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करन खुराना, देहरादून उत्तराखंड में बढ़ती कोरोना महामारी को देखते हुए हाई कोर्ट ने राज्य के अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई। जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तराखंड के मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा ने कहा कि कुम्भ के समय हम बड़ी भूल कर चुके हैं। चार धाम की यात्रा के दौरान एसओपी का पालन सख्ती से हो। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सोशल मीडिया पर मैंने जो कपाट खुलने की फोटोज और वीडियो देखी है, उसमें कोविड के नियमों का साफ उल्लंघन देखा जा सकता है। जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी और पर्यटन सचिव दिलीप जावरकर वर्चुअली कोर्ट की कार्यवाही में जुड़े हुए थे। कार्यवाही के दौरान कोर्ट ने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा, 'अर्थशास्त्र में कौटिल्य ने कहा है कि राजा को गद्दी पर बैठकर पता नहीं चलता कि राज्य में कहां, क्या हो रहा है? इसके लिए घूमना पड़ता है।' बेंच ने कहा कि केंद्र सरकार इस बात पर भी विचार करे कि उत्तराखंड का बहुत बड़ा हिस्सा पर्वतीय क्षेत्र है जहां पर निरंतर ऑक्सीजन की सप्लाई की आवश्यकता पड़ेगी। केंद्र पर भी बरसा हाई कोर्ट कोर्ट ने कहा कि ऐसे में राज्य सरकार की ओर से केंद्र को इस संबंध में की गई मांग, जिसमें 10000 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर 10000 ऑक्सीजन सिलेंडर 30 प्रेशर स्विंग ऑक्सिजन प्लांट तथा 200 सीएपी तथा 200 बाइपेप मशीन तथा एक लाख पल्स ऑक्सीमीटर की मांग है, इस पर केंद्र सरकार गंभीरता से निर्णय ले। बेंच ने यह भी कहा कि भवाली में राज्य सरकार तुरंत 100 बेड का कोविड सेंटर स्थापित करे। बेंच ने इस बात पर हैरानी जताई कि केंद्र राज्य सरकार की ओर से भेजे गए पत्रों का जवाब भी नहीं दे रहा है। याचिकाकर्ता अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने बताया कि पिछले साल उनके द्वारा जनहित याचिका दाखिल की गई थी। हर 10 दिन में इसकी सुनवाई होती है। अगली सुनवाई 9 जून को है। इस सुनवाई में मुख्य सचिव उत्तराखंड, स्वास्थ्य सचिव उत्तराखंड को कार्यवाही में मौजूद रहने के आदेश दिए गए है।
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