देहरादून उत्तराखंड में भारत सरकार की महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य योजना अटल आयुष्मान भारत में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। डॉक्टरों और अस्पतालों की मिलीभगत से जरूरतमंदों के लिए शुरू की गई इस योजना के जरिए जमकर लूट-खसोट की गई। नैशनल हेल्थ अथॉरिटी (एनएचए)के अधिकारियों के मुताबिक कई निजी अस्पतालों ने पिछले कुछ महीनों में ही इस योजना से करीब 1.20 करोड़ रुपये का घोटाला किया है। में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी के इन मामलों ने अधिकारियों को अब सचेत कर दिया है। दरअसल, एनएचए की एक टीम मई में पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में के लाभार्थियों से मिलने पहुंची थी। यहां एक लाभार्थी से मुलाकात के बाद जो बातें सामने आईं, उससे अधिकारियों के होश उड़ गए। इस शख्स को किसी ऐसे व्यक्ति के रूप में सूचीबद्ध किया गया था जिसे आपातकालीन हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी की आवश्यकता थी। पर, टीम जब उससे मिली तो वह आसानी से स्कूटी चलाते हुए दिखा। इसके बाद टीम ने अपनी पड़ताल तेज की। एनएचए की टीम जैसे- जैसे आयुष्मान भारत के लाभार्थियों से मिलती गई, वैसे- वैसे धोखाधड़ी के अलग-अलग और नायाब मामले सामने आते गए। कहीं ऐसे मरीजों की सर्जरी दिखाई गई, जिन्हें पहले ही डिस्चार्ज कर दिया गया था। जांच में कुछ ऐसे हॉस्पिटल मिले जिन्होंने मरीजों के डायलिसिस किए जाने की जानकारी दी है, लेकिन उनके पास कोई गुर्दा रोग विशेषज्ञ ही नहीं हैं। फर्जी सर्जरी का दावा भी इतना ही नहीं जांच में यह भी सामने आया कि कुछ अस्पातलों ने मरीजों को गंभीर बीमारियों से जुझते हुए दिखाया, जबकि उन्हें मामूली बीमारी थी। कुछ अस्पतालों ने मरीजों के ऑपरेशन की जानकारी दी, जबकि जांच में पाया गया कि उनका ऑपरेशन काफी पहले ही हो चुका था। कुछ अस्पतालों ने बिल्कुल स्वस्थ्य मरीजों के लिए फर्जी सर्जरी के नाम पर मोटी रकम का दावा किया। हिप रिप्लेसमेंट लेकिन चला रहा स्कूटी उत्तराखंड में अटल आयुष्मान भारत योजना के निदेशक अभिषेक त्रिपाठी कहते हैं, 'जिस शख्स को अचानक हिप रिप्लेसमेंट की जरूरत पड़ी हो, वह स्कूटी कैसे चला सकता है? अस्पताल ने इस सर्जरी के लिए 90 हजार रुपये का दावा किया, जिसके भुगतान से हमने मना कर दिया है।' राज्य में 18 लाख लाभार्थी बता दें कि उत्तराखंड में इस योजना के तहत 150 से अधिक हॉस्पिटल हैं। पिछले साल सितंबर में शुरू हुए इस योजना के यहां 5.37 लाख लाभार्थी थे। पिछले साल दिसंबर में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस योजना को अटल के नाम से जोड़ा और इसे योजना को तेजी से आगे बढ़ाया। अब इस योजना के 18 लाख लाभार्थी हैं। राज्य अतिरिक्त लाभार्थियों के लिए बिल तैयार कर रहा है, जिनमें से प्रत्येक 5 लाख रुपये के मेडिकल कवर का हकदार हैं। अधिकारियों के उड़े होश स्वास्थ्य के इस अहम योजना में अब धोखाधड़ी के मामलों ने अधिकारियों के होश उड़ा दिए हैं। मार्च में जबसे इस योजना की स्क्रीनिंग शुरू हुई है, धोखाधड़ी के एक से बढ़कर एक मामले सामने आ रहे हैं। एक जांच अधिकारी ने बताया कि चार लोगों के खिलाफ अभी तक इस मामले में केस दर्ज हो चुका है। इसके अलावा 12 लोगों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। सिर्फ एक डॉक्टर और 24 घंटे इमर्जेंसी सेवा जांच टीम के एक सदस्य ने बताया, 30 बेड के एक हॉस्पिटल ने 24 घंटे इमर्जेंसी सुविधा का दावा किया है। पर, हमने पाया कि यह हॉस्पिटल सिर्फ एक डॉक्टर द्वारा संचालित है जो कि इसका मालिक भी है। इस हॉस्पिटल ने इस योजना के तहत 2,72,600 रुपये के चिकित्सीय दावे किए जिसे जांच के बाद रद्द कर दिया गया है। आयुर्वेद का डॉक्टर एमबीबीएस बन गया यही नहीं उधम सिंह नगर स्थित एक सरकारी हेल्थ सेंटर में तैनात फार्मासिस्ट यहां आने वाले मरीजों को प्राइवेट नर्सिंग होम में भेजता पाया गया। वहीं एक नर्सिंग होम में आयुर्वेदिक डॉक्टर खुद को एमबीबीएस बताते हुए इलाज करता मिला। यही नहीं नर्सिंग होम में सामान्य बुखार के रोगियों को घातक बीमारियों से पीड़ित दिखाया गया। मोतियाबिंद को इमर्जेंसी सर्जरी बताया जांचकर्ताओं ने पाया कि अस्पतालों ने अधिक पैसा वसूलने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाए। मिसाल के तौर पर हरिद्वार के एक अस्पताल ने 45 दिनों में 38 मोतियाबिंद सर्जरी करने का दावा किया, जो रात 9.30 बजे के बाद किए गए। अस्पताल ने इसे इमर्जेंसी बताते हुए बड़ी संख्या में सर्जरी का दावा किया। अब अधिकारियों ने इस दावे को भी यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि मोतियाबिंद आपातकालीन सर्जरी नहीं है।
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