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हल्द्वानी में मुख्य वन संरक्षक चतुर्वेदी ने पिछले साल फरवरी में कैट की नैनीताल पीठ के समक्ष एक मामला दायर किया था जिसमें संयुक्त सचिव और उससे ऊपर के स्तर के अधिकारियों के लिए 360-डिग्री मूल्यांकन (अप्रेजल) प्रणाली और सरकारी पदों पर निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों की सीधी भर्ती को चुनौती दी गई थी।
केंद्र सरकार के एक आवेदन के आधार पर, कैट के अध्यक्ष ने दिसंबर में आदेश दिया कि मामले की सुनवाई न्यायाधिकरण की दिल्ली पीठ को स्थानांतरित कर दी जाए, जो कर्मचारियों के सेवा मामलों का फैसला करती है।
इस स्थानांतरण आदेश को चतुर्वेदी ने उसी महीने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, जिसने इस मामले में 26 अगस्त तक के लिए अपना आदेश सुरक्षित रखा था।
मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा ने सोमवार को पारित आदेश में कहा, "इस अदालत का मानना है कि संजीव चतुर्वेदी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने और अपने मामले पर बहस करने की अनुमति दी जानी चाहिए।’’
चतुर्वेदी ने अपने हलफनामे में दलील दी थी कि उन्हें न केवल कैट के समक्ष बल्कि अन्य उच्च न्यायालयों के समक्ष और यहां तक कि उच्चतम न्यायालय के समक्ष भी व्यक्तिगत रूप से बहस करने की अनुमति दी गई थी।
अदालत के आदेश में कहा गया है, "प्रथमदृष्टया, यह भी पता चलता है कि संजीव चतुर्वेदी बड़ी संख्या में विवादों में उलझे हुए हैं, जिन्हें वह कई मंचों पर अपने पक्ष स्पष्ट करने और हल करने का प्रयास कर रहे हैं।"
इसमें कहा गया है कि विभिन्न मंचों द्वारा की गई कई टिप्पणियां वास्तव में चतुर्वेदी के पक्ष में हैं। इसमें कहा गया है, ‘‘कानून का उनका ज्ञान, उनके विद्वतापूर्ण तर्क, कानून और तथ्यों के उनके महत्वपूर्ण विश्लेषण की कुछ कानूनी मंचों द्वारा सराहना की गई है, इस प्रकार, संजीव चतुर्वेदी वर्तमान मामले में तथ्यों और कानून दोनों पर बहस करने की स्थिति में हैं।
आदेश में कहा गया है कि उन्हें पेश होने और मामले पर बहस करने की अनुमति दी गई है।
चतुर्वेदी ने अपने पूरक हलफनामे में शीर्ष अदालत के उस फैसले का उल्लेख किया था, जिसके कुछ हिस्सों में लिखा है, "एक स्वाभाविक व्यक्ति, निश्चित रूप से, व्यक्तिगत रूप से पेश हो सकता है और व्यक्तिगत रूप से अपने मामले पर बहस कर सकता है।’’
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि 23 अक्टूबर तय की।
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