयों पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि वन अधिनियम एवं वन क्षेत्र की अधिकता जैसे समान ज्वलन्त समस्याएं भी इस सम्मेलन में विमर्श का हिस्सा रहेंगी। सभी राज्यों के कॉमन एजेंडा पर भी सम्मेलन में चर्चा होगी। मुख्यमंत्री के अनुसार हिमालयी राज्य प्रधानमंत्री के जल-संचय, जल-संरक्षण की मुहिम को भी आगे बढ़ाएंगे। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के अनुसार हिमालयी राज्यों के सम्मेलन का प्रमुख एजेंडा जल संरक्षण रहेगा। नदियों, ग्लेशियर, झीलों तथा जल स्त्रोतों को संरक्षित करने के साथ ही सूख चुकी नदियों और जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित करने पर फोकस रहेगा भारत की अधिकांश नदियों का स्रोत हिमालय ही है. इसलिए प्रधानमंत्री के जल संचय अभियान में हिमालयी राज्यों की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है। 11 हिमालयी राज्य किस प्रकार जल संरक्षण में केंद्र का सहयोग कर सकते हैं, इस पर मंथन होगा। जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, आसाम, हिमाचल प्रदेश, मेघालय, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, नागालैंड, मिजोरम और मणिपुर के प्रतिनिधि इस कॉन्क्लेव में आमंत्रित हैं। इन 11 पर्वतीय राज्यों की विशिष्ट भौगोलिक बनावट, दुरुहता, दुर्गमता और अंतर्संरचनात्मक कमियों के साथ अवस्थापना के दोषों से जिन विकट समस्याओं का अनुभव किया जा रहा हैं, उन्हें समझने और उनके समाधान का यह बेहतर अवसर साबित हो सकता है। 11 राज्यों के प्रतिनिधि अपने पर्वतीय राज्यों द्वारा भोगी जा रही समस्याओं तथा इनके निदान हेतु व्यावहारिक, दृश्य और सारगर्भित सामाजिक योजनाओं का खाका प्रस्तुत करेंगे, जिसे पर्वतीय विकास की रणनीति बनाने हेतु नीति आयोग के सम्मुख रखा जाएगा। हिमालयी राज्यों में सबसे बड़ी समस्या तो रोजगार पाने के लिए स्थानीय निवासियों द्वारा किया गया प्रवास है। इससे उपजे पलायन से परंपरागत व्यवसाय तथा स्थानीय अर्थव्यवस्था चौपट हो रही है। पलायन के कारण इस राज्य की अर्थव्यवस्था को मनी आर्डर इकॉनमी कहा जाता रहा। लोक थात और लोक शिल्प का अधोपतन जारी है। ऐसे में अपने राज्यों की वित्तीय स्थिति मजबूत करने के लिए अपने पर्यावरण क्षेत्र में दिए गए योगदान के ऐवज में पर्वतीय क्षेत्र अपनी नैसर्गिक प्राकृतिक संपदा द्वारा प्रदान की जा रही पारिस्थितिकी सेवाओं के बदले ग्रीन बोनस की भी मांग करता रहा है। वन कानूनों के अधकचरे क्रियान्वयन, हक हकूक की उपेक्षा, वनवासियों की व्यथा कथा और वन महकमे के तमाम तुगलकी फरमानों से हिमालय में पर्यावरण का अनुकूलतम संवर्धन और समुचित संरक्षण नहीं हो सका है। ग्लेशियर सिमट रहे हैं, बुग्यालों और फ्लोरा-फोना का अस्तित्व ही संकट में है। मसूरी के प्रस्तावित एक दिवसीय कानक्लेव में पर्वतीय प्रदेशों को विशिष्ट दर्जा दिए जाने की मांग भी प्रस्तावित है। उत्तराखंड को भी 14वें वित्त आयोग में विशेष दर्जा न मिल पाने का मलाल है। सम्मेलन में नीति आयोग और प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारियों को मुख्यमंत्रियों और खासकर वित्त मंत्री की अध्यक्षता से स्पष्ट तथा दो टूक नीति का समर्थन मिलेगा, ऐसी राज्यों की आशा है। वह पर्वतीय प्रदेश की पीड़ा को समझें और उनकी तर्कसंगत समाधान की योजना बनाएं। पिछले 5 वर्षों में यह विरोध और अधिक लोचदार भी हो गया है। इनके निदान के लिए एक बेहतर व कारगर समंजन तथा संवाद समायोजन की आवश्यकता होती है, जिसके लिए आंचलिक विशिष्टताओं और स्थानीयता कि गहरी समझ व संवेदनशीलता होनी जरूरी है।


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उत्तराखंड: नेपाल जा रहे पांच युवकों को इमिग्रेशन चेक पोस्ट ने रोका, चीनी होने का संदेह

देहरादून उत्तराखंड के चम्पावत जिले में नेपाल सीमा पर स्थित बनबसा पर दिल्ली से नेपाल जा रहे पांच संदिग्ध युवकों को रोका गया, जिसमें से चार के चीनी नागरिक होने का संदेह है। इनके पास वीज़ा और पासपोर्ट भी नहीं है। उनके साथ पांचवां व्यक्ति तिब्बती है। उसके पास पासपोर्ट समेत अन्य जरूरी कागजात पाए गए हैं, जो उसके तिब्बती होने की पुष्टि करते हैं। तिब्बती व्यक्ति इन लोगों के साथ था, इसलिए उसे भी रोका गया है। जिन चार लोगों के चीनी नागरिक होने का संदेह है, उनकी भाषा समझ में नहीं आने से भाषा जानकारों को बुला लिया गया है। उनके पास से मिली दिल्ली की आईडी भी फर्जी है। जब युवकों की तलाशी ली गई तो उनके पास एक मोबाइल की चिप निकली। उस चिप को जब मोबाइल में डालकर देखा गया तो सभी युवकों की पूरी जानकारी सामने आ गई। इमिग्रेशन चेकपोस्ट अधिकारियों के अनुसार दिल्ली से नेपाल जा रही बस में सवार चीन के नागरिकों की तरह दिखाई दे रहे यह चार लोग संदेह होने पर रोके गए। ये लोग अपनी नागरिकता के संबंध में कुछ भी नहीं बता पाए। वे यह भी नहीं बता पाए कि उनका दिल्ली से नेपाल किसलिए जा रहे हैं। चीनी युवकों के पास एक रिकवरी लेटर मिला है, जिससे पता चला कि चारों चाइनीज युवकों को मुंबई पुलिस ने किसी देश से समुद्र के रास्ते तस्करी कर लाए जा रहे 57 किलो सोने के साथ पकड़ा था, जिसकी कीमत 6 करोड़ 50 लाख रुपये थी, जिसमें चारों युवकों को सजा भी मिली थी। आशंका जताई जा रही है कि ये सभी किसी अंतरराष्ट्रीय तस्कर गिरोह से जुड़े हैं। इनके पास से भारतीय आईडी भी मिली है, जिसकी जांच की जा रही है। बनबसा में तैनात सुरक्षा एजेंसियां और खुफिया तंत्र इन संदिग्ध लोगों के बारे में पूरा ब्यौरा जुटाने में लगे हैं।


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शुक्रवार, 26 जुलाई 2019

उत्तराखंडः सौर ऊर्जा से जगमगाएंगे पर्वतीय इलाके, सरकार ने किया 800 करोड़ का निवेश

देहरादून मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शुक्रवार को राज्य के 208 स्थानीय उद्यमियों को 600 करोड़ की 148.85 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजनाओं के आंवटन पत्र दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि शीघ्र ही 200 करोड़ की 52 मेगावाट की अन्य परियोजनाएं भी स्थानीय विकासकर्ताओं को आवंटित की जाएंगी। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने ऐसे प्रयासों को पर्वतीय क्षेत्रों में आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने बिना कृषि के बंजर होते खेतों के लिए सौर ऊर्जा परियोजना को वरदान बताया। सीएम ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों का आर्थिक विकास राज्य आंदोलन के मूल में रहा है। सौर ऊर्जा के विकास में भागीदार बने लोग भी राज्य बनने के मूल में रहे हैं। आज वे लोग राज्य के आर्थिक विकास के वाहक बने हैं। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा पर्यावरण के अनुकूल है। इस प्रकार वे हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने वाले भी बने हैं। उन्होंने कहा कि इन योजनाओं से प्रति उद्यमी को औसतन 66.5 लाख की वार्षिक आय होगी, जबकि लगभग 850 लोगों को रोजगार उपलब्ध होगा। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि पिछले वर्ष आयोजित इन्वेस्टर्स समिट में सौर ऊर्जा परियोजनाओं के प्रति लोगों में उत्साह देखा गया था। राज्य में निवेश को बढ़ावा देने के लिए इन्वेस्टर्स समिट से पूर्व एक माह में 5 कैबिनेट बैठकें आयोजित कर 5 नीतियों में संशोधन के साथ ही 10 उद्योगों के अनुकूल नीतियां बनाई गईं, जिसके सार्थक परिणाम आने लगे हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि इसके तहत अब तक राज्य में लगभग 16 हजार करोड़ से अधिक निवेश प्राप्त हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वैकल्पिक ऊर्जा के विकास से हम राज्य की ऊर्जा जरूरतों को पूरा कर सकेंगे। अभी राज्य को 1000 करोड़ की बिजली क्रय करनी पड़ रही है। राज्य में पिरूल से ऊर्जा उत्पादन की दिशा में कार्य शुरू हो गया है। इस दिशा में 21 विकासकर्ताओं को योजनाएं आवंटित की जा चुकी हैं। मुख्यमंत्री ने सौर ऊर्जा की परियोजनाओं के क्रियान्वयन में बड़ी संख्या में महिलाओं की भागीदारी को भी सुखद बताया है। उनका कहना है कि हमारी शिक्षित महिलाओं का आर्थिक रूप से मजबूत होना राज्य और समाज के हित में है। राज्य की महिलाओं की भागीदारी हर क्षेत्र में हो इसके प्रयास किए जा रहे हैं। आवंटित की गई सौर ऊर्जा परियोजनाओं के सम्बन्ध में सचिव ऊर्जा राधिका झा ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा उत्तराखण्ड सौर ऊर्जा नीति को संशोधित कर 50 मेगावॉट क्षमता के सोलर पावर प्लान्ट्स की स्थापना, प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में प्रदेश के मूल/स्थाई निवासियों हेतु ही आरक्षित कर दी गई थी। साथ ही पारम्परिक और नवीकरणीय तरीकों से ऊर्जा उत्पादन को उद्योग की श्रेणी में सम्मिलित करते हुए, इन परियोजनाओं के लिए उत्तराखण्ड सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग की श्रेणी में सम्मिलित करते हुए इन परियोजनाओं के लिए उत्तराखण्ड सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग नीति-2015 में प्रदत्त समस्त सुविधाएं भी अनुमन्य की गई थीं। सीएम ने बताया कि इस नीति के तहत आमंत्रित निविदा के सापेक्ष उक्त 208 अभ्यर्थियों को चयनित किया गया है। उत्तराखण्ड विद्युत नियामक आयोग ने सोलर पावर प्लान्ट से उत्पादित विद्युत हेतु निर्धारित विद्युत विक्रय दर रू. 4.73 प्रति यूनिट की सीमा के अर्न्तगत अपने आवेदन प्रस्तुत किए गए थे। संयत्रों को आवंटन न्यूनतम दर दाता अभ्यर्थियों को किया गया है। उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में न्यूनतम दर 3.30 रुपये प्रति यूनिट तथा अधिकतम दर 4.71 रुपये प्रति यूनिट पाई गई। संयत्रों की स्थापना विकासकर्ताओं द्वारा अपने वित्तीय संसाधनों से पूर्ण कराई जाएगी जिससे राज्य में निजी क्षेत्र में लगभग 6 सौ करोड़ रूपये का निवेश होगा। आवंटित किए गए संयत्रों की क्षमता 100 किलोवाट से 5000 किलोवाट तक के मध्य है। जिनकी कुल सम्मिलित क्षमता 148.85 मेगावाट है। 1000 किलोवाट क्षमता के संयंत्र से प्रति वर्ष लगभग 14.00 लाख यूनिट विद्युत का उत्पादन होता है जिसको आगामी 25 वर्षों तक क्रय किए जाने के लिए यूपीसीएल पावर परचेज एग्रीमेंट हस्ताक्षरित करेगा। आवंटित की गई परियोजनाओं में अल्मोड़ा से 23, बागेश्वर से 01, चम्पावत से 02, चमोली से 10, देहरादून से 14, नैनीताल से 31, पौड़ी से 45, पिथौरागढ़ से 01, टिहरी से 61 एवं उत्तरकाशी से 20 शामिल हैं। इन संयत्रों की स्थापना के लिए जून 2020 तक की समय सीमा निर्धारित है। इस योजना के अर्न्तगत इच्छुक अन्य अभ्यर्थियों से 52 मेगावाट क्षमता की परियोजनाओं की स्थापना के लिए भी प्रस्ताव मांगे गए हैं जो कि ऑनलाइन 22 अगस्त 2019 तक जमा कराए जा सकते हैं।


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देहरादूनः सीएम का ऐलान- सेना के पहचान-पत्र से सचिवालय में प्रवेश कर सकेंगे सैनिक

देहरादून उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में शुक्रवार को के मौके पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने स्मारक पर पुष्प-चक्र अर्पित कर कारगिल शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने ऐलान किया कि सैनिकों और पूर्व सैनिकों की समस्याओं के समाधान के लिए प्रदेश स्तर पर अपर मुख्य सचिव नोडल आफिसर नियुक्त किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सैनिकों के लिए सचिवालय में प्रवेश हेतु उनका सेना का पहचान-पत्र मान्य होगा और उन्हें सचिवालय में प्रवेश करने के लिए अलग से लाइन में खड़ा नहीं होना पड़ेगा। सीएम ने बताया कि प्रत्येक जिलों में भी सैनिकों और पूर्व सैनिकों की समस्याओं के निस्तारण के लिए अपर जिलाधिकारी को नोडल अधिकारी बनाया गया है। देहरादून के गांधी पार्क में आयोजित कार्यक्रम में सीएम ने कहा कि भारत की जल-थल-वायु सेना आज हर मोर्चे पर अग्रणी स्थिति में है। उन्होंने कहा कि देश को सुरक्षित रखने के लिए शास्त्रों का ज्ञान होना चाहिए, वहीं देश की सीमाएं सुरक्षित रखने के लिए शस्त्रों से भी मजबूत होना जरूरी है। इस दौरान सीएम ने कहा कि मुख्यमंत्री हेल्पलाईन नंबर 1905 पर कोई भी व्यक्ति अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है और जब तक शिकायतकर्ता संतुष्ट न हो तब तक शिकायत का निस्तारण नहीं माना जाएगा। सीएम हेल्पलाईन नंबर की प्रत्येक माह मुख्य सचिव समीक्षा करते हैं। उन्होंने कहा कि समय-समय पर मुख्यमंत्री स्वयं इसकी समीक्षा करेंगे। सीएम ने कहा कि देहरादून में एक विशाल और भव्य शौर्य स्थल बनाया जाएगा। इस शौर्य स्थल में देश की रक्षा के लिए अपना बलिदान देने वाले सैनिकों का नाम होगा। यह शौर्य स्थल आधुनिक होगा और यहां पर अनेक प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध होंगी। सीएम ने कहा कि शौर्य स्थल के लिए देहरादून में भूमि चिन्हित कर ली गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार सैनिकों और पूर्व सैनिकों को हर संभव मदद करेगी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने पदक विजेता सैन्य अधिकारियों, सैनिकों, सैनिकों के परिजनो और वीर नारियों को सम्मानित भी किया।


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उत्तराखंड में 600 करोड़ रुपये की लागत की 148.85 मेगावाट की सौर उर्जा परियोजनाओं का आवंटन

देहरादून, 26 जुलाई (भाषा) उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शुक्रवार को राज्य के 208 स्थानीय उद्यमियों को 600 करोड़ रुपये की लागत की 148.85 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजनाओं के आंवटन पत्र वितरित किये। मुख्यमंत्री रावत ने यहां आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि शीघ्र ही 200 करोड़ रुपये की 52 मेगावाट क्षमता की और परियोजनायें भी स्थानीय विकासकर्ताओं को आवंटित की जायेंगी। उन्होंने ऐसे प्रयासों को पर्वतीय क्षेत्रों में आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण कदम बताते हुए कहा कि अलग राज्य के लिए आंदोलन के मूल में पर्वतीय क्षेत्रों का आर्थिक विकास था और सौर ऊर्जा के विकास में भागीदार बनने वाले लोग भी आज राज्य के आर्थिक विकास के वाहक बने हैं। रावत ने सौर ऊर्जा को पर्यावरण के अनुकूल बताते हुए कहा कि इन योजनाओं से प्रति उद्यमी औसतन 66.5 लाख रुपये की वार्षिक आय होगी जबकि लगभग 850 लोगों को रोजगार उपलब्ध होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि वैकल्पिक ऊर्जा के विकास से हम राज्य की ऊर्जा जरूरतों को पूरा कर सकेंगे। अभी राज्य को 1000 करोड़ रुपये की बिजली क्रय करनी पड़ रही है।


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उत्तराखंडः समय पर पंचायत चुनाव न कराने पर सरकार और ईसी को फटकार, हाई कोर्ट ने मांगा जवाब

नैनीताल नैनीताल हाईकोर्ट ने तय समय पर न करा पाने पर सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को फटकार लगाई है। सरकार ने 31 जुलाई तक मामले में सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग से जवाब दाखिल करने को कहा है। हाई कोर्ट ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया है। इसके अलावा द्वारा पंचायत में नियुक्त प्रशासकों के नीतिगत फैसलों पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। अदालत ने कहा है कि वे (पंचायत प्रशासक) काम तो करेंगे लेकिन कोई भी नीतिगत निर्णय नहीं ले सकते। हाईकोर्ट ने कहा है कि बुधवार यानी 31 जुलाई तक सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग शपथ-पत्र के साथ जवाब दाखिल करे। राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से कहा गया कि 4 महीनों के भीतर राज्य में पंचायत चुनाव करा दिया जाएगा लेकिन कोर्ट इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुई। राज्य निर्वाचन आयोग को फटकार लगाते हुए कोर्ट ने कहा कि जब 15 जुलाई को पंचायतों का कार्यकाल खत्म हो गया था तो संवैधानिक संकट का हवाला देते हुए राज्य निर्वाचन आयोग ने कोर्ट में याचिका दाखिल क्यों नहीं की? मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान यह भी टिप्पणी की कि चुनाव आयोग संवैधानिक संस्था है पर संवैधानिक दायित्व निभाने पर चुप रहा। गौरतलब है कि राज्य में 15 जुलाई को ग्राम पंचायतों का कार्यकाल खत्म हो गया। संविधान और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, कार्यकाल पूरा होने तक चुनाव कराया जाना अनिवार्य है लेकिन सरकार ने चुनाव कराने की बजाए राज्य में 6 जुलाई को ग्राम पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति कर दी। इसके बाद गूलरभोज ऊधम सिंह नगर के रहने वाले नईम अहमद ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर सरकार को संवैधानिक कर्तव्य निभाने में नाकाम बताते हुए याचिका में मांग की कि राज्य में संविधान के अनुछेद 356 के तहत सरकार को हटाकर राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए।


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‘भारतीय वैज्ञानिकों ने आकाशगंगा में 28 नये तारे खोजे’

नैनीताल, 26 जुलाई (भाषा) आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान के वैज्ञानिकों ने यहां आकाशगंगा गैलेक्सी में 28 नये परिवर्तनशील तारे खोजे हैं। संस्थान के निदेशक वहाबउद्दीन ने नये परिवर्तनशील तारों के निष्कर्षों को ‘‘दुर्लभ उपलब्धि’’ बताया। इन तारों की चमक बदलती रहती है। संस्थान के पूर्व निदेशक और अब यहां वरिष्ठ वैज्ञानिक के रूप में कार्यरत अनिल पांडेय ने कहा कि यह पहली बार है कि ‘कोमा बेरेनाइसीस’ तारामंडल के गोल तारागुच्छ ‘एनजीसी 4147’ में इन तारों की पहचान हुई है। पांडेय ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘संस्थान के वैज्ञानिकों की खोज गोल तारागुच्छ की संरचना के बारे में जानकारी बढाने में महत्वपूर्ण हो सकता है।’’ उन्होंने कहा कि नये परिवर्तनशील तारों की खोज के अलावा, अध्ययन से ‘एनजीसी 4147’ की आंतरिक संरचना के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त होती हैं। यह तारागुच्छ पृथ्वी से पहले जितना सोचा गया था उससे ज्यादा पास स्थित है। पांडेय ने कहा कि डॉक्टर स्नेहलता और डॉक्टर ए के पांडेय नीत संस्थान की अनुसंधानकर्ताओं की टीम ने नैनीताल के पास 2016 में स्थापित 3.6 मीटर लंबी देवस्थल ऑप्टीकल दूरबीन की मदद से तारागुच्छ ‘एनजीसी 4147’ की फोटोमेट्रिक अवलोकन किया।


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ऑक्सीजन छोड़ने वाला एकमात्र पशु है गाय: मुख्यमंत्री

देहरादून, 26 जुलाई (भाषा) उत्तराखंड भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट के बाद अब राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी यह कहते हुए एक नया विवाद छेड़ दिया है कि गाय ऑक्सीजन छोड़ने वाला एकमात्र पशु है । भट्ट ने यह भी कहा कि गाय की मालिश करके सांस संबंधी समस्या का उपचार किया जा सकता है। वायरल हुए एक वीडियो में मुख्यमंत्री रावत एक समारोह में गाय के रोगनाशक गुणों के बारे में बताते दिखाई दे रहे हैं। वीडियो में रावत कह रहे हैं, ‘‘गाय एकमात्र ऐसा पशु है जो ऑक्सीजन लेता और छोड़ता है, इसलिये हमने गाय को माता का दर्जा दिया है क्योंकि वह हमें प्राणवायु देती है।' वह कहते दिख रहे हैं कि गाय की मालिश करने से सांस की तकलीफ दूर हो जाती है और गाय के संपर्क में लगातार रहने से टीबी जैसी बीमारी ठीक हो जाती है। वीडियो में मुख्यमंत्री गाय के गोबर और गौमूत्र के औषधीय गुणों के बारे में भी बता रहे हैं। उन्होंने कहा कि पशुपालन मंत्री रहते हुए उन्होंने इसके बारे में वैज्ञानिक अध्ययन भी कराया था । रावत वीडियो में कहते दिख रहे हैं, ‘‘गाय के गोबर और गौमूत्र में कितनी ताकत है और हमारे शरीर, त्वचा, हृदय और किडनी के लिये यह कितना फायदेमंद है, वैज्ञानिक आज इसे प्रमाणित कर रहे हैं।’’ इससे पहले, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एवं नैनीताल से नवनिर्वाचित सांसद अजय भट्ट ने दावा किया था कि बागेश्वर में बहने वाली गरूड़गंगा के पानी को पत्थर से घिस कर अगर गर्भवती महिला को पिला दिया जाये तो प्रसव के लिए ऑपरेशन की जरूरत नहीं पड़ेगी। मुख्यमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी ने यह कहते हुए मुख्यमंत्री का बचाव किया कि उन्होंने वही कहा है जो उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में आम मान्यता है । उन्होंने नाम उजागर न किये जाने का अनुरोध करते हुए कहा, ‘‘गाय के दूध और गौमूत्र के औषधीय गुणों के बारे में सब जानते हैं और पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले लोग यह भी विश्वास करते हैं कि वह हमें आक्सीजन देती है।'


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गुरुवार, 25 जुलाई 2019

'प्राणवायु' छोड़ती है गाय, ठीक कर सकती है सांस की बीमारी: उत्तराखंड मुख्यमंत्री

कौटिल्य सिंह, देहरादून के त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा है कि दुनिया की एकमात्र ऐसी जीव है जो ऑक्सिजन लेकर ऑक्सिजन ही छोड़ती है। उन्होंने कहा कि गोमाता को थोड़ी देर सहलाने से लोगों की सांस की बीमारी सही हो सकती है। एक वायरल विडियो में मुख्यमंत्री लोगों को गाय की उपयोगिता बताते नजर आ रहे हैं। वायरल विडियो में सीएम रावत कह रहे हैं कि गाय (ऑक्सिजन) छोड़ती है और इसी वजह से उसे 'माता' कहते हैं। वह आगे कहते हैं, 'गाय का गोबर और गोमूत्र भी हमारे लिए बेहद फायदेमंद हैं। किडनी और हृदय के लिए ये दोनों बेहद उपयोगी हैं। कोई टीबी का मरीज अगर गाय के आसपास रहे तो वह भी ठीक हो सकता है। अब हमारे वैज्ञानिक भी इन तथ्यों की पुष्टि कर रहे हैं।' हालांकि उनके इस बयान पर विवाद के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस पर स्पष्टीकरण जारी किया है। मुख्यमंत्री कार्यालय में मौजूद एक सूत्र ने कहा, 'यह पहाड़ के लोगों का गाय को लेकर सामान्य मत है और मुख्यमंत्री ने उसे ही दोहराया है।' उन्होंने कहा कि कुछ लोग मुख्यमंत्री को पसंद नहीं करते हैं, इसलिए बेकार की चीजों को मुद्दा बनाकर उनकी छवि खराब कर रहे हैं। बता दें कि इससे पहले नैनीताल-उधमसिंहनगर के बीजेपी सांसद अजय भट्ट ने भी एक विवाद को हवा दी थी। उन्होंने कहा था कि महिलाओं को अगर सिजेरियन डिलिवरी से बचना है, तो उन्हें गरुड़ गंगा (बागेश्वर में बहने वाली एक पौराणिक नदी) का पानी पीना चाहिए।


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बालिका के साथ नाबालिग ने किया दुष्कर्म

उत्तरकाशी, 25 जुलाई (भाषा) उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के चिन्यालीसौड प्रखंड के एक गांव में एक नाबालिग लड़के द्वारा एक आठ वर्षीया बालिका से कथित दुष्कर्म किये जाने का मामला सामने आया है । पीड़िता की सौतेली मां द्वारा धरासू पुलिस थाने दी गयी शिकायत के अनुसार, उनके ही गांव के रहने वाले 13 वर्षीय लड़के ने कल शाम को बालिका के साथ कथित रूप से दुष्कर्म किया । शिकायत में कहा गया है कि परिवार को घटना के बारे में तब पता चला जब पीडिता ने अपनी मां को आपबीती सुनाई । आरोपी लड़के को आज किशोर न्याय बोर्ड के सामने पेश किया गया जिसने उसे डुंडा स्थित बाल संप्रेषण गृह भेज दिया ।


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नाबालिग लड़के ने बच्ची का किया बलात्कार

उत्तरकाशी, 25 जुलाई (भाषा) जिले के चिनयालीसौर खंड के एक गांव में 13 साल के एक लड़के ने आठ साल की बच्ची का कथित रूप से बलात्कार किया। पुलिस ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। पीड़िता की सौतेली मां ने धरासू थाने में शिकायत दर्ज कराई है जिसमें कहा गया कि लड़के ने बुधवार की शाम लड़की का बलात्कार किया। पुलिस ने कहा कि लड़का भी उसी गांव का रहने वाला है। उन्होंने कहा कि परिवार को इस घटना के बारे में तब पता चला जब लड़की ने अपनी मां को इस बारे में बताया। लड़के को बृहस्पतिवार को किशोर न्याय बोर्ड के सामने पेश किया गया और उसे बाल सुधार गृह भेजा गया है।


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उत्तराखंडः दो से ज्यादा संतान तो नहीं बन पाएंगे ग्राम प्रधान, राज्यपाल ने दी बिल को मंजूरी

देहरादून में जून में पारित को मिल गई है। इसके साथ ही अब राज्य में दो से ज्यादा बच्चों के माता-पिता नहीं लड़ पाएंगे। परिवार नियोजन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह बिल सदन में पेश किया गया था, जिसमें दो से ज्यादा बच्चों वाले लोगों को पंचायत चुनाव की उम्मीदवारी के लिए अयोग्य ठहराने का प्रावधान था। सदन में पारित होने के बाद जुलाई के पहले सप्ताह में इसे राजभवन भेज दिया गया था। विपक्ष ने उठाए सवाल सामान्य तौर पर राजभवन विधानसभा में पारित बिलों को सहजता से मंजूर कर तुरंत सरकार को लौटा देता है लेकिन पंचायती राज संशोधन विधेयक को राजभवन में 15 दिनों तक रहने के बाद मंजूरी मिली है। बताया जा रहा है कि विपक्षी दलों की आपत्तियों को देखते हुए राजभवन ने इसका परीक्षण करने का फैसला लिया था। इसके बाद ही इस बिल को स्वीकृति दी गई है। गौरतलब है कि दो बच्चों की शर्त और शैक्षिक योग्यता के मानक पर विपक्षी दलों की ओर से इस बिल पर सवाल उठाए जा रहे थे। बिल पर राज्यपाल की मुहर ऐसे में जांच-परख के बाद विधेयक से संतुष्ट होने पर ही राज्यपाल ने इस पर मुहर लगाई है। हालांकि, कांग्रेस और पंचायत से जुड़े संगठन इस बिल से खुश नहीं हैं। उनका कहना है कि यह लोकतांत्रिक भावनाओं के खिलाफ है। विरोध करने वाले संगठनों ने कहा है कि वह इस बिल के खिलाफ कोर्ट जाएंगे। बता दें कि सरकार की ओर से जून में इस बिल को विधानसभा में पेश किया गया था, जिसके मुताबिक, पंचायत चुनाव लड़ने के लिए शैक्षिक योग्यता जरूरी कर दी गई थी। साथ ही दो पद एक साथ धारण करने पर भी रोक लगा दी गई थी। शैक्षिक योग्यता भी जरूरी दसवीं कक्षा उत्तीर्ण होने के अलावा पंचायत चुनाव के उम्मीदवार की दो से ज्यादा संतान न होने की शर्त भी इस विधेयक में शामिल है। शैक्षिक योग्यता में महिलाओं और अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों को छूट दी गई है। उनके लिए यह अर्हता 8वीं कक्षा की है। वहीं, अनुसूचित जाति और जनजाति की महिलाओं के लिए पंचायत चुनाव लड़ने हेतु पाचवीं कक्षा उत्तीर्ण होना जरूरी होगा। इस विधेयक में ऐसे लोगों को पंचायत चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित कर दिया गया है जिनकी दो से अधिक जीवित संतानें हों। अगले पंचायत चुनाव में इन प्रावधानो को लागू किया जाएगा।


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नंदप्रयाग में सैनिटरी नैपकिन मशीन लगी

देहरादून, 25 जुलाई (भाषा) नंदप्रयाग नगर पंचायत में समाज सेवी संस्थाओं की मदद से सैनिटरी नैपकिन मशीन लगाई गई है जिसमें एक रुपये का सिक्का डाल कर सैनिटरी नैपकिन प्राप्त किया जा सकता है। नगर पंचायत नंदप्रयाग ने नोएडा की एक संस्था के सहयोग से यह मशीन लगायी है जिससे स्थानीय महिलाओं के साथ ही चारधाम यात्रा पर आने वाली महिलाओं को भी सुविधा होगी । नंदप्रयाग की नगर पंचायत अध्यक्ष हिमानी वैष्णव ने इस संबंध में बताया कि सस्ती तथा प्रत्येक वर्ग की महिलाओं के लिये सुलभ होने के अलावा इस मशीन के लगने से उन्हें दुकान पर जाकर सैनिटरी नैपकिन मांगने में होने वाली हिचकिचाहट से भी मुक्ति मिलेगी ।


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पार्टी नेता मीडिया में बयानबाजी से बचें—उत्तराखंड कांग्रेस

देहरादून, 25 जुलाई :भाषा: उत्तराखंड कांग्रेस ने आज अपने नेताओं तथा वरिष्ठ पदाधिकारियों से मीडिया में बयानबाजी करने की बजाय उचित फोरम पर अपनी बात रखने को कहा जिससे पार्टी संगठन की छवि खराब न हो । प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता आरपी रतूडी ने बताया कि प्रदेश कांग्रेस अनुशासन समिति के अध्यक्ष प्रमोद कुमार सिंह ने कांग्रेसजनों को जारी अपने सुझाव पत्र में अनुरोध किया है कि इलेक्ट्रोनिक, प्रिंट मीडिया एवं सोशल मीडिया में बयानबाजी की बजाय वह अपनी बात पार्टी के उचित फोरम में ही रखें । पत्र में कहा गया है कि प्रायः देखने में आया है कि पार्टी के कुछ पदाधिकारी और नेता बात पार्टी के उचित फोरम में रखने की बजाय मीडिया में बयानबाजी एवं टिप्पणी कर रहे हैं जिससे संगठन की छवि धूमिल होने के साथ ही गुटबाजी को भी बढ़ावा मिल रहा है । सिंह ने कहा है कि इसके अलावा कुछ पदाधिकारी अखिल भारतीय कांगे्रस कमेटी के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद मीडिया डिबेट में भी भाग ले रहे हैं जिसे प्रदेश कांग्रेस अनुशासन समिति ने गम्भीरता से लिया है। रतूड़ी ने बताया कि पार्टी मामलों के प्रदेश प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह एवं प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह जी द्वारा इस संदर्भ में दिये गये स्पष्ट निर्देशों के अनुरूप सिंह ने यह सुझाव पत्र जारी किया है । पत्र में चेतावनी दी गयी है कि यदि भविष्य में किसी भी पदाधिकारी एवं नेता द्वारा इस प्रकार का आचरण किया जाता है तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जायेगी


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गांव में नहीं थी सड़क, खून से लथपथ पत्नी को अस्पताल पहुंचाने में लगे 14 घंटे

इशिता मिश्रा, देहरादून 38 वर्षीय रीना की डिलिवरी के बाद से तबीयत काफी खराब है। करीब 9 दिन पहले उन्होंने एक बच्ची को जन्म दिया था। इसके बाद अनीमिया के चलते रीना को 15 जुलाई को हद से ज्यादा रक्तस्राव और इन्फेक्शन हो गया। मंगलवार को उनके पति रमेश चौहान उन्हें ले गए। हालांकि अस्पताल तक का रास्ता ही असली परीक्षा लेने वाला था। दरअसल रमेश जिस बुरयाला गांव में रहते हैं वह चकराता से 37 किमी की दूरी पर है और अस्पताल तक जाने का रास्ता बेहद दुर्गम है। अपने कुछ पड़ोसियों की मदद से रमेश ने बांस के दो डंडों में चादर बांधकर स्ट्रेचर बनाया और पत्नी को कंधे पर लादकर अस्पताल के लिए निकल पड़े। 13 किमी की दूरी पर रोड थी, वहां तक पहुंचने इन लोगों को 4 घंटे का समय लगा। पूरे रास्ते रीना के रक्तस्राव होता रहा। वहां पहुंचने के दो घंटे बाद ऐंबुलेंस आ पाई और रात के करीब 8 बजे रीना को अस्पताल में भर्ती कराया जा सका। डॉक्टर ने बताया कि इलाज में देरी की वजह से रीना का इन्फेक्शन फैल गया है और अब उसकी हालत गंभीर बनी हुई है। रमेश ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, 'हम रीना को सुबह साढ़े पांच बजे अस्पताल के लिए लेकर निकले थे, मगर खराब रास्ते की वजह से 14 घंटे में वहां तक पहुंच पाए। रास्ते में वह कई बार बेहोश हुई और मुझे लगा कि मैं उसे खो दूंगा।' उन्होंने कहा, 'यह पहली बार नहीं है जब हमारे गांव में किसी को अस्पताल तक पहुंचने में इस तरह की दिक्कत का सामना करना पड़ा हो। बच्चों को भी स्कूल तक पहुंचने में 10 से 15 किमी चलना पड़ता है।' प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अधिशासी अभियंता बीसी पंत ने कहा कि केंद्र सरकार ने 42 किमी लंबी सड़क के लिए 24 करोड़ रुपये का बजट जारी किया है। इस योजना में बुरयाला गांव भी शामिल है।


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भ्रामक लिंगानुपात आंकड़ों से उत्तरकाशी की छवि धूमिल करने के जिम्मेदारों पर हो कार्रवाई : कांग्रेस

देहरादून, 25 जुलाई (भाषा) उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में लिंगानुपात के आंकड़ों को भ्रामक बताते हुए विपक्षी कांग्रेस ने जिला प्रशासन पर देश में जिले की छवि को धूमिल करने का आरोप लगाया और राज्य सरकार से इसके लिये जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। यहां जारी एक बयान में कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप भट्ट ने कहा कि हाल में जारी आंकड़ों के मुताबिक इस वर्ष एक अप्रैल से लेकर 30 जून के बीच जिले के 133 गांवों में 216 प्रसव हुए और सब लडके ही हुए जिससे ऐसा लग रहा है कि जिले में केवल इतने ही गांव हैं और वहां कन्या भ्रूण हत्या का खेल चरम पर है । उन्होंने कहा कि गत 18 जुलाई को स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन द्वारा जारी इन आंकड़ों में यह तथ्य भी था कि इसी तीन महीने की अवधि में इसी जिले के 129 अन्य गांवों में 180 बेटियों ने भी जन्म लिया लेकिन प्रशासन ने सिर्फ 133 गाँव मे जन्मे 216 बेटों के पैदा होने की खबर दी और बेटियों के पैदा होने की जानकारी नहीं दी। उन्होंने कहा कि आंकडों के मुताबिक, इन तीन महीनों में उत्तरकाशी जिले में कुल 961 प्रसव हुए जिनमें 468 बेटे और 479 बेटियों का जन्म हुआ है तथा 14 शिशुओं की मौत हुई है। उत्तरकाशी जिले का लिंगानुपात अन्य जनपदों से बेहतर बताते हुए कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मामले को गंभीरता से लेते हुए उसकी छवि धूमिल करने वाले अधिकारियों को तत्काल बर्खास्त करने की मांग की है । भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य लोकेंद्र बिष्ट ने भी ऐसे भ्रामक आंकड़े प्रस्तुत करने के लिये जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है और कहा है कि इससे उत्तरकाशी जिले की प्रतिष्ठा धूमिल हुई है। इस संबंध में बुधवार को मुख्यमंत्री को भेजे एक ज्ञापन में बिष्ट ने कहा कि पिछले तीन महीने में लिंगानुपात के बारे में हाल में जारी आंकड़े गुमराह करने वाले हैं और इससे देश भर में जिले की छवि धूमिल हुई है। उन्होंने कहा कि मातृ प्रजनन एवं स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में अप्रैल से जून तक कुल 961 प्रसवों में 468 बेटे और 479 बेटियों के जन्म लेने की बात है और इस तरह तीन महीने में जिले में 1000 लडकों पर 1024 बेटियों ने जन्म लिया हैं जो बेहत्तर लिंगानुपात का संकेत है। बिष्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री की ओर से मामले में उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिये गये हैं और जांच के बाद मामले के दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए । उत्तरकाशी के जिलाधिकारी आशीष चौहान ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि जिले में लड़कियों के जन्म लेने की संख्या बेहतर हुई है लेकिन कुछ क्षेत्रों में लड़कियों और लडकों की संख्या में अंतर काफी ज्यादा है जिसकी जांच करायी जा रही है।


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बुधवार, 24 जुलाई 2019

देहरादूनः पबजी खेलने से मना किया तो घर से भाग गए नाबालिग, पुलिस ने दिल्ली से किया बरामद

देहरादून उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में गेम खेलने से मना किया तो नाबालिग बच्चे घर से भाग गए। घरवालों ने बच्चों की काफी तलाश की लेकिन उनका कुछ पता नहीं चला। बाद में पुलिस को इसकी सूचना दी गई। बुधवार को पुलिस ने 5 बच्चों को दिल्ली से बरामद कर उनके परिजन के सुपुर्द कर दिया। बच्चों ने पुलिस की पूछताछ में स्वीकारा है कि पबजी खेलने से मना किए जाने की वजह से ही वे घर से भागे थे। थाने में दर्ज कराई रिपोर्ट खबर के मुताबिक, 11 जुलाई को देहरादून के रहने वाले शमून राणा और डेनियल ने बताया कि उनके बेटे साहिल राणा और आशीष सुबह स्कूल गए थे लेकिन वापस घर नहीं आए। इस पर उन्होंने पुलिस थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने तलाश करते हुए राजपुर, कोठालगेट, कोल्हूखेत, रेलवे स्टेशन और आईएसबीटी के आस-पास के क्षेत्रों की सीसीटीवी फुटेज की तलाशी ली और गुमशुदाओं के संबंध में फोटो पंफलेट तैयार किए। इसके अलावा सभी वॉट्सऐप ग्रुप में भी इस संबंध में सूचना साझा की। गेम आईडी से मिली जानकारी दोनों के पबजी खेलने के आदी होने का पता चलने पर पुलिस ने उनकी गेम आईडी प्राप्त कर साइबर सेल के माध्यम से कंपनी को भेज दिया। 22 जुलाई को सायरा बानो, संगीता, और रामेश्वर ने भी सूचना दी कि उनके भाई और पुत्र, जिनके नाम सरफराज, शुभम और राहुल घर से स्कूल गए थे लेकिन स्कूल से वापस नहीं लौटे। पुलिस को पता लगा कि ये तीनों गुम हुए बच्चे भी पबजी खेलने के शौकीन थे और घरवालों ने इन्हें भी गेम खेलने से मना किया था। दिल्ली से बरामद हुए नाबालिग इसके बाद वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून ने टीमों का गठन कर प्रदेश के बाहरी राज्यों में पुलिस टीमें भेजी। जांच-पूछताछ के दौरान सर्विलांस की मदद भी ली गई। साहिल राणा और आशीष को नया बस अड्डा मेट्रो स्टेशन थाना सिंहानी गेट नई दिल्ली से बरामद किया। वहीं, सरफराज, शुभम और राहुल को रेलवे स्टेशन हजरत निजामुद्दीन से बरामद किया गया।


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उत्तराखंडः स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के आश्रितों को मिलने वाले आरक्षण में शामिल होंगी बेटियां

देहरादून उत्तराखंड में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के आश्रितों को मिलने वाले में अब उनकी बेटियों को भी शामिल किया जाएगा। सीएम की अध्यक्षता में उत्तराखंड सरकार की मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया है। इसके तहत आरक्षण अधिनियम 1993 के तहत स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के आश्रितों में उनकी बेटियों को भी शामिल कर उन्हें आरक्षण के दायरे में लाया जाएगा। गेस्ट फैकल्टी का वेतन 35 हजार मंत्रिमंडल की बैठक में इसके अलावा सरकारी सस्ते-गल्ले की दुकान से राशन कार्ड में हर माह दो किलो दाल सस्ती दरों पर देने का भी फैसला किया गया। इस बैठक में राजकीय महाविद्यालयों में गेस्ट फैकल्टी का वेतन 35 हजार रुपये प्रतिमाह करने का भी निर्णय लिया गया। वहीं स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग का सचिवालय स्तर पर एकीकरण करने पर भी सहमति बनी। सूचना प्रौद्योगिकी और विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग का भी सचिवालय के स्तर पर एकीकरण करने का फैसला लिया गया है। मंत्रिमंडल ने आयुर्वेद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलसचिव मृत्युंजय मिश्रा को उनके मूल में भेजने का भी निर्णय लिया है। शासन स्तर पर विकास योजनाओं के परीक्षण के लिए अब प्रमुख सचिव को जिम्मा देने के भी निर्णय लिए गए। पहले मुख्य सचिव योजनाओं के परीक्षण के लिएअधिकृत थे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन करते हुए हाई कोर्ट के रिटायर्ड जजों के लिए चिकित्सा प्रतिपूर्ति करने का फैसला भी मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया।


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उत्तराखंड में एक भी बूचड़खाना नहीं: राज्य सरकार

देहरादून, 24 जुलाई (भाषा) उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने बुधवार को कहा कि प्रदेश में बूचड़खाना बनाने की कोई योजना नहीं है। प्रदेश के कैबिनेट मंत्री और राज्य सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक ने आज यहां हरिद्वार जिले के मंगलौर में बूचड़खाना के संबंध में संवाददाताओं द्वारा पूछे गये एक सवाल के जवाब में कहा कि पिछली सरकार ने 2015—16 में वहां बूचडखाना बनाये जाने के लिये एक व्यक्ति को मंजूरी दी थी। उन्होंने कहा कि उस व्यक्ति द्वारा अपनी निजी जमीन पर सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी) के तहत बूचड़खाना बनवाया जा रहा था लेकिन हमारी सरकार ने उसे निरस्त कर दिया। कौशिक ने बताया कि उस व्यक्ति ने इसे अदालत में चुनौती दी जिसके बाद मामले की सचिव स्तर की जांच की गयी तो पाया गया कि बूचड़खाने के लिये उसने जरूरी मंजूरियां नहीं ली थीं जिनमें जमीन के इस्तेमाल में बदलाव की मंजूरी लेना भी आवश्यक है। मंत्री ने कहा कि प्रदेश में बूचड़खाना बनाने की कोई योजना नहीं है और यहां बूचड़खाना नहीं बनाया जायेगा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पहले ही साफ कर चुके हैं कि प्रदेश में बूचड़खाना नहीं खुलने दिया जायेगा।


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उत्तराखंड में राशन कार्डधारकों को हर माह दो किलो दाल मिलेगी

देहरादून, 24 जुलाई (भाषा) उत्तराखंड सरकार जल्द ही राज्य में मुख्यमंत्री दाल पोषित योजना लायेगी जिसके तहत हर राशन कार्ड धारक को हर माह दो किलो दाल बाजार भाव से काफी कम दामों पर मिलेगी । मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में बुधवार को यहां हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के बाद प्रदेश के कैबिनेट मंत्री और राज्य सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक ने संवाददाताओं को बताया कि इस योजना के तहत राज्य के 23.80 लाख राशन कार्ड धारकों को हर महीने दो अलग-अलग प्रकार की दालें मिलेंगी । उन्होंने बताया कि भारत सरकार द्वारा इन दालों, चना, मलका और मसूर, के लिये तय मूल्य पर राज्य सरकार 15 रु प्रति किलो के हिसाब से सब्सिडी भी देगी । इस संबंध में उदाहरण देते हुए कौशिक ने बताया कि चने की दाल का मूल्य भारत सरकार द्वारा रु 41.80 प्रति किलो तय किया गया है और इस पर राज्य सरकार रु 15 की सब्सिडी देगी । उन्होंने कहा कि अगर इन दालों को यहां लाने पर होने वाला खर्च जोड़ लिया जाये तो भी यह उपभोक्ताओं को बाजार भाव से काफी कम दाम पर मिलेगी । कौशिक ने बताया कि भारत सरकार के पास इन दालों का काफी स्टॉक है और इसलिये इस योजना के क्रियान्वयन में कोई परेशानी नहीं आयेगी । एक अन्य निर्णय में, राज्य मंत्रिमंडल ने राजकीय महाविद्यालयों में गेस्ट फेकल्टी के रूप में संविदा पर नियुक्त शिक्षकों के मानदेय की विभिन्न श्रेणियों को समाप्त करते हुए उसे सबके लिये समान 35000 रु प्रतिमाह किये जाने को भी मंजूरी दे दी । उन्होंने बताया कि इन शिक्षकों को प्रति माह 40 पीरियड़ पढ़ाने होंगे और उनके इतने पीरियड़ सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी कॉलेज प्रबंधन की होगी । मंत्री ने बताया कि पूरे प्रदेश में ऐसे गेस्ट फेकेल्टी की संख्या 357 है ।


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दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित की अस्थियां हुई गंगा में विसर्जित

हरिद्वार कांग्रेस की दिग्गज नेता और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय शीला दीक्षित की अस्थियां बुधवार को हरिद्वार गंगा जी में विसर्जित की गई हैं। हर की पौड़ी पर पूरे विधि-विधान से तीर्थ पुरोहितों ने अस्थियों को विसर्जित करवाया। अस्थि विसर्जन करवाने शीला दीक्षित के पुत्र संदीप दीक्षित बेटी लतिका दीक्षित कांग्रेस नेता जतिन प्रसाद और पवन खेड़ा सहित परिवार के सदस्य हरिद्वार पहुंचे थे। 20 जुलाई को दिल्ली के एस्कोर्टस हार्ट इंस्टिट्यूट में शीला दीक्षित का हृदयाघात से निधन हुआ था। शीला दीक्षित का अंतिम संस्कार आज पूरे राजकीय सम्मान के साथ दिल्ली के निगम बोध घाट पर किया गया। सैकड़ों लोगों ने शीला दीक्षित को अंतिम श्रद्धांजलि दी। शीला दीक्षित के अंतिम संस्कार में विभिन्न राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेता मौजूद थे। तीन बार दिल्ली की सीएम रह चुकीं शीला दीक्षित का 81 वर्ष की आयु में 20 जुलाई को निधन हो गया। वह दिल्ली की सबसे लंबे समय तक कार्य रत रहने वाली वाली मुख्यमंत्री थीं। उन्होनें 2004 में केरल के राज्यपाल के रूप में कार्यभार भी संभाला।


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पौड़ी में कक्षा एक से पांच तक के छात्र पढ़ेंगे गढ़वाली

देहरादून उत्तराखंड में पहली बार सरकार ने पौड़ी जिले के करीब 80 प्राथमिक विद्यालयों में भाषा पढ़ाना शुरू किया है। गढ़वाली भाषा को कक्षा एक से पांच तक जिले के सभी स्कूलों में अनिवार्य विषय के तौर पर पढ़ाया जाएगा। जिले के जिलाधिकारी धीरज सिंह गर्ब्याल ने कहा कि हमने इस कोर्स को सोमवार से शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस कदम की सराहना की और कहा कि इससे बच्चों को गढ़वाल क्षेत्र को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी। गर्ब्याल ने कहा कि गढ़वाली भाषा को देवनागरी लिपि में पढ़ाया जाएगा। पौड़ी के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के.एस.रावत ने कहा कि कक्षा एक से पांच तक के लिए क्रमश: 'धगुली', 'हंसुली', 'छुबकी','पैजबी' व 'झुमकी' नई किताबें है जिन्हें निर्धारित किया गया है। सभी किताबों को एक निजी प्रकाशक ने प्रकाशित किया है और सरकार ने इसे बच्चों को मुफ्त में बांटा है। राज्य के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने कहा कि किताबों से बच्चों को पर्यावरण व संस्कृति के बारे में भी जानकारी मिलेगी। उन्होंने कहा इसमें गढ़वाल के इतिहास पर भी पर्याप्त ध्यान दिया गया है। इसमें एक पूरा अध्याय वीर चंद्रसिंह गढ़वाली पर है, जिसे स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान 'पेशावर कांड' का नायक माना जाता है।


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राज्य सरकार के द्वारा मनोनीत दायित्वधारियों के मानदेय और भत्ते में इजाफा

देहरादून उत्तराखंड सरकार ने विभिन्न आयोगों, निगमों, परिषदों में नियुक्त अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सलाहकार और अन्य दायित्वधारी दर्जा प्राप्त मंत्रियों और राज्य मंत्रियों और महानुभावों के मानदेय और भत्तों में भारी इजाफा करने का शासनादेश जारी कर दिया है। राज्य सरकार द्वारा नियुक्त मनोनीत श्रेणी के ये तीन स्तरीय जनप्रतिनिधि हैं। मंत्री स्तर पर प्राप्त दायित्वधारियों के मासिक मानदेय को 20 हजार से बढ़ाकर 45 हजार रुपये और राज्यमंत्री स्तर का मानदेय 15 हजार रुपये से बढ़ाकर 40 हजार रुपये किया गया है। अन्य दायित्वधारियों जिन्हें महानुभाव कहा जा रहा है का मानदेय 13 हजार रुपये से बढ़ाकर 35 हजार रुपये किया गया है। वाहन किराया भत्ता 50000 से बढ़ाकर 60000 प्रति माह किया गया, साथ ही कार्यालय आवास भत्ता 25000 हो गया है। इस तरह सरकार ने अब तक लगभग 75 दायित्वधारी नियुक्त किए हैं। उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य के 10 सदस्ययीय मंत्रिमंडल के वेतन भत्तों पर मासिक लगभग 1 करोड़, 77 हजार, 52 लाख, 480 रुपए खर्च हो रहे हैं जबकि 75 नियुक्त दायित्वधारियों का खर्चा अलग है। दायित्वधारियों के मानदेय व अन्य सुविधाओं में वृद्धि के संबंध में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह द्वारा जारी आदेश आदेश के मुताबिक मंत्री और राज्यमंत्री स्तर के दायित्वधारियों को सरकारी वाहन नहीं मिलने की दशा में किराये का वाहन उपलब्ध कराया जाएगा। वाहन का मासिक किराया अधिकतम 60 हजार रुपये प्रतिमाह मिलेगा। उक्त किराये में वाहन के साथ वाहन चालक और गाड़ी का अनुरक्षण भी शामिल होगा। इससे पहले यह राशि 50 हजार रुपये थी। स्वयं का वाहन प्रयोग करने पर प्रति माह 40 हजार रुपये की धनराशि दी जाएगी। मंत्री और राज्यमंत्री दर्जाधारियों को कार्यालय उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में कार्यालय सह आवास भत्ते के रूप में 25 हजार रुपये प्रतिमाह दिए जाएंगे। सरकारी आवास प्राप्त होने की दशा में अधिकतम कार्यालय भत्ता 10 हजार रुपये प्रतिमाह दिया जाएगा। सरकारी कार्यालय प्राप्त होने की दशा में मंत्री और राज्यमंत्री दर्जाधारियों को 15 हजार रुपये प्रतिमाह दिया जाएगा। इससे पहले सरकारी आवास उपलब्ध नहीं होने पर मंत्री स्तर के लिए 15 हजार रुपये प्रतिमाह व राज्यमंत्री स्तर के लिए 10 हजार रुपये प्रतिमाह आवासीय भत्ते का प्रावधान किया गया था।


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मंगलवार, 23 जुलाई 2019

उत्तराखंड: कांग्रेस नेता के भाई पर लगे आरोपों की जांच के लिए एसआईटी गठित

देहरादून, 23 जुलाई (भाषा) उत्तराखंड के वरिष्ठ कांग्रेस नेता किशोर उपाध्याय के छोटे भाई सचिन पर ब्लैकमेलिंग और धोखाधड़ी के आरोपों की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है। गढ़वाल रेंज के पुलिस महानिरीक्षक अजय रौतेला द्वारा दिए गए आदेश में डालनवाला की सर्किल आफिसर जया बलूनी की अध्यक्षता में बनी एसआईटी को मामले में तथ्यों की जांच करने तथा इसका निपटारा जल्द करने को कहा गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस संबंध में पिछले महीने एक बिल्डर द्वारा दी गयी शिकायत में लगाए गए आरोपों की गंभीरता को देखते हुए अधिकारियों को एक एसआईटी गठित कर मामले की जांच के आदेश दिए थे। बिल्डर मुकेश जोशी ने मुख्यमंत्री से मिलकर अपने पूर्व बिजनेस पार्टनर सचिन पर आरोप लगाया था कि उन्होंने एसएम हॉस्पेटिलिटी प्राइवेट लिमिटेड नाम के ज्वाइंट बिजनेस वेंचर में उनके 50 फीसदी शेयर उनके फर्जी हस्ताक्षर कर अपनी पत्नी के नाम कर दिए थे। जोशी ने सचिन पर ब्लैकमेल करने का भी आरोप लगाते हुए उनके बडे भाई किशोर की राजनीतिक हैसियत को देखते हुए अपनी जान के खतरे की आशंका भी जतायी थी। किशोर उपाध्याय पूर्व में उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रह चुके हैं। मुख्यमंत्री से इस मामले में निष्पक्ष जांच कराए जाने की प्रार्थना करते हुए जोशी ने कहा था कि वह एक निवेशक है और फिलहाल देहरादून में राजपुर के निकट चालंग गांव में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 2180 फ्लैट बना रहा है।


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उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने विधायक के जाति प्रमाणपत्र की जांच 31 अगस्त तक करने के आदेश दिए

देहरादून, 23 जुलाई (भाषा) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने झबरेडा से भाजपा विधायक देशराज कर्णवाल के जाति प्रमाणपत्र की जांच करने वाले प्रशासनिक पैनल को अपनी जांच 31 अगस्त तक पूरी करने के आदेश दिये हैं । उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश विधायक कर्णवाल के जाति प्रमाणपत्र को फर्जी बताते हुए इस आधार पर सुरक्षित सीट से उनके चुनाव को रद्द करने की मांग करने वाली एक याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। याचिकाकर्ता विपिन तोमर ने याचिका में दावा किया कि कर्णवाल अनुसूचित जाति से संबंध नहीं रखते और इसलिये हरिद्वार जिले के सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र झबरेडा से चुनाव लडने के योग्य नहीं हैं। वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव जीतने वाले कर्णवाल पहले ही कह चुके हैं कि उनके राजनीतिक विरोधियों द्वारा उनकी जाति पहचान के बारे में झूठ फैलाया जा रहा है।


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उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन की मांग को लेकर हाई कोर्ट में दाखिल हुई जनहित याचिका

देहरादून उत्तराखंड में लागू करने की मांग को लेकर हरिद्वार निवासी नईम अहमद ने में दाखिल की है। जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने राज्य सरकार से शुक्रवार तक अपना पक्ष कोर्ट में रखने के आदेश पारित किया है। याचिका के अनुसार, राज्य में 15 जुलाई को पंचायतों का कार्यकाल खत्म हो गया है। संविधान और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार पंचायतों का कार्यकाल पूरा होने तक चुनाव कराने अनिवार्य हैं, मगर सरकार ने चुनाव कराने की बजाए राज्य में 6 जुलाई को ग्राम पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति कर दी है। याचिका के मुताबिक, राज्य सरकार चुनाव कराने में नाकाम रही और अपने संवैधानिक कर्तव्य का पालन नहीं कर सकी, लिहाजा राज्य में संविधान के अनुछेद 356 के तहत सरकार को हटाकर राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए। याचिका में सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को पक्षकार बनाया गया है।


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