मंगलवार, 16 फ़रवरी 2021

Kedarnath Tragedy: 'मुझे अब भी इंतजार'...उम्मीद जिंदा! हर साल वह कानपुर से आता है केदारनाथ

प्रशांत झा, नैनीतालसौरभ भट्ट की उम्मीद अभी जिंदा है। 500 किमी की दूरी तय करके हर साल वह कानपुर से केदारनाथ आते हैं। 2013 से हर साल वह ऐसा कर रहे हैं। यह वही खौफनाक साल था, जब सौरभ अपनी पत्नी रश्मि और 9 साल की बेटी आस्था के साथ चार धाम यात्रा के रास्ते में थे। उसी वक्त जलप्रलय आई और अपने साथ हजारों जिंदगियों को बहा ले गई। अब तक सौरभ को पता नहीं है कि उनके परिवार का क्या हुआ। इसलिए वह हर साल अपने परिवार की तलाश में यहां पहुंच जाते हैं। कानपुर से हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को सौरभ ने बताया, 'अपने परिवार को खोना बहुत बड़ा सदमा होता है। लेकिन उनके साथ क्या हुआ अगर यह नहीं जानना मुझे तोड़ देता है।' भट्ट पुलिस थानों और जिले के दफ्तरों के चक्कर काटते रहते हैं। वह स्थानीय लोगों से किसी सुराग की आस में बात करते हैं। सौरभ बताते हैं, 'मैं केवल उन पर छोड़ नहीं सकता।' भट्ट की ही तरह सैकड़ों लोग तकरीबन 8 साल पहले आई उस त्रासदी के बाद अनिश्तितता के भंवर में फंसे हुए हैं। 2014 में उत्तराखंड हाई कोर्ट में एक पीआईएल (जनहित याचिका) दाखिल की गई थी। इसमें राज्य सरकार को लापता शवों की सुनिश्चितता के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी। अनुमान के मुताबिक तकरीबन 4 हजार लापता लोगों को मृत मान लिया गया था। 2018 में हाई कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से लापता लोगों के शव मिलने पर डीएनए सैंपल इकट्ठा करने और उनके दाह संस्कार के निर्देश दिए थे। भट्ट कहते हैं, 'मैं अपने डीएनए सैंपल मुहैया कराए थे लेकिन परिवार के बारे में कोई खबर नहीं मिली।' 2019 में भट्ट ने घोषणा की कि जो भी उनकी पत्नी और बेटी के बारे में जानकारी देगा, उसे 5 लाख रुपये का इनाम देंगे। भट्ट कहते हैं, 'मुझे अब भी इंतजार है।' 900 से ज्यादा परिवारों ने जिला प्रशासन को अपने डीएनए सैंपल मुहैया कराए हैं लेकिन उनमें से बहुत कम ही मैच हुए हैं। इस बीच लापता शवों का पता लगाने को लेकर राज्य सरकार की प्रगति बहुत धीमी है। पिछले साल अक्टूबर तक सिर्फ 700 से ज्यादा शवों का पता चल पाया है। इस आंकड़े के आधार पर अभी 3300 से ज्यादा लोग लापता हैं। सिर्फ 2019 को छोड़कर हर साल लापता लोगों की तलाश में टीमें भेजी गईं। 2013 में 545 शवों का पता चला। वहीं, 2014 में सर्च टीम को 63 लापता लोगों के शव मिले। लेकिन अगले साल सिर्फ 3 शव मिले। 2016 में सर्च के दौरान 60 लापता लोगों के शव मिले। वहीं 2017 में सिर्फ 7 लापता लोगों के शव का पता चल पाया। अगले साल यानी 2018 में 21 लापता लोगों के शव बरामद हुए। 2019 में ऐसा कोई सर्च ऑपरेशन नहीं चलाया गया। वहीं, पिछले साल सिर्फ 4 लापता लोगों की डेड बॉडी मिली।


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