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प्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति का मामला वर्षों से लंबित होने के संबंध में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश आर एस चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को तय समय सीमा के अंदर जवाब दाखिल करने को कहा ।
याचिका में कहा गया है कि भ्रष्टाचार रोधी निकाय के अभाव में भ्रष्टाचार और भ्रष्ट लोग बढ़ गए हैं ।
हल्द्वानी निवासी सामाजिक कार्यकर्ता रवि शंकर ने कहा कि राज्य सरकार ने 2013 में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए एक कड़ा कानून बनाया था लेकिन 2014 में कानून को वापस लेते हुए उसे संशोधित कर दिया गया ।
संशोधन के अनुसार, लोकायुक्त की नियुक्ति होने के दिन से यह कानून प्रभावी होगा ।
याचिकाकर्ता ने कहा कि भुवन चंद्र खंडूरी के मुख्यमंत्रित्व काल के दौरान राज्य विधानसभा ने एक प्रभावी लोकायुक्त विधेयक पारित किया था लेकिन 2014 में कांग्रेस सरकार ने इसे रद्द करते हुए इसकी जगह एक नया लोकायुक्त विधेयक लाया जो कभी लागू नहीं हुआ ।
प्रदेश में 2017 में त्रिवेंद्र सिंह रावत की भाजपा सरकार ने विधेयक को राज्य विधानसभा की प्रवर समिति को सौंप दिया और उसके बाद आज तक यह अस्तित्व में नहीं आ सका है ।
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