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हरिद्वार व्यक्तियों के देशभर के विभिन्न श्मशानों से इकट्ठा किए गए 8,296 अस्थि कलशों की अस्थियों को हरिद्वार में विसर्जित किया गया। पूरे वैदिक विधि विधान और वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ 100 किलो दूध की धारा के साथ कनखल स्थित सती घाट पर यह कार्यक्रम हुआ। विश्व सनातन धर्म परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कालिका पीठाधीश्वर महंत स्वामी सुरेंद्रनाथ अवधूत महाराज, श्री देवोत्थान सेवा समिति के अध्यक्ष अनिल नरेंद्र और महामंत्री विजय शर्मा के संयोजन में यह काम किया गया। अस्थियों को विसर्जित करने से पूर्व अस्थि कलशों को बैंड बाजों और झांकियों के साथ शोभायात्रा के रूप में उत्तरी हरिद्वार स्थित निष्काम सेवा ट्रस्ट से सतीघाट तक लाया गया। अस्थि प्रवाह के अवसर पर महंत स्वामी सुरेंद्रनाथ अवधूत ने कहा कि हिंदू धर्म के सोलह संस्कारों में के रूप में मृत्यु के पश्चात अस्थियां में विसर्जित किया जाना भी एक संस्कार में शामिल है। लावारिसों की अस्थियों को गंगा में किया गया प्रवाहित उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि मृत्यु के पश्चात मृतक की अस्थियां गंगा में प्रवाहित किए बिना मृतक आत्मा को मोक्ष प्राप्त नहीं होता है। दुर्भाग्यवश लावारिस अवस्था में मृत्यु को प्राप्त होने वाले लोगों की अस्थियां गंगा में प्रवाहित नहीं हो पाती हैं। ऐसे लावारिस व्यक्तियों की अस्थियों को देशभर के श्मशान से एकत्र करके विधि विधान के साथ गंगा में प्रवाहित करने का अभियान श्री देवोत्थान सेवा समिति के अध्यक्ष अनिल नरेंद्र द्वारा शुरू किया गया। जिसके लिए समिति और समिति के समस्त पदाधिकारी साधुवाद के पात्र हैं। अनिल नरेंद्र ने बताया पिछले 17 वर्ष से चल रहे अभियान के तहत इस वर्ष देशभर के विभिन्न शमशान से एकत्र किए गए 8,296 गंगा में प्रवाहित करने के लिए हरिद्वार लाए गए हैं। जिनमें सिंगापुर से लाए गए अस्थि कलश भी शामिल हैं। अस्थि कलशों को दिल्ली में एकत्र करने के बाद शोभायात्रा के रूप में हरिद्वार लाया जाता है। पहले भी किया जा चुका है उन्होंने बताया कि श्री देवोत्थान सेवा समिति बीते 17 वर्षों में करीब 1,28,493 अस्थि कलशों का वैदिक रीति से गंगा की गोद में विसर्जन कर चुकी है। पाकिस्तान में वर्षों से रखे 295 अस्थि कलशों को भी 2011 और 2016 में भारत लाकर गंगा में विसर्जित किया गया। समिति के महामंत्री एवं अस्थि कलश यात्रा के संयोजक विजय शर्मा ने बताया कि समिति की वरिष्ठ सदस्या बीना बुदकी के अथक प्रयास से सिंगापुर व दुबई से भी करीब 8 अस्थि कलश हरिद्वार लाए गए हैं। महाराष्ट्र और अहमदाबाद से भी कुल 386 अस्थि कलश आए हैं। उन्होंने बताया कि समिति ने पाकिस्तान के बाद दुबई और सिंगापुर में हिंदू भाई-बहनों के अस्थि कलशों को एकत्रित करने की मुहिम भी शुरू की है। हिमाचल प्रदेश से पवन कुमार बंटी के सौजन्य से 312 अस्थि कलश हरिद्वार लाए गए हैं। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के कोठारी महंत जसविन्द्र सिंह ने इस अभियान की सराहना करते हुए कहा कि लावारिस अस्थियों को मां गंगा की गोद मिली है। इस कार्य को करने वाले अवश्य ही पुण्य के भागी बनेंगे। भारत के विभिन्न राज्यों से लावारिस अस्थियों को एकत्र करना बड़ी कठिनाईयों भरा कार्य है लेकिन देवोत्थान समिति के सदस्य निस्वार्थ भाव से इस पुण्य कार्य को अंजाम दे रहे हैं।
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