मंगलवार, 25 फ़रवरी 2020

देवस्थानम ऐक्ट के खिलाफ दायर याचिका में कोर्ट ने पक्षकारों से तीन हफ्ते में मांगा जवाब

नैनीताल उत्तराखंड के विरोध में बीजेपी सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री द्वारा में दायर की गई याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन तथा न्यायमूर्ति रमेश खुल्बे की खंडपीठ में मंगलवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए पूरे मामले में केंद्र सरकार, राज्य सरकार और चारधाम देवस्थानम बोर्ड के सीईओ को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने सभी पक्षकारों को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है। बहस के दौरान सरकार को ओर से महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर, मुख्य स्थायी अधिवक्ता परेश त्रिपाठी मौजूद रहे। सुब्रमण्यन स्वामी ने इस अधिनियम को असंवैधानिक करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी उल्लंघन करार दिया। सुब्रमण्यन स्वामी ने कहा कि 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में साफ कहा है कि सरकार मंदिर का प्रबंधन हाथ में नहीं ले सकती। उन्होंने चारधाम देवस्थानम ऐक्ट रद्द किए जाने की मांग की। सुब्रमण्यन स्वामी ने कोर्ट के समक्ष तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा तमिलनाडु केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है मंदिरों का प्रबंधन स्थायी रूप से नहीं ले सकती है। इसलिए उत्तराखंड सरकार ने 13 जनवरी 2020 को जो ऐक्ट पारित किया, वो संविधान का उल्लंघन करते हुए पारित किया गया। स्वामी ने कहा कि जब तक मामले की सुनवाई जारी है। तब तक किसी भी तरह की कार्रवाई पर रोक लगाई जाए। कोर्ट ने सरकार से इस मामले पर भी जवाब दाखिल करने को कहा है। सरकार ने 13 जनवरी 2020 को चारधाम देवस्थानम ऐक्ट पास किया था, जिसमें 51 मंदिरों को शामिल किया था। इसका पंडा-पुरोहित लगातार विरोध कर रहे हैं। उत्तराखंड सरकार के महाधिवक्ता ने कोर्ट में कहा कि स्वामी ने राजनीति से प्रेरित होकर प्रचार के लिए यह जनहित याचिका दाखिल की है। यह जनहित याचिका नहीं प्रचार और राजनीतिक स्टंट पर आधारित याचिका है। याचिका खारिज हो। कोर्ट ने सरकार से चढ़ावे की रकम का प्रबंधन कैसे किया जाता है, यह भी पूछा। नैनीताल स्थित होटल में पत्रकारों से बातचीत में सुब्रमण्यन स्वामी ने कहा कि 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में साफ कहा है कि सरकार मंदिर का प्रबंधन हाथ में नहीं ले सकती। वित्तीय गड़बड़ी होने पर सरकार अल्पकालिक प्रबंधन ले सकती है लेकिन सुधार के बाद सरकार को प्रबंधन सौंपना होगा। उन्होंने साफ कहा कि मंदिर का संचालन सरकार का काम नहीं बल्कि भक्त और हक हकूकधारियों का है। स्वामी ने कहा कि 70 सालों में सरकारों की ओर से सिर्फ मंदिरों पर नियंत्रण किया गया, मस्जिद और गिरिजाघरों पर नहीं। बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में भी मंदिरों को सरकारी सिस्टम से मुक्त कराने का वादा किया है। उन्होंने कहा कि चारधाम देवस्थानम ऐक्ट किया जाना चाहिए। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने सवाल उठाया कि अधिनियम में मुख्यमंत्री को हेड बनाया गया है। भविष्य में यदि कांग्रेस की सरकार आई तो मंदिरों का क्या हाल होगा, इसकी सिर्फ कल्पना ही की जा सकती है।


from Uttarakhand News in Hindi, Uttarakhand News, उत्तराखंड समाचार, उत्तराखंड खबरें| Navbharat Times https://ift.tt/2TcTkjL

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें