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नैनीताल, 25 फरवरी (भाषा) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने मंगलवार को वरिष्ठ भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा देवस्थानम अधिनियम की संवैधानिकता को चुनौती देने और उसे समाप्त किये जाने संबंधी दायर याचिका पर आज राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए उससे इस संबंध में अपना जवाब दाखिल करने को कहा है । पिछले साल दिसंबर में राज्य विधानसभा में पारित इस अधिनियम में राज्य सरकार के स्वामित्व वाले एक बोर्ड को चारधाम -- बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री सहित प्रदेश में मौजूद अन्य मंदिरों का प्रबंधन का अधिकार दिया गया है । इन मंदिरों का प्रबंधन अब तक पारंपरिक रूप से पुजारियों के हाथों में था । स्वामी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति रमेश खुल्बे की खंडपीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया तथा राज्य सरकार को तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा । स्वामी ने कल दायर अपनी जनहित याचिका में कहा है कि चारधामों पर अधिकार का उत्तराखंड सरकार का दावा कानूनी रूप से गलत है । याचिका में यह बिंदु भी उठाया गया है कि उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार सरकार द्वारा ऐसा कोई भी अधिकार स्थायी रूप से बनाये नहीं रखा जा सकता । याचिका में स्वामी ने कहा कि पिछले 70 सालों में सरकारों द्वारा मस्जिदों और गिरजाघरों के विपरीत केवल मंदिरों को ही नियंत्रित किया गया है । याचिका में कहा गया है कि वर्तमान सरकार ने भी अपने घोषणापत्र में मंदिरों को सरकारी तंत्र से मुक्त रखने का वादा किया था । उन्होंने कहा कि चारधाम देवस्थानम अधिनियम को निरस्त किया जाना चाहिए ।
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