देहरादून, 24 फरवरी :भाषा: उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को प्रदेश में कोई बूचड़खाना न होने के चलते मांस के लिए जिंदा जानवरों और पक्षियों के आयात पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध करने वाली एक याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है । नैनीताल स्थित उच्च न्यायालय में दायर जनहित याचिका में उत्तराखंड में कोई बूचड़खाना न होने का हवाला देते हुए मांस के लिए जिंदा जानवरों और पक्षियों के आयात पर रोक लगाने का आग्रह किया गया है। याचिकाकर्ता के वकील कार्तिकेय हरि गुप्ता ने बताया कि मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आर सी खुल्बे की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को इस मसले पर जवाब दाखिल करने के लिए अगले सोमवार तक का समय दिया है । उन्होंने बताया कि राज्य सरकार पहले ही स्वीकार कर चुकी है कि प्रदेश में कोई वैध बूचडखाना नहीं है । गुप्ता ने कहा, ‘‘जब प्रदेश में कोई बूचड़खाना ही नहीं है तो राज्य में मांस के लिए जिंदा जानवरों और पक्षियों को क्यों लाया जा रहा है ।’’ उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सितंबर, 2018 में जानवरों के खुले में वध पर रोक लगा दी थी । न्यायालय ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने को कहा था कि सभी जानवरों को केवल वैध बूचडखानों में ही काटा जाए ।
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