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नैनीताल, 27 अक्टूबर (भाषा) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को लाभ पहुंचाने के लिए नोटबंदी के बाद एक दंपती के बैंक खाते में धन जमा कराये जाने संबंधी सोशल मीडिया पर लगाए गए आरोपों की सीबीआई जांच के आदेश दिए और आरोप लगाने वाले पत्रकार उमेश शर्मा के खिलाफ इस संबंध में दर्ज प्राथमिकी रद्द कर दी। शर्मा के खिलाफ देहरादून के एक थाने में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का आदेश देते हुए न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी की एकलपीठ ने याचिकाकर्ता से इस मामले के सभी दस्तावेज बुधवार दोपहर बाद तक अदालत में जमा कराने के भी निर्देश दिए। यह आदेश शर्मा की उस याचिका पर आया है जिसमें उन्होंने अदालत से अपने खिलाफ देहरादून में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की प्रार्थना की थी। शर्मा ने इस वर्ष 24 जून को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाली थी जिसमें दावा किया गया था कि झारखंड के अमृतेश चौहान ने नोटबंदी के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के निजी लाभ के लिए एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर हरेंद्र सिंह रावत और उनकी पत्नी डा सविता रावत के खाते में पैसे जमा कराए थे। इस पोस्ट में दावे के समर्थन में बैंक खाते में हुए लेन-देन का विवरण भी डाला गया था। इस पर हरेंद्र सिंह रावत ने 31 जुलाई को देहरादून में इन आरोपों को झूठा और आधारहीन बताते हुए शर्मा पर ब्लैकमेल करने का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई थी। याचिकाकर्ता शर्मा की तरफ से अदालत में उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा। सभी पक्षों को सुनने के बाद, उच्च न्यायालय की एकलपीठ ने शर्मा के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करते हुए उनके द्वारा सोशल मीडिया पर लगाए आरोपों की सीबीआई जांच के आदेश दिए।
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