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पुलिस ने 31 व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, जिनमें से छह को प्राथमिकी में नामजद किया गया है। इन व्यक्तियों के खिलाफ मामला धमकी देने और जातिवादी टिप्पणी करने के लिए दर्ज किया गया है।
यह मुद्दा विवादों में घिर गया था और राज्य सरकार ने पहले इसकी जांच के आदेश दिए थे। उत्तराखंड अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति आयोग ने भी उसके लिए न्याय की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाने की धमकी दी थी।
चंपावत के मुख्य शिक्षा अधिकारी आर सी पुरोहित ने बताया कि शुक्रवार को स्कूल की प्रबंधन समिति की बैठक हुई, जिसने महिला को दोबारा नियुक्त किया।
उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें (महिला को) फिर से नियुक्त करने का निर्णय एक सरकारी आदेश के आधार पर लिया गया, जिसमें कहा गया था कि अगर ऐसे मामलों में आम सहमति नहीं बनती है, तो अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति या अन्य पिछड़़ा वर्ग (ओबीसी) समुदायों के उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।’’
बैठक में स्कूल प्रबंधन समिति के 26 सदस्यों में से 21 सदस्य मौजूद थे, लेकिन उन सभी का विचार एक जैसा नहीं था। चूंकि आम सहमति नहीं बन पायी, इसलिए सरकार के आदेश के आधार पर निर्णय लिया गया।
सुनीता देवी को पद से हटाये जाने के बाद पुरोहित ने पहले कहा था कि उनकी नियुक्ति में ‘प्रक्रियागत खामियां’ थीं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले की जांच के आदेश दिए थे।
पुलिस ने सुनीता देवी की शिकायत के आधार पर 31 व्यक्तियों के खिलाफ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की धारा 506 के तहत मामला दर्ज किया है।
चंपावत के पुलिस अधीक्षक देवेंद्र पिंचा ने कहा कि जिन व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, उनमें से छह की पहचान महेश चौराकोटी, दीपा जोशी, बबलू गहटोरी, सतीश चंद्र, नागेंद्र जोशी और शंकर दत्त के रूप में हुई है, जबकि 25 अन्य अज्ञात व्यक्ति हैं।
अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद बर्धन द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस में सुहाग से एक सप्ताह के अंदर जवाब देने को कहा गया है, जिसमें नाकाम रहने पर उनके (सुहाग के) खिलाफ आगे की कार्रवाई की जाएगी।
कालागढ़ वन संभाग के मोरघाटी, पाखरो और कांडी मार्ग क्षेत्र का दौरा करने के बाद राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की एक टीम द्वारा पता लगाये गये तथ्यों की ओर सुहाग का ध्यान आकृष्ट करते हुए अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा है कि इन इलाकों में क्रंकीट के ढांचों के अवैध निर्माण और पेड़ों की कटाई बगैर जरूरी मंजूरी के की गई।
नोटिस में कहा गया है, ‘‘यह पाया गया है कि आपने वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत आपको प्रदत्त शक्तियों का उपयोग इन गतिवधियों को रोकने में नहीं किया, जो कि एक गंभीर विषय है। ’’
कार्बेट के ‘बफर जोन’ में अवैध निर्माण और पेड़ों की कटाई का विषय प्रकाश में आने के बाद सुहाग को इस साल नवंबर में मुख्य वन्यजीव वार्डन के अतिरिक्त प्रभार से सेवामुक्त कर दिया गया था।
वह क्षतिपूरक वनीकरण कार्यक्रम (सीएएमपीए) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) हैं।
कारण बताओ नोटिस में यह भी कहा गया है कि सीएएमपीए सीईओ के तौर पर उनके बयान देने में नाकाम रहना भी एक गंभीर अपराध है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को बुधवार को सौंपे गए एक पत्र में भारती ने हैदराबाद के सांसद पर लोगों को हिंदू धर्म के खिलाफ भड़काने और उसे मानने वालों को धमकाने का आरोप लगाया।
उन्होंने पत्र में कहा, ‘‘ उन्होंने (ओवैसी) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को खुली धमकी दी है और उनकी जान को खतरे में डाला है।’’
भारती ने उस वीडियो क्लिप का उल्लेख किया जो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। इस वीडियो में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) अध्यक्ष ओवैसी कथित तौर पर यह कहते सुने गए कि जब योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे और अपने मठ या कहीं और होंगे... तो उन्हें कौन बचाएगा।
भारती ने कहा कि एआईएमआईएम के नेता देश में सांप्रदायिक सद्भाव के लिए खतरा हैं। ओवैसी के खिलाफ एक मामला दर्ज किया जाना चाहिए और उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
उत्तराखंड रक्षा अभियान वही संगठन है जिसने वेब सीरीज ‘तांडव’ के निर्माताओं के खिलाफ भी शिकायत की थी और दारुल उलूम देवबंद के उन दावों पर भी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी, जिसमें बद्रीनाथ को बदरुद्दीन की मजार बताया गया था।
इस वर्ष उच्चतम न्यायालय ने चार धाम तीर्थ स्थलों के लिए सड़कों को चौड़ा करने के लिए केंद्र को मंजूरी दे दी और साथ ही पुजारियों ने प्रमुख मंदिरों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से गठित राज्य बोर्ड की स्थापना के खिलाफ लड़ाई जीत ली।
इसके साथ ही 150 साल पहले पेशावर के पठानों द्वारा तिब्बत जाने वाले मार्ग पर उत्तरकाशी में 11,000 फुट की ऊंचाई पर बनाए गए लकड़ी के पुल गरतांग गली का भी इस साल जीर्णोद्धार किया गया और चार धामों के पुराने, पारंपरिक ट्रेकिंग मार्गों को फिर से खोजा गया।
राज्य ने वर्ष के दौरान मुख्यमंत्री पद पर एक के बाद एक फेरबदल देखा।
अपने कार्यकाल के चार साल का जश्न मनाने की तैयारी कर रहे त्रिवेंद्र सिंह रावत को भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने ऐसे समय हटा दिया जब राज्य 2022 की शुरुआत में विधानसभा चुनाव के लिए तैयारी कर रहा है।
पौड़ी गढ़वाल के सांसद तीरथ सिंह रावत को मार्च में अचानक त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह लाया गया। अपने कार्यकाल के कुछ ही दिनों में, नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह ने ‘रिप्ड जींस’ पहनने वाली महिलाओं पर अपनी एक टिप्पणी से विवाद खड़ा कर दिया और यह भी कहा कि भारत पर 200 साल से अधिक वर्ष तक ‘अमेरिका का शासन’ था।
तीरथ सिंह को पदभार ग्रहण करने के चार महीने से भी कम समय में पद से हटा दिया गया और उनकी जगह खटीमा से विधायक पुष्कर सिंह धामी को भाजपा आलाकमान ने नया मुख्यमंत्री बनाया।
कांग्रेस के दिवंगत नेता एनडी तिवारी को छोड़कर उत्तराखंड के किसी भी मुख्यमंत्री ने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है। लेकिन तीरथ सिंह रावत ने सबसे छोटे कार्यकाल के साथ एक तरह का रिकॉर्ड बनाया। वह ऐसे समय मुख्यमंत्री थे जब सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के बीच हरिद्वार में कुंभ मेले को भव्य पैमाने पर आयोजित करने के अपने विवादास्पद फैसले को आगे बढ़ाया।
कुंभ के दौरान कोविड रोधी नियमों का खुले तौर पर उल्लंघन देखने को मिला और श्रद्धालुओं की भीड़ के चलते भौतिक दूरी बनाकर रखना लगभग असंभव हो गया। शाही स्नान के दिनों के बाद संक्रमण बढ़ गया।
इस पर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेला संपन्न करने के लिए "अखाड़ों" से अपील की।
बाद में, एक कोविड परीक्षण घोटाला सामने आया। नोएडा स्थित एक निजी प्रयोगशाला ने कथित तौर पर श्रद्धालुओं पर एक लाख नकली कोविड परीक्षण किए। विशेष जांच दल द्वारा जांच के बाद प्रयोगशाला मालिकों को गिरफ्तार किया गया।
कोविड की वजह से लगातार दूसरे वर्ष गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की चारधाम यात्रा पर प्रभाव पड़ा।
तीर्थयात्रा महीनों की देरी से शुरू हुई लेकिन जैसे ही कोविड की लहर थमी और प्रतिबंध हटे, वार्षिक यात्रा ने गति पकड़ ली। इस साल पांच लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने मंदिरों में दर्शन किए।
पुजारियों के दबाव में, चार धाम सहित 51 मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने के लिए विवादास्पद उत्तराखंड देवस्थानम बोर्ड अधिनियम को वापस ले लिया गया। पुजारियों ने कानून को अपने पारंपरिक अधिकारों का उल्लंघन करार दिया था।
प्रधानमंत्री मोदी ने आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण करने के लिए केदारनाथ का दौरा किया और 2013 में भूस्खलन तथा बाढ़ से तबाह हुए क्षेत्र के पुनर्निर्माण के दूसरे चरण की आधारशिला रखी।
उत्तराखंड के लिए साल 2021 भी प्राकृतिक आपदा लेकर आया। फरवरी में चमोली जिले में एक ग्लेशियर टूट गया, जिससे ऋषि गंगा और धौली गंगा नदियों में अचानक बाढ़ आ गई। इसके चलते कई टन मलबा गिरने से रैनी गांव में 13.2 मेगावाट की ऋषि गंगा जलविद्युत परियोजना और एनटीपीसी की 520 मेगावाट की तपोवन-विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना को भारी नुकसान पहुंचा और वहां काम कर रहे लोग एक सुरंग में फंस गए।
इस घटना में कुल मिलाकर, 204 लोग लापता हो गए। अवरुद्ध सुरंग से केवल 81 शव और 36 मानव अंग मिले।
नवंबर में, एक दूसरी आपदा आई। लगातार तीन दिन तक हुई बारिश से गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र में घरों, सड़कों, पुलों और रेलवे पटरी को भारी नुकसान हुआ तथा इसमें ट्रेकर्स समेत करीब 80 लोग मारे गए।
राज्य ने देश के पहले प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) और उत्तराखंड के मूल निवासी जनरल बिपिन रावत को श्रद्धांजलि दी। इसने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के 50 वर्ष पूरे होने पर शहीदों को भी याद किया।
राज्य में जब विधानसभा चुनाव अब कुछ ही हफ्ते दूर हैं, राजनीतिक दलों की नजर प्रदेश के सैन्य परिवारों के मतदाताओं पर है।
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जहां देहरादून में स्मारक निर्माण के लिए शहीदों के घरों के प्रांगणों से मिट्टी इकट्ठा करने का भावनात्मक अभियान चलाया तो वहीं कांग्रेस ने पार्टी नेता राहुल गांधी की मौजूदगी में एक रैली में पूर्व सैनिकों को सम्मानित किया।
आम आदमी पार्टी, जो खुद को कांग्रेस और भाजपा के विकल्प के रूप में पेश कर रही है, पहले ही सेवानिवृत्त सेना अधिकारी अजय कोठियाल को अपने मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में पेश कर चुकी है।
हरक सिंह रावत ने अपने कोटद्वार निर्वाचन क्षेत्र में एक मेडिकल कॉलेज के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिलने पर राज्य मंत्रिमंडल की बैठक को छोड़ दिया, जिससे उनके इस्तीफे की अटकलें लगने लगीं, लेकिन बाद में मामला सुलझ गया।
वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने सिलसिलेवार ट्वीट कर पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाए और कहा, ‘‘है न अजीब सी बात, चुनाव रूपी समुद्र को तैरना है, संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेरकर खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है।’’
सुरई इको-टूरिज्म जोन के पश्चिमी किनारे पर स्थित, ककरा नहर दलदलीय मगरमच्छों का निवास स्थान है। मगरमच्छ की यह प्रजाति भूटान और म्यांमा जैसे देशों में विलुप्त हो गई है। यह नहर वर्तमान में 100 से अधिक दलदलीय मगरमच्छों का घर है।
‘ककरा क्रोकोडाइल ट्रेल’ बनाने के लिए चार किलोमीटर तक नहर की घेराबंदी की गई है। मगरमच्छों को सुरक्षित रूप से देखने की सुविधा के लिए नहर के चारों ओर तीन स्थल और कई ‘वॉच टावर’ बनाए गए हैं। धामी ने ‘सुरई इको-टूरिज्म जोन’ के माध्यम से जंगल ‘सफारी ट्रेल’ का भी उद्घाटन किया जिसे समृद्ध जैव विविधता के लिए जाना जाता है। क्षेत्र की जैव विविधता का हवाला देते हुए धामी ने कहा कि यह स्थानीय लोगों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तरीके से रोजगार के अवसर पैदा कर सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्थानीय लोग 40 किलोमीटर वाले सफारी मार्ग के लिए जिप्सी के मालिक, ड्राइवर और गाइड बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि पक्षियों की 150 से अधिक प्रजातियां, स्तनपायी जंतुओं की 125 प्रजातियां और 20 प्रकार के सरीसृप 40 किलोमीटर के प्राकृतिक मार्ग में निवास करते हैं। खटीमा मुख्यमंत्री धामी का विधानसभा क्षेत्र है।
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
पीएमओ ने एक बयान में कहा कि 23 परियोजनाओं में से 14,100 करोड़ रुपये की 17 परियोजनाओं का शिलान्यास किया जाएगा और यह परियोजनाएं सिंचाई, सड़क, आवासीय, स्वास्थ्य ढांचा, उद्योग, स्वच्छता, पेयजल आपूर्ति सहित कई क्षेत्रों से संबंधित हैं।
पीएमओ नेकहा, ‘‘इस कार्यक्रम में छह परियोजनाओं का उद्घाटन होगा, जो सड़क चौड़ीकरण परियोजनाओं, एक पिथौरागढ़ में पनबिजली परियोजना और नैनीताल में सीवरेज नेटवर्क में सुधार से जुड़ी परियोजनाएं शामिल हैं। इन परियोजनाओं की कुल लागत 3,400 करोड़ रुपये है।’’
प्रधानमंत्री लगभग 5,750 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली लखवार बहुउद्देशीय परियोजना की आधारशिला रखेंगे। इस परियोजना की 1976 में पहली बार कल्पना की गई थी और कई वर्षों से लंबित पड़ी थी।
पीएमओ ने कहा, ‘‘बहुत अधिक समय से लंबित परियोजनाओं को प्राथमिकता देने की प्रधानमंत्री की परिकल्पना के अनुसार ही इस परियोजना की आधारशिला रखी गई है। राष्ट्रीय महत्व की यह परियोजना, लगभग 34,000 हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि की सिंचाई, 300 मेगावाट जल विद्युत उत्पादन और छह राज्यों उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान को पेयजल की आपूर्ति करने में सक्षम बनाएगी।’’
इस दौरान प्रधानमंत्री लगभग 8700 करोड़ रुपये की कई सड़क परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी करेंगे।
जिन परियोजनाओं की आधारशिला रखी जाएगी उनमें 4000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनने वाली 85 किलोमीटर मुरादाबाद-काशीपुर सड़क को चार लेन का बनाना, गदरपुर-दिनेशपुर-मडकोटा-हल्द्वानी रोड (एसएच-5) के 22 किलोमीटर के हिस्से को दो लेन का और किच्चा से पंतनगर (एसएच-44) तक 18 किलोमीटर के हिस्से को दो लेन का बनाना, ऊधमसिंह नगर में 8 किलोमीटर लंबे खटीमा बाइपास का निर्माण, 175 करोड़ से अधिक की लागत से चार लेन के राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच 109-D) का निर्माण शामिल है।
पीएमओ ने कहा, ‘‘इन सड़क परियोजनाओं से गढ़वाल, कुमाऊं और तराई क्षेत्र में सड़क संपर्क तथा उत्तराखंड और नेपाल के बीच सड़क संपर्क में सुधार होगा। बेहतर सड़क संपर्क से जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान तक पहुंच में सुधार के अलावा रुद्रपुर और लालकुआं में औद्योगिक क्षेत्रों को भी फायदा होगा।’’
इसके अलावा, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत पूरे राज्य में कई सड़क परियोजनाओं की आधारशिला भी प्रधानमंत्री द्वारा रखी जाएगी। इनमें 625 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से कुल 1157 किलोमीटर की 133 ग्रामीण सड़कों का निर्माण और लगभग 450 करोड़ रुपये की लागत से 151 पुलों का निर्माण शामिल है।
प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटन की जाने वाली सड़क परियोजनाओं में, 2500 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से निर्मित, नगीना से काशीपुर (एनएच-74) तक 99 किलोमीटर सड़क को चौड़ा करने की परियोजना और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण तथा 780 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से सभी मौसम में उपयुक्त सड़क परियोजना के तहतनिर्मित टनकपुर-पिथौरागढ़ सड़क (एनएच 125) के तीन खंडो- च्युरानी से अंचोली (32 किलोमीटर), बिलखेत से चंपावत (29 किलोमीटर) और तिलोन से च्युरानी (28 किलोमीटर) को चौड़ा करने की परियोजनाएं शामिल हैं।
पीएमओ ने कहा, ‘‘सड़क चौड़ा करने की परियोजनाओं से न केवल दूर-दराज के क्षेत्रों की कनेक्टिविटी में सुधार होगा बल्कि क्षेत्र में पर्यटन, औद्योगिक और वाणिज्यिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा। रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण टनकपुर-पिथौरागढ़ सड़क से अब हर मौसम में संपर्क, सीमावर्ती क्षेत्रों में सेना की निर्बाध आवाजाही और कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए बेहतर कनेक्टिविटी की सुविधा प्राप्त होगी।’’
राज्य की चिकित्सा अवसंरचना का विस्तार करने और देश के सभी हिस्सों में लोगों को विश्व स्तरीय चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने के प्रयास के अंतर्गत, प्रधानमंत्री उधम सिंह नगर जिले में एम्स ऋषिकेश सैटलाइट सेंटर और पिथौरागढ़ में जगजीवन राम सरकारी मेडिकल कॉलेज की आधारशिला रखेंगे।
इन दोनों अस्पतालों को क्रमश: 500 करोड़ रुपये और 450 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित किया जा रहा है।
पीएमओ ने कहा कि इससे बेहतर चिकित्सा अवसंरचना सुविधा से न केवल कुमाऊं और तराई क्षेत्रों के लोगों को बल्कि उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों को भी मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री ऊधमसिंह नगर जिले के सितारगंज और काशीपुर इलाकों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के लिए करीब 2400 मकानों के निर्माण की आधारशिला रखेंगे। इन घरों का निर्माण प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत 170 करोड़ रुपए से अधिक की कुल लागत से किया जाएगा।
प्रधानमंत्री राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में नल से जल की आपूर्ति में सुधार के लिए प्रधानमंत्री जल जीवन मिशन के तहत राज्य के 13 जिलों में 73 जलापूर्ति योजनाओं की आधारशिला रखेंगे। इन योजनाओं पर कुल मिलाकर करीब 1250 करोड़ रुपये खर्च होंगे और इससे राज्य के 1.3 लाख से अधिक ग्रामीण परिवार लाभान्वित होंगे।
इसके अलावा हरिद्वार और नैनीताल के शहरी क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण पानी की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु प्रधानमंत्री इन दोनों शहरों के लिए जलापूर्ति योजनाओं की आधारशिला भी रखेंगे।
पीएमओ ने कहा, ‘‘इन परियोजनाओं से हरिद्वार में लगभग 14500 और हल्द्वानी में 2400 से अधिक नल जल कनेक्शन मिलेंगे, जिससे हरिद्वार की लगभग एक लाख आबादी तथा हल्द्वानी की लगभग 12000 आबादी को लाभ प्राप्त होगा।’’
ये तीन पुल घासकू पुल, गौरीगढ़ पुल और बदामगढ़ हैं। घासकू पुल तवाघाट एवं घाटीबागर को जोड़ता है जबकि गौरीगढ़ पुल जौलजिबी एवं मुनस्यारी को तथा बदामगढ़ सेमली एवं ग्वालदम को जोड़ता है।
ये पुल उन 27 सीमा अवसंरचना परियोजनाओं का हिस्सा हैं जिनका सिंह ने मंगलवार को उद्घाटन किया।
सिंह ने इन परियोजनाओं का डिजिटल माध्यम से उद्घाटन करने के बाद कहा कि अनियमित मौसम के बीच दुर्गम क्षेत्र में बीआरओ द्वारा बनायी जा रही सड़कों, पुलों एवं सुरंगों से स्थानों के बीच दूरियां घट रही हैं तथा सीमावर्ती क्षेत्र दिल्ली के करीब आ रहे हैं।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी डिजिटल तरीके से इस कार्यक्रम में शामिल होते हुए कहा कि बीआरओ द्वारा बनायी जा रही सड़कों एवं पुलों से आत्मनिर्भर भारत का प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी का सपना साकार होगा।
उत्तरकाशी के पुलिस अधीक्षक प्रदीप कुमार राय ने बताया कि उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है और स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।
उन्होंने कहा कि इस पर्वतीय जिले से मादक पदार्थ की यह अब तक की सबसे बड़ी जब्ती है।
उन्होंने बताया कि हरियाणा के करनाल जिले के अमन और रुड़की के लियाकत को सोमवार को देवीधर के एक मंदिर के पास से गिरफ्तार किया गया।
देहरादून में भी ठंड का प्रकोप रहा, जहां सूर्य दोपहर के समय महज कुछ देर के लिए निकला।
आपदा प्रबंधन कार्यालय ने यहां बताया कि बदरीनाथ में बर्फबारी रुक- रुक कर होती रही, जबकि केदारनाथ में सुबह में हल्का हिमपात हुआ।
देहरादून समेत मैदानी इलाकों के ज्यादातर शहरों में आसमान में बादल छाये रहे। इन जगहों पर सर्दी से बचने के लिए शाम में लोगों ने अलाव जलाए।
मौसम विभाग ने बताया कि मुक्तेश्वर राज्य में सबसे ठंडा स्थान रहा। वहां न्यूनतम तापमान 1.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। अल्मोड़ा में न्यूनतम तापमान 2.4 डिग्री सेल्सियस रहा। टिहरी में न्यूनतम तापमान 2.8 डिग्री सेल्सियस, देहरादून में 6.1 डिग्री सेल्सियस और पंतनगर में 7.5 डिग्री सेल्सियस रहा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गंगोलीहाट में एक जनसभा में इसकी घोषणा करते हुए कहा कि उत्तराखंड में रिषीकेश के बाद यह दूसरा एम्स होगा।
धामी ने कहा कि कुमाऊं क्षेत्र के लोगों के लिए एम्स स्थापित करने के उनके अनुरोध को स्वीकार करने को लेकर वह प्रधानमंत्री के आभारी हैं। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के लोगों को इलाज के लिए एम्स, रिषीकेश जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
धामी, करीब 23 करोड़ रुपये मूल्य की विकास परियोजनाओं का शिलान्यास एवं लोकार्पण करने के लिए गंगोलीहाट में थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के तहत पिछले पांच वर्षों में राज्य के लिए एक लाख करोड़ रुपये मंजूर किये गये हैं।
धामी ने ‘मुख्य सेवक’ के तौर पर प्रभार संभालने के बाद अपने मंत्रिमंडल द्वारा लिये गये फैसलों का भी जिक्र करते हुए कहा कि इसने राज्य के लोगों के विकास एवं कल्याण के लिए करीब 700 फैसले लिए हैं।
उन्होंने देहरादून में एक रैली में देश के प्रथम प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत का एक कट-आउट लगाने को लेकर कांग्रेस की आलोचना करते हुए कहा कि पार्टी ने एक समय उन्हें ‘‘गली का गुंडा’’ कहा था और सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत मांगा था।
हरिद्वार कोतवाली थाना प्रभारी रकिंदर सिंह ने सोमवार को बताया कि कार्यक्रम की उपलब्ध फुटेज खंगालने के बाद दर्ज की गई प्राथमिकी में शनिवार को स्वामी धरमदास और साध्वी अन्नपूर्णा के नाम जोड़े गये।
पिछले बृहस्पतिवार को दर्ज की गई प्राथमिकी में शुरूआत में सिर्फ जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी को नामजद किया गया था। इस्लाम छोड़कर हिंदू धर्म अपनाने से पहले त्यागी का नाम वसीम रिजवी था।
प्राथमिकी, भारतीय दंड संहिता की धारा 153 ए (विभिन्न समूहों के बीच धर्म, नस्ल, जन्म स्थान,निवास, भाषा के आधार पर वैमनस्य को बढ़ावा देने) के तहत दर्ज की गई थी।
हरिद्वार में 16 से 19 दिसंबर के बीच वेद निकेतन धाम में आयोजित धर्म संसद में वक्ताओं ने मुसलमानों के खिलाफ कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले भाषण दिये थे। इस कार्यक्रम का आयोजन गाजियाबाद में डासना मंदिर के पुरोहित यति नरसिंहानंद ने किया था।
राज्य के मुख्य सचिव एस एस संधू ने एक आदेश में कहा कि सोमवार से अगले आदेश तक रात 11 बजे से सुबह पांच बजे तक कर्फ्यू प्रभाव में रहेगा।
हालांकि, स्वास्थ्य जैसी आवश्यक सेवाएं, स्वास्थ्य कर्मियों को लेकर जाने वाले वाहनों, एंबुलेंस, डाक सेवाओं की आवाजाही को कर्फ्यू से छूट दी गयी है।
एलपीजी, पेट्रोल, डीजल के उत्पादन, परिवहन और वितरण को भी पाबंदी से छूट मिलेगी।
नड्डा ने कहा कि इस निर्णय के लिए महिलाओं की सराहना उनके सशक्तिकरण के लिए और कदम उठाने के पार्टी के संकल्प को मजबूत करती है। महिलाओं द्वारा प्रधानमंत्री को धन्यवाद देने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में नड्डा ने कहा, ‘‘यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लिया गया एक बहुत ही प्रगतिशील निर्णय है। महिलाओं के लिए विवाह योग्य आयु 18 से बढ़ाकर 21 करना और उन्हें पुरुषों के बराबर लाना महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।’’
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि यह ऐसा निर्णय है जो भारत में महिलाओं की विवाह योग्य उम्र के बहुत कम होने को लेकर स्वास्थ्य संगठनों द्वारा उठाई गई चिंताओं को दूर करता है।
महिलाओं की विवाह योग्य आयु बढ़ाने का विधेयक शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में पेश किया गया था और इसे जांच के लिए संसदीय समिति के पास भेजा गया है। राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टी की तैयारियों की समीक्षा के लिए यहां आए नड्डा ने 41 विधानसभा क्षेत्रों के प्रभारी और विस्तारकों से भी बात की और अपने-अपने क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करने को कहा।
हालांकि, जिला प्रशासन ने रविवार को कहा कि दोनों समुदायों के सदस्यों के बीच आम सहमति के बाद इस मुद्दे को सुलझा लिया गया है।
चंपावत के जिला मजिस्ट्रेट विनीत तोमर ने कहा, ''मुझे उम्मीद है कि दलित छात्र कल से नयी भोजन माता (रसोइया) द्वारा तैयार खाना फिर से खाना शुरू करेंगे।''
सुखीडांग में एक सरकारी इंटर कॉलेज में एक दलित बावर्ची को तब बर्खास्त कर दिया गया था, जब छठी से आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले अगड़ी जाति के 43 बच्चों ने उसके द्वारा पकाया हुआ खाना खाने से इनकार कर दिया था।
चंपावत शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने हालांकि उसे नौकरी से हटाए जाने का कारण नियुक्ति में प्रक्रियागत चूक को बताया था।
उसके बाद दलित महिला की जगह अगड़ी जाति की महिला को काम पर रखा गया था।
इसके जवाब में विद्यालय 23 दलित छात्रों ने नयी बावर्ची द्वारा बनाया गया भोजन खाने से इनकार कर दिया।
तोमर ने कहा कि जांच शुरू कर दी गई है और एक सप्ताह में रिपोर्ट आने की उम्मीद है।
दलित बावर्ची को हटाने की खबरें सामने आने के बाद कांग्रेस के राज्य सभा सदस्य प्रदीप टम्टा ने कहा कि उनकी उनकी पार्टी महिला के संवैधानिक अधिकारों को बहाल करने के लिये एक अभियान शुरू करेगी।
भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि यदि दलित महिला को वापस काम पर नहीं रखा गया तो उनका संगठन मुख्यमंत्री पुष्कर धामी का घेराव करेगा।
रावत ने एक वीडियो संदेश में कहा कि वह प्रार्थना करते हैं कि अगले साल विधानसभा चुनाव में धामी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार राज्य में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में लौटे।
इससे पहले, रावत ने शनिवार को धामी के आवास पर उनके साथ छह घंटे बैठक की थी। दोनों ने रात का भोजन साथ किया था।
रावत शुक्रवार को गुस्से में मंत्रिमंडल की बैठक छोड़कर चले गए थे, जिसके बाद उनके इस्तीफे की अटकलें लगने लगी थीं।
सूत्रों ने बताया कि रावत बैठक छोड़कर इसलिए चले गए, क्योंकि वह उनके निर्वाचन क्षेत्र कोटद्वार में एक मेडिकल कॉलेज के प्रस्ताव को मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी नहीं दिए जाने से नाराज थे।
भाजपा नेता एवं विधायक उमेश शर्मा काऊ को जिम्मेदारी दी गई थी कि वह रावत को इस्तीफा नहीं देने के लिए मनाएं। काऊ ने शनिवार को कहा था कि मंत्री की शिकायत को दूर कर दिया गया है और ‘‘कोई कहीं नहीं जा रहा है।’’
रावत ने वीडियो में कहा, ‘‘पुष्कर मेरे छोटे भाई हैं, जो हर परिस्थिति में मेरे साथ रहे हैं। मैं एक बड़े भाई के तौर पर उन्हें आशीर्वाद देता हूं। मैं प्रार्थना करता हूं कि उनके नेतृत्व में भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ राज्य में फिर से सत्ता में लौटे।’’
उन्होंने कहा कि धामी प्रदेश के लोगों और दूर-दराज के पहाड़ी इलाकों के लिए निष्पक्ष तरीके से ईमानदारी से काम कर रहे हैं।
रावत ने कहा, ‘‘उनके रूप में राज्य को पहली बार ऐसा मुख्यमंत्री मिला है, जिसके दिल में गरीबों, युवाओं एवं महिलाओं के लिए सहानुभूति है।’’
रावत से शनिवार को मुलाकात करने से पहले धामी ने कहा था कि मंत्री की शिकायत‘‘परिवार का मामला’’ है और इसका जल्द समाधान निकाल लिया जाएगा।
धामी ने रावत का कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज संबंधी प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है और उन्होंने सोमवार को परियोजना के लिए 20 करोड़ रुपए की पहली किस्त जारी करने पर सहमति जताई।
रावत के काफिले में उनकी कार की छत पर ड्रम रखा गया था। प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) के महासचिव मथुरा दत्त जोशी के अनुसार रावत का यह काफिला झबरेड़ा, मंगलौर, रुड़की, लक्सर, रानीपुर, हरिद्वार, ऋषिकेश, डोईवाला, रायपुर और धर्मपुर सहित 10 विधानसभा क्षेत्रों से होकर गुजरा।
रावत ने अपनी भाव भंगिमा से आत्मविश्वास प्रदर्शित किया और कई मुद्दों को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर हमला बोला। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल भी रावत के साथ थे। यहां पहुंचने के तुरंत बाद रावत ने संवाददाताओं से कहा कि उन्हें राहुल गांधी ने राज्य में पार्टी के अभियान का नेतृत्व करने के लिए कहा है, जिसमें हर कोई उनकी सहायता करेगा।
उन्होंने बेरोजगारी और महंगाई को लेकर भी भाजपा पर हमला किया और कहा कि भगवा पार्टी को बेनकाब करने के लिए ‘‘भाजपाई ढोल की पोल खोल’’ नाम से उनका अभियान अब पूरे जोर शोर से चलाया जाएगा और वह भाजपा की ‘‘नाकामियों’’ को सामने लाने के लिए कई चुनावी बैठकें करेंगे।
हाल में रावत ने ट्वीट कर पार्टी नेताओं के असहयोग के कारण संगठन को लेकर अपनी नाखुशी व्यक्त की थी, जिसके बाद पीसीसी के शीर्ष पदाधिकारियों को आलाकमान ने दिल्ली बुलाया था।
रावत, गोदियाल, राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रीतम सिंह और उत्तराखंड में पार्टी मामलों के एआईसीसी प्रभारी देवेंद्र यादव दिल्ली गए थे और उन्होंने राहुल गांधी के साथ बैठक की, जिन्होंने रावत को खुली छूट देते हुए मामले को सुलझा लिया।
नाम नहीं छापने का अनुरोध करते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने यहां कहा कि यादव के बहुत अधिक हस्तक्षेप करने से रावत नाराज थे।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को रावत से तथा प्रदेश कांग्रेस के अन्य नेताओं से मुलाकात कर मतभेदों को सुलझाने का प्रयास किया। दो दिन पहले ही रावत ने विद्रोह का संकेत देते हुए कहा था कि पार्टी नेतृत्व ने उन्हें अलग-थलग छोड़ दिया है।
राहुल गांधी से मुलाकात करके निकल रहे रावत ने कहा, ‘‘हम नेतृत्व के सामने अपनी समस्याओं को रखते हैं और वे जो भी फैसले लेते हैं, उन्हें स्वीकार करते हैं।’’
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं उत्तराखंड चुनाव में पार्टी के प्रचार अभियान की कमान संभालूंगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कदम कदम बढ़ाये जा, कांग्रेस के गीत गाये जा।’’ रावत ने कहा कि वह उत्तराखंड के भले के लिए काम करते रहेंगे।
रावत ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष को निर्वाचित विधायकों से बात करने के बाद कांग्रेस विधायक दल के नेता पर फैसला करने का विशेषाधिकार है।
उन्होंने कहा कि सब इसका सम्मान करते हैं और सभी कांग्रेस अध्यक्ष के फैसले को मानेंगे।
इससे पहले राहुल गांधी ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल से मुलाकात की। प्रदेश इकाई में उभरे गतिरोध के दौरान गोदियाल को रावत के साथ खड़े देखा गया। समझा जा रहा है कि रावत चाहते हैं कि उन्हें राज्य में मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाया जाए, लेकिन राहुल गांधी ने कहा है कि चुनाव के बाद निर्णय लिया जाएगा।
राहुल गांधी ने कांग्रेस के उत्तराखंड के प्रभारी देवेंद्र यादव से भी मुलाकात की। माना जाता है कि यादव के साथ रावत के संबंध ठीकठाक नहीं हैं।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने राज्य से पार्टी के अन्य नेताओं से भी मुलाकात की, जिनमें राज्यसभा सदस्य प्रदीप टम्टा, कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रीतम सिंह, पार्टी नेता यशपाल आर्य और उत्तराखंड कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय शामिल रहे।
बैठक में स्पष्ट किया गया कि चुनाव के बाद कांग्रेस के जीतने पर मुख्यमंत्री किसे बनाया जाएगा, इस बारे में फैसला कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी करेंगी।
यादव ने कहा कि बैठक में तय हुआ कि मुख्यमंत्री के बारे में फैसला बाद में किया जाएगा। गोदियाल ने कहा कि रावत को जैसा परिवेश चाहिए होगा, बनाया जाएगा और सब उनका समर्थन करेंगे।
केंद्रीय मंत्री और उत्तराखंड के चुनाव प्रभारी प्रह्लाद जोशी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि भाजपा विधानसभा का अगला चुनाव धामी के ही नेतृत्व में लड़ेगी और 2022 में पार्टी के सत्ता में आने के बाद वही राज्य की कमान संभालेंगे।
भाजपा के केंद्रीय नेता भी धामी की तारीफ के पुल बांध रहे हैं। पिछले दिनों रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने धामी के प्रदर्शन की तुलना भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की टी-20 मैचों में शानदार बल्लेबाजी के प्रदर्शन से की थी और जनता से उन्हें पूरे पांच साल के लिये मौका देने की अपील की थी।
पिछले दिनों उत्तराखंड में एक रैली को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा था कि धोनी जिस तरह टी-20 में धुआंधार बल्लेबाजी करते हैं, वैसा ही धुआंधार प्रदर्शन धामी भी कर रहे हैं और उन्हें ‘‘पूरे पांच साल तक’’ टेस्ट मैच का मौका मिलना चाहिए।
भाजपा महासचिव व उत्तराखंड के प्रभारी दुष्यंत गौतम से इस बारे में जब बात की गई तो उन्होंने कहा, ‘‘यह बिल्कुल स्पष्ट है कि भाजपा विधानसभा का आगामी चुनाव धामी के नेतृत्व में लड़ेगी। बहुत कम समय में उन्होंने विभिन्न कदम उठाए हैं और राज्य में विकास की गति को रफ्तार दी है।’’
उन्होंने कहा कि पार्टी ने एक युवा राज्य में एक युवा को मुख्यमंत्री बनाया है, जबकि कांग्रेस बंटी हुई है और उसमें चेहरे को लेकर आपसी खींचतान मची हुई है, वह भी विधानसभा चुनाव से पहले।
पार्टी के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा कि प्रभावी प्रशासन और खासकर कुछ ही महीनों के भीतर दो बार मुख्यमंत्री बदले जाने के बाद धामी ने जिस तरह से राजनीतिक स्थिति को संभाला, पार्टी में उनकी स्थिति मजबूत हुई है।
उक्त नेता ने कहा, ‘‘धामी ने जिस तरीके से राजनीतिक स्थितियों का प्रबंधन किया और वरिष्ठ नेताओं के साथ सामंजस्य बिठाया, इससे भाजपा फिर से मजबूत स्थिति मे आ गई है और सरकार बनाने की संभावना बढ़ गई है।’’
ज्ञात हो कि धामी इस साल जुलाई में राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। वह राज्य के सबसे युवा मुख्यमंत्री हैं। उन्होंने तीरथ सिंह रावत का स्थान लिया था। त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे के बाद तीरथ सिंह रावत को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया था, लेकिन चार महीने के भीतर ही उन्हें पद छोड़ना पड़ा था।
पार्टी नेताओं का कहना है कि उत्तराखंड की राजनीति में मुख्य तौर पर दो केंद्र हैं। कुमाऊं और गढ़वाल। धामी ने अभी तक के अपने कार्यकाल में दोनों ही क्षेत्रों का लगातार दौरा किया है और एक सामंजस्य बिठाने की कोशिश की है।
भाजपा के कई नेता पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि वह चुनावों में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे और उम्मीदवारों के चयन में उन्हें महत्व दिया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले सप्ताह हल्द्वानी में एक रैली को संबोधित कर सकते हैं।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा ने उच्च न्यायालय की टिप्पणी को लेकर यहां पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में संवाददाताओं से कहा, "मैं अगले हफ्ते उत्तर प्रदेश का दौरा करूंगा। स्थिति की समीक्षा करने के बाद स्थिति के अनुरूप उचित फैसला किया जाएगा।"
चंद्रा से पूछा गया था कि क्या चुनाव स्थगित करना संभव है क्योंकि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कोरोना वायरस के ओमीक्रोन स्वरूप के बढ़ते मामलों को लेकर चिंता जतायी है।
चंद्रा ने उत्तराखंड की स्थिति पर कहा कि उन्होंने मुख्य सचिव एसएस संधू से राज्य में ओमीक्रोन के मामलों के बारे में पूछा था और उन्हें बताया गया कि राज्य में कोविड -19 के नवीनतम स्वरूप का केवल एक मामला था।
चंद्रा ने कोविड के कारण आयोग द्वारा उठाए गए विभिन्न सुरक्षा उपायों का भी जिक्र किया लेकिन यह आश्वासन भी दिया कि वायरस के प्रसार पर काबू पाने के लिए “संवैधानिक स्थिति” के अनुसार जो कुछ भी आवश्यक होगा, वह किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कोविड-19 की तीसरी लहर की बढ़ती आशंका के मद्देनजर केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग से चुनावी रैलियों पर रोक लगाने तथा चुनावों को टालने पर विचार करने का आग्रह किया है।
धामी ने कुमाऊं के पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) नीलेश आनंद भरने से सुखीढांग में स्कूल का दौरा कर घटना की जांच कराने और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा। एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि डीआईजी को घटना के बारे में अफवाह फैलाने वालों पर नजर रखने को भी कहा गया है।
इस महीने की शुरुआत में ‘भोजनमाता’ के रूप में नियुक्ति के एक दिन बाद अगड़ी जाति के छात्रों ने महिला की जाति के कारण उनके द्वारा बनाया गया भोजन ग्रहण करना बंद कर दिया और घर से अपना खाना टिफिन बॉक्स में लाना शुरू कर दिया। छात्रों के अभिभावकों ने भी ‘भोजनमाता’ के रूप में दलित वर्ग की महिला की नियुक्ति पर आपत्ति जताई थी।
अधिकारियों ने पूर्व में कहा कि महिला की नियुक्ति रद्द कर दी गई क्योंकि यह पाया गया कि नियुक्ति में मानदंडों का पालन नहीं किया गया था।
इस महीने की शुरुआत में धर्म परिवर्तन करने के बाद हिंदू बने त्यागी एवं अन्य वक्ताओं पर आरोप है कि पिछले हफ्ते आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने अत्यंत भड़काऊ भाषण दिए और इसके कुछ वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर डाले गए हैं। हिंदू बनने से पहले त्यागी का नाम वसीम रिजवी था।
हरिद्वार कोतवाली थाने के एसएचओ रकिंदर सिंह ने कहा कि भादंसं की धारा 153ए (धर्म, जाति, जन्मस्थान, आवास, भाषा के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना) के तहत बृहस्पतिवार को प्राथमिकी दर्ज की गई। उन्होंने बताया कि मामले की जांच चल रही है।
हरिद्वार के ज्वालापुर इलाके के एक निवासी की शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई है। सोशल मीडिया पर वीडियो क्लिप साझा किए जाने के बारे में पूछने पर अधिकारी ने कहा कि पुलिस के पास अभी तक घटना की कोई फुटेज नहीं है।
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के एक वरिष्ठ नेता ने बृहस्पतिवार को कार्यक्रम के आयोजकों एवं वक्ताओं के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने की मांग की थी। पिछले हफ्ते हरिद्वार के वेद निकेतन धाम में तीन दिनों के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन हुआ था।
टीएमसी के राष्ट्रीय प्रवक्ता साकेत गोखले ने ज्वालापुर थाने में इस सिलसिले में शिकायत दर्ज कराई और एसएचओ से कहा कि मामले में 24 घंटे के अंदर प्राथमिकी दर्ज की जाए।
गोखले ने शिकायत की प्रति ट्विटर पर साझा की और धर्म संसद के आयोजकों तथा कार्यक्रम में मुसलमानों एवं अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने वालों को 27 दिसंबर तक गिरफ्तार करने की समय सीमा दी थी।
एसएचओ को दी गई शिकायत में गोखले ने कहा कि इसमें संलिप्त लोगों के खिलाफ अगर 24 घंटे के अंदर प्राथमिकी दर्ज नहीं की जाती है, तो न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष शिकायत दी जाएगी।
कार्यक्रम में कई वक्ताओं ने कथित तौर पर भड़काऊ एवं उत्तेजक भाषण दिए और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की हत्या करने का आह्वान किया। साथ ही उन्होंने लोगों से हथियार उठाने और एक पूर्व प्रधानमंत्री को गोली मारने की भी अपील की।
धर्म संसद का कथित तौर पर आयोजन जूना अखाड़ा के यति नरसिंहानंद गिरि ने की थी, जिन पर विगत में भी अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत भरे भाषण देने और हिंसा भड़काने के आरोप हैं।
प्रदेश कांग्रेस समिति प्रमुख ने कहा कि राज्य के कांग्रेस नेता, पार्टी के केंद्रीय नेताओं से मिलने के लिए शुक्रवार को दिल्ली जाएंगे।
प्रदेश कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एक ट्वीट में कहा था, ‘‘है न अजीब सी बात, चुनाव रूपी समुद्र को तैरना है, संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर कर खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है।’’
रावत के ट्वीट पर टिप्पणी करते हुए गोडियाल ने कहा कि उनकी भी समान भावनाएं हैं।
उन्होंने रावत के ट्वीट में व्यक्त किये गये विचारों का समर्थन करते हुए कहा, ‘‘मैं भी यह महसूस करता हूं। लेकिन मैं संबद्ध व्यक्ति को खुद को ठीक करने के लिए पर्याप्त समय देता हूं। ’’
उन्होंने कहा कि पार्टी संगठन इस बात से अवगत है और ‘‘हमारे द्वारा उठाये गये मुद्दों का हल करने की प्रक्रिया जारी है।’’ उन्होंने कहा कि हालांकि, यदि उनका पहले ही हल हो जाता तो इस तरह के ट्वीट नहीं किये जाते।
गोडियाल ने कहा, ‘‘हम पार्टी महासचिव के.सी. वेणुगोपाल से और जरूरत पड़ी तो राहुल गांधी से भी मिलेंगे तथा उनके समक्ष विषय को रखेंगे। मुझे उम्मीद है कि समाधान हो जाएगा।’’
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि रावत को दरकिनार करने के बारे में किसी का सोचना बेवकूफी होगी। उन्होंने कहा, ‘‘उनके जैसा नेता, जिन्हें लोगों का स्नेह प्राप्त है और सभी को स्वीकार्य हैं, उत्तराखंड में किसी पार्टी में नहीं है। ’’
गोडियाल ने इस बात से इनकार किया कि पार्टी में कई गुट हैं। उन्होंने कहा,‘‘पूरी कांग्रेस हरीश रावत के साथ खड़ी है। पार्टी में कोई गुटबंदी नहीं है। ’’
उत्तराखंड में पार्टी मामलों के कांग्रेस प्रभारी से रावत के मतभेदों के बारे में पूछे जाने पर गोडियाल ने सीधा जवाब नहीं दिया, लेकिन कहा कि सभी को साथ लेकर चलना पार्टी प्रभारी की जिम्मेदारी है।
अगले साल की शुरूआत में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी की चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष रावत ने ‘टाइम्स नाउ नवभारत नवनिर्माण मंच’ द्वारा यहां आयोजित एक कानक्लेव में कहा कि भाजपा ने कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अपने स्थानीय और क्षेत्रीय नेताओं को मजबूत किया।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें भी यही तकनीक अपनानी होगी जिससे राहुल गांधी 2024 में प्रधानमंत्री बन सकें।’’
रावत ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर जीत की राह बनाने के लिए कांग्रेस को पहले राज्यों में भाजपा को हराना होगा। इस विचार के पीछे का तर्क स्पष्ट करते हुए रावत ने कहा कि यह राजनीति की उनकी समझ है।
उन्होंने कहा कि पार्टी की विचारधारा देखने के अलावा मतदाता अपना प्रतिनिधित्व करने वाले व्यक्ति को भी देखते हैं जिससे पांच साल के लिए जनता से वादे करने वाले को वे जवाबदेह बना सकें ।