देहरादून, 25 अगस्त :भाषा: उत्तराखंड सरकार अब ‘रिस्पना’ और ‘बिन्दल’ नदियों को पुनर्जीवित करने के अपने प्रयासों में तेजी लाएगी । वर्ष 2017 में सत्ता संभालने के बाद से ही प्रदेश की नदियों, खासतौर पर ‘रिस्पना’ और ‘बिंदाल’ को फिर से पुराने स्वरूप में लौटाने का बीड़ा उठाने वाले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कई बार दोनों नदियों को पुनर्जीवित करने के अपने संकल्प को दोहराया है और दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाते हुए मिशन ‘रिस्पना से ऋषिपर्णा’ शुरू किया है । सरकार की गंगा को स्वच्छ बनाने की मुहिम में भी इन दोनों नदियों का पुनर्जीवित होना खास मायने रखता है । ‘रिस्पना’ और ‘बिन्दल’ अगर प्रदूषण-मुक्त हो जाती हैं तो इसका सीधा असर गंगा पर पडे़गा जिसे साफ करना केंद्र सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है । ‘रिस्पना’, ‘गंगा’ की एक अत्यंत प्रदूषित सहायक नदी है जो मसूरी से शुरू होकर देहरादून से बहती हुई बिन्दल नदी से मिलकर हरिद्वार में ‘गंगा’ में विलीन हो जाती है । इसके अलावा, जानकारों का मानना है कि ‘रिस्पना’ व ‘बिन्दल’ नदियों का पुनर्जीवित होना इन नदियों के साथ ही देहरादून के भी व्यापक हित में है जिससे देहरादून के सौंदर्य में बढ़ोत्तरी के साथ ही इसके पर्यावरण में भी सुधार होगा । पिछले साल सरकार ने मुख्यमंत्री रावत के नेतृत्व में ‘केरवान’ गांव से शुरू हुए मिशन 'रिस्पना से ऋषिपर्णा' के तहत ‘रिस्पना’ के तट पर ढाई लाख पौधे लगाए थे जिनमें अमलतास, शीशम, कचनार, बांस, बेलपत्र, आंवला, हरड़, बहेड़ा, तेजपात आदि 18 से अधिक विभिन्न प्रजातियां के पौधे शामिल थे । इस साल भी ‘रिस्पना’ के किनारे 31 हजार पौधों का रोपण किया गया जिनमें मुख्यत: पीपल और बरगद के पेड़ शामिल थे । बिंदाल के किनारे भी पौधारोपण की इसी प्रकार की योजना को अंजाम दिया जा रहा है । कभी देहरादून की जीवन रेखा रहीं लेकिन अब आबादी के दबाव और लोगों की आदतों के चलते गंदे नाले में तब्दील रिस्पना और बिंदाल नदियों के पुनर्जीवीकरण के प्रयासों में तेजी लाने के लिये जल्द ही कार्यदायी संस्था के चयन को अंतिम रूप दिया जायेगा तथा योजना के क्रियान्वयन से संबंधित औपचारिकतायें बहुत जल्द पूरी कर ली जायेंगी । एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री ने इस संबंध में अधिकारियों को सार्वजनिक उपक्रमों के साथ ज्वाइंट वैंचर के माध्यम से संचालित की जाने वाली इस योजना के सम्बन्ध में तैयार विस्तृत परियोजना रिपोर्ट :डीपीआर: के आधार पर कार्यदायी संस्था के चयन को अंतिम रूप देने तथा विभिन्न विभागों द्वारा की जाने वाली कार्यवाही को जल्द से जल्द करने के निर्देश दिये हैं । उन्होंने बताया कि इस योजना में साबरमती रिवर फ्रंट के अधिकारियों का भी सहयोग लिया जायेगा । नदियों के पुनर्जीवीकरण के तहत रिस्पना के आस-पास 1.2 किलोमीटर और बिन्दाल के आसपास 2.2 किलोमीटर क्षेत्र में रिवर फ्रन्ट डेवलपमेन्ट के तहत चैनलाइजेशन तथा जन सुविधाओं एवं सड़कों का निर्माण, निर्धनों के लिए आवास निर्माण, पार्किंग व्यवस्था के साथ ही रिवर फ्रन्ट एरिया के सौन्दर्यीकरण का कार्य किया जायेगा। इसके अलावा, देहरादून के कारगी क्षेत्र में उत्तराखंड के सबसे बडे सीवेज शोधन संयंत्र का निर्माण किया गया है जिससे शोधित जल में क्लोरीन मिलाकर जीवाणुरहित कर पुन: नदियों में छोडा जा रहा है । राज्य सरकार का दावा है कि इससे नदियों मुख्य रूप से बिंदाल नदी में प्रदूषण की मात्रा काफी हद तक कम हो गयी है तथा बीमारियों की संख्या में भी कमी आयी है । इस संबंध में गैर सरकारी संगठन 'हैस्को' के संस्थापक और पर्यावरणविद् पदमश्री अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि रिस्पना को पुनर्जीवित करने का प्रयास एक बहुत अच्छी पहल है । हालांकि, उन्होंने कहा कि परियोजना की सफलता के लिये सरकार के साथ ही इसमें आम जनता की भागीदारी भी आवश्यक है ।
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