शनिवार, 31 अगस्त 2019

उत्तराखंड: हाई कोर्ट ने सरकार से कहा, शराबबंदी पर 6 महीने में लें फैसला

नैनीताल उच्च न्यायालय ने राज्य से प्रदेश में शराब पर प्रतिबंध लगाने की दिशा में कदम उठाने को कहा है। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने गुरुवार को राज्य सरकार को शराब पर क्रमिक रूप से प्रतिबंध लगाने के लिए नीतिगत निर्णय लेने के निर्देश दिए। याचिकाकर्ता डीके जोशी ने बताया कि उच्च न्यायालय ने इसके लिए राज्य सरकार को छह महीने का समय दिया है। राज्य सरकार को आबकारी कानून की प्रतिबंध से संबंधित धारा 37ए का अनुपालन करने के निर्देश देने के अलावा उच्च न्यायालय ने 21 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति को अल्कोहल की बिक्री न करने के कानून का भी सख्ती से पालन करने का आदेश दिया। उच्च न्यायालय ने यह आदेश जोशी की जनहित याचिका पर दिया है। बागेश्वर जिले के गरुड़ क्षेत्र के निवासी और अधिवक्ता जोशी ने याचिका में शराब को पर्वतीय क्षेत्र में समाज में आई गिरावट का कारण बताते हुए इस पर प्रतिबंध लगाए जाने का आदेश देने की प्रार्थना की थी। याचिका में दलील दी गई थी कि सरकार के संरक्षण में बेची जा रही शराब प्रदेश में जिंदगियों को प्रभावित कर रही है। इस सामाजिक बुराई से कई घर बर्बाद हो गए हैं और शराब पीने से मरने वालों के परिवारों, बीमार होने वालों या दुर्घटना का शिकार होने वालों को कोई मुआवजा भी नहीं मिलता। याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने आबकारी कानून, 1910 को 1978 में 37ए के जरिए संशोधित किया था लेकिन उत्तराखंड सरकार ने उस संशोधन को अपने यहां लागू नहीं किया। राज्य को बने 19 साल गुजर जाने के बाद भी शराब पर प्रतिबंध लगाने की दिशा में कोई ऐहतियाती कदम नहीं उठाए गए हैं और इसके विपरीत राज्य सरकार राजस्व के नाम पर दुकानों की संख्या बढ़ा दी गई है। याचिका में कहा गया है कि आबकारी नीति, 2019 के तहत जिलाधिकारी को यह सुनिश्चित करने के विशेष अधिकार दिए गए हैं कि जिले का कोई भी क्षेत्र शराब की दुकान से वंचित न रह जाए। इसके अलावा, राज्य में 21 वर्ष से कम उम्र के व्यक्तियों को शराब की बिक्री न किए जाने के प्रावधान की भी अनदेखी की जा रही है। हालांकि राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि 2002 में आबकारी नीति में कई प्रकार के नियंत्रण लगाए गए थे और उनका पालन किया जा रहा है। इस संबंध में उदाहरण देते हुए सरकार ने कहा कि हरिद्वार, ऋषिकेश, चारधाम, पूर्णागिरी और पिरान कलियर जैसे धार्मिक स्थानों पर शराब प्रतिबंधित है। इसके अलावा स्कूल, कॉलेज, मंदिर और मस्जिदों से भी एक निर्धारित दूरी के नियम का पालन किया जाता है। याचिकाकर्ता की तरफ से पेश अधिवक्ता वीपी नौटियाल ने अदालत के इस आदेश को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि इससे राज्य में शराब के सेवन की बढ़ती प्रवृत्ति पर लगाम लगेगी।


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