सोमवार, 17 अगस्त 2020

कैंसर से पीड़ित थे हवलदार बिशन सिंह, सेना ने गलवान हिंसा में घायल होने की खबर का किया खंडन

देहरादून के जवान बिशन सिंह कैंसर से पीड़ित थे और हरियाणा के अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। सेना ने में बिशन सिंह के घायल होने वाली खबर का खंडन किया। सेना ने स्पष्ट किया है कि 17 कुमाऊं रेजिमेंट के गलवान घाटी की हिंसा में घायल नहीं हुए थे। सेना ने कहा कि कुछ मीडिया चैनल्स में हवलदार बिशन सिंह के निधन को गलवान हिंसा से जोड़कर दिखाया जा रहा है, यह गलत है। सेना ने स्पष्ट किया कि हवलदार बिशन सिंह के निधन का गलवान घाटी में हुई हिंसा से लेना-देना नहीं है। सेना ने बयान जारी कर कहा, 'कुछ मीडिया चैनल्स में 17 कुमाऊं में हवलदार बिशन सिंह के निधन को गलवान हिंसा से जोड़कर दिखाया जा रहा है। यह तथ्य गलत है।' कोलन कैंसर से पीड़ित थे हवलदार बिशन सिंह सेना ने आगे कहा, 'यह कोलन कैंसर का केस था। बिशन सिंह 29 जून को इलाज के लिए लेह के जनरल अस्पताल में भर्ती हुए थे। स्थिति बिगड़ने पर उन्हें 3 जुलाई को हरियाणा के चंडीमंदिर स्थित कमांड अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां 15 अगस्त को रात डेढ़ बजे उनका निधन हो गया।' इलाज के दौरान हुई मौत बता दें कि एक दिन पहले ही खबर आई थी कि 15 जून को गलवान घाटी में चीन के सैनिकों के साथ हुई झड़प के बाद हवलदार बिशन सिंह महरा घायल हुए थे, वह 60 दिनों तक जिंदगी और मौत से जूझते रहे। गत शुक्रवार को इलाज के दौरान चंडीगढ़ के एक अस्‍पताल में उनकी मौत हो गई। हल्द्वानी में हुआ अंतिम संस्कार बिशन सिंह महरा पिथौरागढ़ जिले के बंगापानी तहसील के मणीधामी गांव के मूल निवासी थे। उनका एक बेटा और एक बेटी है। उनकी अंत्येष्टि रविवार को रानीबाग के चित्रशिला घाट पर कर दी गई। हल्द्वानी भर से आए लोगों और रिश्तेदारों समेत परिजनों ने नम आखों से उनको अंतिम विदाई दी। उनकी चिता को उनके बेटे और भाई ने मुखाग्नि दी। 20 जवान हुए थे शहीद आपको बता दें कि गत जून में गलवान घाटी में चीन के अवैध कब्जे को लेकर भारत और चीन की सेनाओं में खूनी संघर्ष हुआ था। इस संघर्ष में कर्नल संतोष बाबू समेत सेना के कुल 20 जवान शहीद हो गए थे। चीन के भी कम के कम 43 सैनिक और अधिकारी इस झड़प में मारे गए। दरअसल, लगातार जारी तनाव के बीच कर्नल संतोष बाबू बातचीत करने गए थे। लौटते वक्त चीनी सैनिकों ने धोखे से हमला कर दिया, जिसके बाद दोनों तरफ के जवानों में जमकर संघर्ष हुआ।


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