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उत्तराखंड में अब तक 64 लोग इस रोग से संक्रमित हो चुके हैं जिनमें से चार की जान जा चुकी है।
स्वास्थ्य सचिव पंकज कुमार पांडेय ने कहा कि ब्लैक फंगस या म्यूकोरमाइकोसिस के समन्वित उपचार के लिये इसे अधिसूचित बीमारी घोषित किया गया है क्योंकि कोविड-19 से पीड़ित होने के बाद लोग इस संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं।
अधिसूचित रोग होने पर कानूनन इसकी जानकारी सरकारी अधिकारियों को देनी होती है। सूचना के संग्रहण से अधिकारियों को बीमारी की निगरानी में सहायता मिलती है और इसके प्रसार को लेकर शुरुआती चेतावनी भी मिल जाती है।
प्रदेश सरकार ने शनिवार को ब्लैक फंगस के मरीजों के उपचार में काम आने वाली एम्फोटेरिसिन बी दवा के उचित वितरण के मद्देनजर मानक संचालन प्रक्रिया भी जारी की।
एम्फोटेरिसिन बी दवा सरकारी मेडिकल कॉलेजों, संस्थानों और कोविड समर्पित अस्पतालों को तय प्रारूप में मरीज का नाम, संक्रमण की प्रकृति जैसे विवरण देने तथा आपूर्ति के लिये अनुरोध करने पर भुगतान के बाद दी जाएगी।
मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के मुताबिक रश्मि पंत और कैलाश गुंजयाल को क्रमश: कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्रों के अनुरोधों की जांच के लिये नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।
इसमें कहा गया है है कि मौजूदा एसओपी दवा के समुचित वितरण के लिये 18 मई को जारी किये गए आदेश की जगह प्रभावी होगी।
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