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देहरादून, 29 फरवरी (भाषा) रुड़की जल सम्मेलन में कहा गया है कि आर्द्रभूमि को संरक्षित करने के कार्य में तेजी के जरिये गंगा और उसकी सहायक नदियों का संरक्षण किया जा सकता है। रुड़की जल सम्मेलन, 2020 के समापन पर शुक्रवार रात को राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव रंजन ने कहा, ‘‘आर्द्रभूमि सभी परियोजनाओं में महत्वपूर्ण निभाती हैं चाहे निर्मल धारा हो, अविरल धारा हो या नमामि गंगे। आर्द्रभूमि को संरक्षित करने के कार्य में तेजी के जरिये गंगा और उसकी सहायक नदियों के पुनरुद्धार पर एक बड़ा प्रभाव पड़ेगा।’’ नमामि गंगे पर उन्होंने वनीकरण योजनाओं, जैविक और स्थायी खेती के उपायों, आर्द्रभूमि के संरक्षण के माध्यम से भूजल पुनर्भरण पर प्रकाश डाला। रंजन ने कहा कि जलवायु, शहरीकरण, आर्थिक विकास आदि की मौजूदा स्थितियों के आधार पर जल गुणवत्ता मानकों का अद्यतन किया जाना चाहिए। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) और राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान,रुड़की द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस तीन दिवसीय सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन के जल विज्ञान संबंधी पहलुओं पर ध्यान केन्द्रित किया गया।
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