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तपोवन उत्तराखंड के आपदाग्रस्त क्षेत्र में एनटीपीसी की तपोवन—विष्णुगाड परियोजना की मलबे और गाद से भरी सुरंग में फंसे लोगों के शव बरामद होने के साथ ही माहौल गमगीन होता जा रहा है। रविवार को के बाहर अपनों से फिर से मिलने की उम्मीद में बैठे लोगों को उस वक्त जोर का झटका लगा, जब बचाव दल एक के बाद एक शव को बाहर लेकर आने लगे। लोग यह देखते ही सहम गए कि कहीं यह हमारे अपने न हों। अपनी उम्मीदों को टूटता देख लोगों के चेहरों पर उदासी छा गई। पिछले सात दिनों से बच्चे के जीवित लौटने की आस में बैठे हैं अपने पिछले एक सप्ताह से सेना, भारत तिब्बत सीमा पुलिस, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल और राज्य आपदा प्रतिवादन बल द्वारा चलाए जा रहे संयुक्त बचाव और तलाश अभियान में रविवार से अभी तक कुल नौ शव सुरंग से निकाले जा चुके हैं। गौरतलब है कि सात फरवरी को आपदा के वक्त सुरंग में काम कर रहे 25—35 लोग वहां फंस गए थे। सुरंग में लापता चमोली जिले के सोनी गांव निवासी इलेक्ट्रिशियन सतेश्वर पुरोहित के पिता और ससुर पिछले सात दिनों से तपोवन में अपने बच्चे के जीवित लौटने की आस में यहां बैठे हैं। एक सप्ताह से ज्यादा चला तपोवन सुरंग का रेस्क्यू 1.6 किमी तपोवन सुरंग का दुर्गम रेस्क्यू एक सप्ताह से ज्यादा चला। रविवार सुबह 5 बजे जब बचाव दल 125 मीटर अंदर तपोवन सुरंग में पहुंचा तो वहां एक शव दिखाई दिया। जब आगे बढ़कर और देखा तो मलबे के नीचे बचाव दल को कुछ शव और दिखाई दिए। बचाव दल शवों को लेकर बाहर आया तो पहले से ही सुरंग के बाहर मौजूद लोगों की आंखें फटी की फटी रह गईं। लोगों की अपनों के जिंदा आने की उम्मीद टूट चुकी है। 'अब मैं अपने घर वालों को क्या बताऊंगा' सहारनपुर के सूरज पुंडीर ने कहा कि उनके भाई आलम पुंडीर प्रोजेक्ट साइट पर इलेक्ट्रिशियन का काम करते थे। उन्होंने कहा कि मुझे अधिकारियों ने भाई के शव की शिनाख्त करने के लिए बुलाया है। मेरे भाई की 5 बेटियां हैं। सबसे छोटी 8 महीने की है। अब मैं अपने घर वालों को क्या बताऊंगा। 'जब सुरंग से शव निकलने लगे तो मेरे पैर कांपने लगे' वहीं, सहारनपुर के ही रहने वाले इंजीनियर सादिक अली के पिता ने कहा कि हम सात दिनों से इस आशा पर जी रहे थे कि हम फिर से अपनों के साथ होंगे। लेकिन जब सुरंग से शव निकलने लगे तो मेरे पैर कांपने लगे। अब शवगृह पर अपने बेटे के शव की पहचान भी करनी होगी। गोरखपुर से अपनों की तलाश में पहुंचे उदय गोरखपुर से आए उदय भान पिछले 6 दिनों से अपने परिवार के दो सदस्यों को खोज रहे हैं। अपनों की तलाश में उनकी आंखे पथरा गईं। उन्होंने कहा कि कभी भी घर से फोन आ जाएगा और सदस्यों के बारे में घर के लोग पूछेंगे तो क्या जवाब देंगे। 'लोगों के दिलों में एक उम्मीद थी' बचाव दल ने एक अस्थायी शवगृह बनाया था। शवगृह पर ड्यूटी पर तैनात एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि हम रविवार से तपोवन सुरंग में फंसे लोगों के परेशान चेहरे देख रहे हैं। उन लोगों के दिलों में एक उम्मीद थी कि वे अपनों के साथ एक बार फिर से मिलेंगे। लेकिन उनकी उम्मीद को टूटते देख हमें भी बेहद दुख हो रहा है।
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