देहरादून उत्तराखंड पुलिस के प्रशिक्षित घोड़े शक्तिमान की मौत मामले में आरोपी कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी को देहरादून की सीजेएम कोर्ट ने बरी कर दिया है। 2016 से शक्तिमान की मौत का केस देहरादून की निचली अदालत में चल रहा था। देहरादून के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट लक्ष्मण सिंह ने मामले में कोई पुख्ता प्रमाण न होने के आधार पर जोशी तथा अन्य आरोपियों को बरी कर दिया। डॉक्टरों ने लगाया था कृत्रिम पैर 2016 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के खिलाफ विधानसभा के पास विरोध प्रदर्शन के दौरान उत्तराखंड पुलिस के घोड़े शक्तिमान की एक टांग टूट गई थी। शक्तिमान की जान बचाने के लिए डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर कृत्रिम पैर लगाया। पशु क्रूरता अधिनियम में दर्ज हुआ था केस लंबा इलाज चलने के बावजूद संक्रमण बढ़ता चला गया और शक्तिमान की मौत हो गई थी। मामले में पुलिस ने जोशी के खिलाफ अन्य अधिनियमों के अलावा पशु क्रूरता अधिनियम के तहत भी मामला दर्ज किया था। जिला प्रशासन ने लगाए थे आरोप तत्कालीन विधायक गणेश जोशी के खिलाफ घोड़े पर डंडा चलाते हुए फोटो दिखाई देने के बाद उन्हें कटघरे में खड़ा किया गया था। तत्कालीन जिला प्रशासन ने यह भी आरोप लगाया था कि गणेश जोशी के लाठी से हमला किया। बरी होने के बाद क्या बोले विधायक विधायक पर आरोप लगा था कि विधायक के साथ अन्य कार्यकर्ता प्रमोद बोरा द्वारा लगाम खींचने से घोड़े का सारा भार उसके पीछे के हिस्से पर आ गया। इससे वह गिर गया जिससे उसकी पिछली टांग की हड्डी टूट गई। अदालत से बरी होने के बाद जोशी ने कहा कि वह शुरू से ही कहते आ रहे हैं कि वह इस मामले में दोषी नहीं हैं और आज सत्य की विजय हुई है।
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