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नैनीताल उत्तराखंड वन विभाग में जूनियर रिसर्च फेलो अंबिका अग्निहोत्री ने तितली की एक दुर्लभ प्रजाति पपिलियो अल्केलनॉर खोजी। है। तितली की इस प्रजाति को रेडब्रेस्ट के नाम से भी जानते हैं। यह इस साल जुलाई में नैनीताल के मुक्तेश्वर इलाके में दस दशक के बाद देखी गई। आम तौर पर पूर्वी-हिमालयी क्षेत्र में पाई जाने वाली इस तितली 110 वर्षों के पहले पहली बार पश्चिमी हिमालय में खोजा गया। लगभग उसी समय, मसूरी के पास देवलसारी के रहने वाले अरुण गौर ने उड़ने वाली पतंगा, अचेलुरा बिफासिटा को भी देखा। यह पतंगा भी 1893 के बाद पहली बार देखा गया था। इन दृश्यों ने उत्तराखंड में तितली के दर्शकों और विशेषज्ञों को उत्साहित किया है। भीमताल के एक अनुभवी एंटोमोलॉजिस्ट और बटरफ्लाई रिसर्च सेंटर के संस्थापक पीटर स्मेटसेक ने बताया कि उन्होंने पिछले कई सालों से कम ऊंचाई पर इतनी अधिक संख्या में तितलियों को नहीं देखा, जितनी इस साल देखीं। रेडब्रेस्ट केवल मुक्तेश्वर में नहीं बल्कि भवाली में भी देखी गई। उन्होंने कहा कि हमारे शोध के अनुसार, यह तितली केवल अनुकूल वर्षों और दूसरों की अनुपस्थित ही अपना विस्तार करती है। निश्चित रूप से यह साल उनके सबसे अनुकूल वर्षों में से एक है। कोरोना लॉकडाउन के कारण हुआ परिवर्तन इस साल इतनी अधिक संख्या में तितलियों के कारण के बारे में पूछे जाने पर, स्मेटासेक ने कहा कि कोविड के चलते इस साल लॉकडाउन हुआ और इस कारण इस साल जंगल में आग लगने की घटना भी बहुत कम हुईं। उन्होंने कहा, 'जंगल की आग और तितलियों की आबादी के बीच सीधा संबंध है। मैंने ऐसे उदाहरणों का डॉक्युमेंटेशन किया है जब आग ने एक क्षेत्र से तितलियों की पूरी आबादी का सफाया कर दिया था और यह कई साल बाद फिर वापस आई थीं। इस साल उत्तराखंड के जंगलों में बहुत कम आग लगीं, और इसलिए, यह प्रमुख कारण हो सकता है कि इतनी सारी और पतंते राज्य में नजर आए।' इस साल जंगल में बहुत कम आग लगीं उत्तराखंड वन विभाग के अनुसार, इस साल जून तक राज्य में 134 वन आग लगने की घटनाएं हुईं। पिछले साल के आंकड़ों की तुलना में यह काफी कम था, पिछले साल 2,150 से अधिक बार जंगलों में आग लगी। लगभग 3,000 हेक्टेयर जंगल काट दिए गए। दुर्लभ पतंगों का झुंड भी आया नजर दून का तितली ट्रस्ट देवलसारी में तितलियों पर काम करता है। उन्होंने कहा कि अक्टूबर की शुरुआत के बाद से, 'दिन में उड़ने वाला पतंगा, अचेलुरा बिफासिटा का एक विशाल समूह, देवलसारी के चियाना खुद इलाके में देखा गया।' पतंगा के अलावा, तवनी राजह तितली, जो गढ़वाल में बहुत दुर्लभ है और पिछले कई दशकों में केवल कुछ ही बार देखी गई, वह भी नजर आई। शोधकर्ताओं ने कहा और रिसर्च की जरूरत तितली ट्रस्ट के संजय सोंढ़ी ने कहा कि ये पतंगे दिन के समय में पेड़ों के ऊपर नजर आ रहे हैं। ऐसा जीवन में एक बार ही देखने को मिलता है। सामान्यता इस तरह का झुंड नहीं दिखता। उन्होंने कहा कि इस पर और रिसर्च की जानी चाहिए। इस साल नजर आने वाली दुर्लभ तितलियों का डाटा संग्रह होना चाहिए।
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