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चमोली उत्तराखंड आपदा में अबतक 58 लोगों की जान जा चुकी है। बचाव अभियान के सदस्य पिछले 10 दिनों से लगातार रात-दिन एक किए हैं, लेकिन अब उनके हाथ सिर्फ लाशें ही लग रही हैं। चमोली, तपोवन सुरंग और रैणी गांव से अब लोगों के शव ही बरामद हो रहै हैं। इस बीच, (स्टेट डिजास्टर रेस्पॉन्स फोर्स)) ने मंगलवार को चमोली के रैणी गांव के पास अर्ली वॉर्निंग सिस्टम लगाया है। इस सिस्टम में वाटर सेंसर लगे हुए हैं। नदी का जल स्तर बढ़ने पर यह लोगों को सतर्क कर देगा। इस वॉर्निंग सिस्टम की मदद से आपदा की स्थिति पर नुकसान को कम से कम किया जा सकता है। एसडीआरएफ की एक टीम ने नदी किनारे इस अर्ली वार्निंग सिस्टम को लगा दिया है। टीम इस पर लगातार नजर रखेगी। नदी का जलस्तर बढ़ने पर यह सिस्टम अलार्म के जरिये गांववालों को सूचना दे देगा। इससे समय रहते लोगों की जान बचाई जा सकती है। ऋषिगंगा नदी के ऊपर झील मिलने से फिर फैला डर गौरतलब है कि चमोली में आपदा लाने वाली ऋषिगंगा नदी के ऊपरी क्षेत्र में एक झील बनने से लोगों में फिर से डर का माहौल पैदा हो गया है। सेटेलाइट से मिली फोटो में ऋषिगंगा नदी के उपर झील के बनने की पुष्टि होने के बाद लोगों को सावधान रहने की अपील की गई है। यह झील 400 मीटर लंबी है, लेकिन इसकी गहराई के बारे में अभी अनुमान नहीं है। हाल में हुए हिमस्खलन से बनी झील! वाडिया इंस्टिटयूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक कलाचंद साई ने बताया कि संस्थान के वैज्ञानिकों के एक दल ने रविवार को आई आपदा के अगले दिन ऋषिगंगा के उपरी क्षेत्र के हवाई सर्वेंक्षण के दौरान वहां एक झील देखी। उन्होंने कहा कि झील का निर्माण संभवत: हाल में हुए हिमस्खलन के कारण हुआ होगा। साई ने बताया कि हमारे वैज्ञानिक झील के आकार, उसकी परिधि और उसमें मौजूद पानी की मात्रा का परीक्षण कर रहे हैं जिससे यह पता लगाया जा सके कि इससे खतरा कितना बड़ा और कितना तात्कालिक है।
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