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टिहरी गढ़वाल ट्विटर पर एक ट्रेंड चल रहा है। #RemoveTehriMosque हैशटैग के साथ ट्वीट किए जा रहे हैं। इस हैशटैग के पीछे की लंबी कहानी है। यह जानने के लिए नवभारत टाइम्स ऑनलाइन की ओर से हिमांशु तिवारी ने उत्तराखंड के टिहरी से भारतीय जनता पार्टी के मीडिया प्रभारी प्रमोद उनियाल से बात की है। डॉ. प्रमोद उनियाल कहते हैं कि टिहरी बांध के कामकाज के लिए एक कंपनी आई थी। उस कंपनी के मजदूरों में कुछ लोग मुस्लिम समुदाय से भी जुड़े थे। ये लोग दोबाटा के पास नमाज पढ़ने लगे। कंपनी चली गई और 2006 में झील का पानी बढ़ गया तो दोबाटा का वह क्षेत्र भी लबालब हो गया। टिहरी बांध से संबंधित कामकाज के लिए दूसरी कंपनी आई। अब इस कंपनी के मुस्लिम श्रमिकों ने खांडखाला के नजदीक नमाज पढ़ने की जगह तलाश ली। 'पर्यटन विभाग की है यह जमीन' डॉ. प्रमोद उनियाल ने बताया, 'खांडखाला में नमाज के साथ ही अब टिन शेड डाल दिया गया। इसके साथ ही धीरे-धीरे ज्यादा जगह को घेरा जाने लगा। सवाल यह है कि टिहरी बांध क्षेत्र बहुत संवेदनशील है। इसके बावजूद यहां पर इस तरह से सुरक्षा से खिलवाड़ कैसे किया जा सकता है। जिस जमीन पर टीन शेड डालकर यह अवैध कार्य किया जा रहा है, यह पर्यटन विभाग की है।' '...तो हम खुद इस अतिक्रमण को हटा देंगे' प्रमोद उनियाल ने कहा, 'हमने 20 दिन पहले इस मुद्दे को लेकर प्रदर्शन किया था। यह प्रदर्शन मेरे नेतृत्व में किया गया था। इस संबंध में हमने ज्ञापन दिया। नतीजा यह निकला कि संबंधित विभाग के अधिकारियों ने कहा कि इस अतिक्रमण को हटाया जाएगा। हालांकि, इसका अबतक समाधान नहीं निकला। यदि निष्कर्ष नहीं निकलता है तो हम राष्ट्र सुरक्षा की दृष्टि से इसे खुद ही हटा देंगे।'
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