रविवार, 16 अगस्त 2020

चीनी सैनिकों के साथ झड़प में घायल जवान शहीद, 60 दिनों तक मौत से जूझते रहे

देहरादून 15 जून को गलवान घाटी में चीन के सैनिकों के साथ हुई झड़प के बाद घायल हुए हवलदार बिशन सिंह महरा 60 दिनों तक जिंदगी और मौत से जूझते रहे। गत शुक्रवार को इलाज के दौरान चंडीगढ़ के एक अस्‍पताल में उनकी मौत हो गई।15 अगस्त की रात उनका शव हल्द्वानी में कमालुआ गांजा स्थित उनके भाई के घर लाया गया। उनकी पत्नी समेत उनके बेटे और बेटी भी यहीं रहते हैं। बिशन सिंह महरा पिथौरागढ़ जिले के बंगापानी तहसील के मणीधामी गांव के मूल निवासी थे। उनका रिटायरमेंट आगामी 30 अगस्त को होना बताया गया है। उनके एक बेटा और एक बेटी है। कहां तो उनका परिवार उनके रिटायर होने के बाद परिवार के साथ आने के इंतजार कर रहा था लेकिन उनके स्थान पर उनका शव गांव आया। ड्यूटी जॉइन कर चुके थे पर... लद्दाख के अस्पताल में लंबा इलाज चलने के बाद महरा ने फिर से अपनी ड्यूटी जॉइन भी कर ली थी। लेकिन अचानक तबीयत बिगड़ने से उन्हें चंडीगढ़ के अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उनका निधन हो गया। उनकी अंत्येष्टि रविवार को रानीबाग के चित्रशिला घाट पर कर दी गई। हल्द्वानी भर से आए लोगों और रिश्तेदारों समेत परिजनों ने नम आखों से उनको अंतिम विदाई दी। उनकी चिता को उनके बेटे और भाई ने मुखाग्नि दी। 20 जवान हुए थे शहीद आपको बता दें कि गत जून में गलवान घाटी में चीन के अवैध कब्जे को लेकर भारत और चीन की सेनाओं में खूनी संघर्ष हुआ था। इस संघर्ष में कर्नल संतोष बाबू समेत सेना के कुल 20 जवान शहीद हो गए थे। चीन के भी कम के कम 43 सैनिक और अधिकारी इस झड़प में मारे गए। दरअसल, लगातार जारी तनाव के बीच कर्नल संतोष बाबू बातचीत करने गए थे। लौटते वक्त चीनी सैनिकों ने धोखे से हमला कर दिया, जिसके बाद दोनों तरफ के जवानों में जमकर संघर्ष हुआ।


from Uttarakhand News in Hindi, Uttarakhand News, उत्तराखंड समाचार, उत्तराखंड खबरें| Navbharat Times https://ift.tt/31YzzRb

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें