गुरुवार, 19 सितंबर 2019

उत्तराखंडः हाई कोर्ट ने सुनाया फैसला, सरकारी कर्मचारियों को तीसरे बच्चे पर नहीं मिलेगी मैटर्निटी लीव

देहरादून उत्तराखंड में अब सरकारी महिला कर्मचारियों को तीसरा बच्चा होने पर (मैटरनिटीलीव) नहीं दिया जाएगा। उत्तराखंड सरकार की अपील पर हाई कोर्ट की डबल बेंच ने पिछले साल सिंगल बेंच के फैसले को पलटते हुए यह आदेश जारी किया है। गौरतलब है कि जुलाई 2018 में हाई कोर्ट की एकल पीठ ने मामले पर फैसले देते हुए राज्य सरकार के तीसरे बच्चे पर मातृत्व अवकाश न देने के नियम को खारिज कर दिया था। एकल पीठ का फैसला पलटा कोर्ट ने इसे संविधान के आर्टिकल 42 का हनन बताया था, जिसके तहत महिलाओं को नवजात शिशु की देखभाल के लिए निश्चित अवधि का अवकाश का दिया जाता है और इस दौरान उन्हें पूर्ण वेतन का भुगतान किया जाता है। मंगलवार को एकल पीठ के इस फैसले को पलटते हुए चीफ जस्टिस रमेश रंगनाथन और जस्टिस आलोक कुमार वर्मा की पीठ ने राज्य सरकार की अपील मान ली है। इसके तहत अब राज्य सरकार के कर्मचारियों को दूसरे बच्चे के बाद मैटरनिटीलीव नहीं दी जाएगी। ऊर्मिला मसीह ने डाली थी याचिका हाई कोर्ट ने हल्द्वानी की रहने वाली ऊर्मिला मसीह की याचिका पर सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका पर यह निर्णय दिया है। बता दें कि मसीह एक सरकारी अस्पताल में नर्स हैं और उन्हें अस्पताल ने उनके तीसरे बच्चे की डिलिवरी के बाद मैटरनिटीलीव देने से इनकार कर दिया था। मसीह की छुट्टी फंडामेंटल रूल 153 के दूसरे प्रॉविजन के तहत खारिज की गई थी। राज्य सरकार ने दी थी चुनौती इसी प्रॉविजन के मद्देनजर हाई कोर्ट की एकल पीठ के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने डबल बेंच के सामने याचिका डाली थी। राज्य सरकार के वकील ने बताया कि दो जजों की पीठ ने राज्य सरकार के दावे को स्वीकार करते हुए सिंगल बेंच के फैसले को खारिज कर दिया। यह खबर पढ़ने के लिए यहां करें


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