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रजनीश कुमार, रुद्रप्रयागबीते दो वर्षों से उच्च हिमालयी क्षेत्र में मानवीय हस्तक्षेप न होने से चमत्कार देखने को मिला है। केदारनाथ के हिमालयी वासुकीताल क्षेत्र में नीलकमल व अन्य दर्जनों किस्म के दुर्लभ फूल खिले हैं। वहीं पहली बार हिमालयी क्षेत्र में सोसरिया फूल भी खिला है। इन दुर्लभ फूलों के खिलने से हिमालयी क्षेत्र की सुंदरता में चार चांद लग गए हैं। कई बीमारियों में रामबाण हैं हिमालयी पुष्प बीते दो वर्षों में हिमालयी क्षेत्र में मानव गतिविधियां कम होने से बुग्याल अपने पुराने स्वरूप में लौटने लगे है। जिससे केदारनाथ धाम से लगभग आठ किमी दूर स्थित वासुकीताल के आस-पास का क्षेत्र नीलकमल, सोसरिया, हेराक्लम, वालिचि, मीठा विष सहित अन्य प्रकार के हिमालयी दुर्लभ फूलों से गुलजार हो गया है जबकि सोसरिया का फूल केदारनाथ के हिमालयी क्षेत्र में पहली बार पाया गया है। वैसे यह फूल चार हजार मीटर की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में खिलते हैं। जानकारों का कहना है कि हिमालयी पुष्प कई बीमारियों के इजाज में रामबाण भी साबित होते हैं। केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग के अधिकारियों ने किया दौरा केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग के डीएफओ अमित कंवर ने बताया कि यात्रियों की आवाजाही हिमालयी क्षेत्रों में होने से इन फूलों का दोहन भी हो सकता है और हिमालय को भी नुकसान पहुंच सकता है। जबकि बीते दो वर्षों से हिमालयी क्षेत्रों में मानव गतिविधियां कम होने के कारण अनेक दुर्लभ प्रजाति के फूल खिले हैं। केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग ने हिमालयी फूल खिलने के बाद वासुकीताल क्षेत्र का निरीक्षण भी कर लिया है।
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