गुरुवार, 11 फ़रवरी 2021

Uttarakhand Glacier Burst: रैणी गांव के ऊपर हो सकती है एक और झील, नदी का जलस्तर बढ़ने के बाद एक्सपर्ट ने जताई संभावना

देहरादून उत्तराखंड के चमोली जिले में आपदा के बाद अभी सब कुछ सामान्य नहीं हुआ है। गुरुवार को अचानक ऋषिगंगा नदी के जलस्तर बढ़ने के बाद एक्सपर्ट संभावना जता रहे हैं कि के उपर एक और झील हो सकती है। हालांकि, साफ तौर पर इसके बारे में अभी नहीं कहा जा सकता। संभावना है कि यह पानी उसी झील से नदी में आया होगा। वैज्ञानिकों के अनुसार, संभव है कि रैणी गांव के उपर फिर से एक और झील बन गई है। इस दौरान ना तो उस क्षेत्र में बारिश हुई है और न ही हिमपात हुआ है। ऐसे में स्पष्ट तौर पर कुछ कहना मुश्किल है। वैज्ञानिकों के लिए पहले ही आपदा के समय आया इतना अधिक पानी कुछ घंटों बाद तक पहेली बना हुआ था। वाडिया इंस्टिट्यूट के एक्सपर्ट के अनुसार हमारी टीम अभी मौके पर है। हम सभी संभावनाओं की जांच कर रहे हैं। अभी तक यही संभावना है कि एक और झील मौजूद है, जिसकी वजह से यह पानी नदी में आया है। वाडिया इंस्टिट्यूट ऑफ हिमालयन जीयोलॉजी के ग्लेशियोलॉजी ऐड हाइड्रोलॉजी के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. संतोष के राय के अनुसार, चमोली आपदा की तीन वजह सामने आ रही हैं। ग्लेशियर का कुछ हिस्सा 6000 से अधिक की ऊंचाई से टूट कर गिरा। इसके अलावा सैटेलाइट इमेज से पता चला है कि दो फरवरी को यहां बर्फ काफी कम थी। लेकिन पांच फरवरी को बर्फ अधिक थी। हादसा सात फरवरी को हुआ। ऐसे में बर्फ के वजन और ग्रेविटी की वजह से ग्लेशियर टूटकर नीचे गिरा होगा। हालांकि, इतनी जल्दी बर्फ पिघल तो नहीं सकती, लेकिन घर्षण के कारण काफी तेजी से पिघली होगी। यही पिघलकर पानी बनी होगी और दो किलोमीटर तक नीचे आई। तीसरा पहलू यह है कि कुछ कुछ ग्लेशियर लेक इन जगहों पर हैं, लेकिन इसकी पुष्टि कम है। बड़ी संख्या में कोल्ड वॉटर मछलियां मरीं आपदा में न सिर्फ इंसानी जिंदगियां गईं, बल्कि पानी में रहने वाली प्रजातियों की भी मौत हुई है। आपदा से धौलीगंगा, ऋषि गंगा, अलकनंदा में पाई जाने वाली कोल्ड वॉटर मछलियां भी बड़ी संख्या में मर गई हैं। भारतीय वन्यजीव संस्थान के अनुसार, आपदा के प्रभाव से ऋषि गंगा, धौलीगंगा और अलकनंदा आदि नदियों में भारी हलचल हुई। इससे मछलियों की लेटरल लाइन टूट गई। मछलियों की लेटरल लाइन बेहद संवेदनशील होती हैं और मछली इसी लाइन के जरिए पानी के भीतर अपना संतुलन कायम रखती हैं। वहीं, प्राकृतिक आपदाओं के बाद नदियों में बड़े पैमाने पर मलबा भी आता है। हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाने वाली मछलियां ठंडे पानी की मछलियां होती हैं और वे बेहद साफ-सुथरे पानी में ही रहने की आदी होती हैं। प्राकृतिक आपदा के बाद नदियों में तेज हलचल के साथ ही पानी बेहद गंदा हो जाता है। ऐसे में इनका जीवन संकट में पड़ जाता है।


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