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देहरादून, 10 अगस्त (भाषा) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने खुले में पशुओं के वध पर रोक लगाने के उसके आदेश की तामील नहीं करने के लिए राज्य सरकार की खिंचाई की है। राज्य सरकार की आलोचना करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की पीठ ने कहा कि अगर सरकार 20 अगस्त तक पशुओं के वध पर उच्च न्यायालय के प्रतिबंध निर्देश के खिलाफ स्टे आर्डर प्रस्तुत करने में नाकाम रही तो राज्य में सभी तरह के मांस की बिक्री पर तब तक रोक लगा दी जाएगी जब तक कि उसका स्रोत सत्यापित ना हो। अदालत के आदेश की तामील नहीं होने के खिलाफ चेताते हुए पीठ ने कहा कि 20 अगस्त को याचिका पर सुनवाई के समय अगर राज्य रोक का आदेश प्रस्तुत नहीं करता है तो अदालत वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों और सभी जिलों के जिला मजिस्ट्रेटों को अवैध बूचड़खाने से आने वाले मांस की बिक्री पर रोक का निर्देश दे सकती है। उच्च न्यायालय ने सितंबर 2018 में खुले में सभी पशुओं के वध पर प्रतिबंध लगाते हुए प्रशासन से सुनिश्चित करने को कहा था कि केवल वैध बूचड़खाने में ही पशुओं को मारा जाए। याचिकाकर्ता की ओर से दलील देते हुए वकील कार्तिकेय हरि गुप्ता ने अदालत को सूचित किया कि खुले में पशुओं के वध पर प्रतिबंध लगाए जाने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार उच्चतम न्यायालय में पहले ही एक याचिका दायर कर चुकी है लेकिन शीर्ष न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ रोक नहीं लगाया है । मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अप्रैल में याचिका पर नोटिस जारी किया था लेकिन अब तक राज्य सरकार कोई रोक का आदेश नहीं प्रस्तुत कर पायी है ।
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