पिथौरागढ़, तीन फरवरी (भाषा) ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मौसम में आए बदलाव तथा सड़क निर्माण कार्यों ने मुनस्यारी इलाके में हिमालयी पक्षियों के शीतकालीन प्रवास को प्रभावित किया है। पक्षी विज्ञानियों का कहना है कि बर्फ की ठंडक से बचकर कम उंचाई वाले क्षेत्रों में जल्द पहुंचने के लिए प्रवासी पक्षी करीब एक पखवाडा पहले ही आ रहे हैं । उत्तराखंड का राज्य पक्षी 'मोनाल' नाम से मुनस्यारी में गैर सरकारी संगठन चलाने वाले सुरेंद्र पंवार ने बताया, ‘'चूंकि पिछले कुछ सालों में हिमालयी क्षेत्रों में बर्फवारी और ठंड पड़ना करीब 15 दिन पहले शुरू हो रहा है ऐसे में हिमालयी पक्षियों, खासतौर पर डार्क ब्रेस्टेड रोज फिंच, स्नो पार्टरिज यलो और रेड फिंचेस आदि ने भी 3000 से 4000 मीटर उंचाई वाले क्षेत्रों में जाने का समय 15 दिन पहले कर लिया है।' हालांकि, पिथौरागढ के वन प्रभागीय अधिकारी विनय भार्गव ने कहा कि मौसम में बदलाव से हिमालयी पक्षियों पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में विभाग के पास कोई आंकड़ा नहीं है और केवल इतना पता है कि जिले में मौजूद पक्षियों की 340 प्रजातियों में से 239 मुनस्यारी क्षेत्र की ही हैं । उन्होंने कहा कि 28 फरवरी से एक मार्च तक मुनस्यारी में पक्षी महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इसमें हिमालयी पक्षियों के आवासीय स्थलों के बारे में पिछले पांच सालों का विवरण इकट्ठा किया जायेगा। इससे मौसम में होने वाले बदलाव का उनके आवासीय आदतों पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में पता चलेगा । प्रवासी पक्षियों के व्यवहार और आवास के बारे में अध्ययन करने वाले पंवार का मानना है कि सड़क निर्माण के कारण कई हिमालयी पक्षियों की प्रजातियां अब बडे झुंडो की बजाय छोटे—छोटे झुंडों में नजर आ रही हैं। इससे संकेत मिल रहा है कि इन गतिविधियों के कारण उनके पारंपरिक खाद्य भंडार कम होते जा रहे हैं । पिथौरागढ़ में रहने वाले पक्षी प्रेमी राम नारायण ने कहा कि अतिक्रमण, असमय बर्फवारी और बारिश ऐसी चुनौतियां हैं, जिनका इन संवेदनशील पक्षियों का सामना करना पड़ रहा है । पंवार के मुताबिक, उच्च हिमालयी क्षेत्रों में रहने वाले पक्षियों के झुंड पहले मार्च और अप्रैल के महीनों में निचली घाटियों में दिखते थे लेकिन अब ये दिसंबर में ही वहां दिखाई देने लगे हैं । उन्होंने बताया कि पूरे साल लगभग 3,500 मीटर की उंचाई पर खलियाटॉप में रहने वाला सत्यिर नाम का परिंदा अत्यधिक ठंड से बचने के लिए अब दिसंबर की शुरूआत में ही 2500 मीटर की उंचाई पर आ पहुंचा है । पंवार ने बताया कि इन पक्षियों को शिकार से बचाने के लिए वह पिछले चार साल से स्थानीय लोगों के बीच जागरूकता कार्यक्रम चला रहे हैं ।
from Uttarakhand News in Hindi, Uttarakhand News, उत्तराखंड समाचार, उत्तराखंड खबरें| Navbharat Times https://ift.tt/2OnlRkO
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें