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महेश पांडेय, देहरादून उत्तराखंड के राजकीय इंटर कॉलेज के बच्चों ने भारत सरकार और इंटेल इंडिया की आर्टिफिशल इंटेलिजेंसी में टॉप-100 टीमों में जगह बनाई है। टिहरी गढ़वाल के सुदूर इलाके से छात्रों को यहां तक लाने के पीछे गणित के टीचर जगदंबा प्रसाद डोभाल हैं। जगदंबा प्रसाद का पढ़ाने का तरीका ऐसा है कि बच्चे गणित की बड़ी से बड़ी परेशानी को चुटकियों में सुलझा लेते हैं। वह कहते हैं कि पहले मैं यही सोचता था कि मैं पढ़ाता अच्छा हूं और समझ न पाने में बच्चों की ही कमी है। बाद में जब उन्हें इसका अहसास हुआ तो उन्होंने गणित पढ़ाने की नई तरकीब निकाली। बेकार चीजों से सिखाते हैं गणित का फॉर्म्युला पहले उन्होंने झाड़ू की सींक से रेखागणित के टूल बनाना शुरू किया और बच्चों को खेल-खेल में इन्हें सिखाया। जब उनका यह आइडिया काम कर गया तो इसी तरह उन्होंने घर में पड़ी हुई सभी बेकार चीजों (जैसे- पुराने डिब्बे, दीवार घड़ियां, गेंद, बल्ला) को गणित को फॉर्म्यूलों से जोड़ना शुरू कर दिया। 2006 के दौरान उन्होंने स्कूल में गणित की लैब बनाई जिसमें खेल-खेल में मैथ्स सिखाई जाती है। बच्चों को साइंस फेयर में भाग लेने के लिए किया प्रेरित जगदंबा प्रसाद ने बच्चों को भी गणित के टूल्स बनाने के लिए प्रेरित किया और कहा कि ये टूल घर के बेकार सामान से ही बने हों। देहरादून के राजकीय इंटर कॉलेज दूधली में पढ़ा रहे जगदंबा ने बच्चों को साइंस फेयर में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। जिस स्कूल ने कभी इन फेयर में भाग नहीं लिया था अब वही टॉप पर है। छात्रों के लिए बना रहे प्रयोगशाला जगदंबा प्रसाद कहते हैं, 'कई बड़े प्राइवेट स्कूलों के बच्चे भी अब उनके स्कूल में आ रहे हैं।' जगदंबा प्रसाद को 2009 में राज्य स्तरीय सर्वश्रेष्ठ शिक्षक पुरस्कार और 2010 में राष्ट्रपति पुरस्कार मिल चुका है। वह अब कक्षा 9 और 10 के छात्रों के लिए एक गणित प्रयोगशाला बना रहे हैं।
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