![](https://navbharattimes.indiatimes.com/photo/81002081/photo-81002081.jpg)
देहरादून उत्तराखंड आपदा को आए 10 दिन बीत चुके हैं। दिन बीतने के साथ ही बचावकर्मियों को लोगों के शव भी लगातार मिलते जा रहे हैं। अब तक चमोली, तपोवन और रैणी में कुल मिलाकर 58 शव मिल चुके हैं। बचाव में जुटे एनडीआएफ और एसडीआएफ की टीम के सामने सबसे बड़ी समस्या इन शवों की पहचान करने की आ रही है। मलबे से जो शव निकाले जा रहे हैं, वे या तो इतने क्षत विक्षत हैं या फिर सड़ने की कगार पर हैं कि उनकी पहचान करना मुश्किल हो गया है। तपोवन सुरंग में जब भी कोई शव मिलता है, तब बचाव अभियान को कुछ देर रोकना पड़ता है जिससे क्षत-विक्षत शव को और ज्यादा नुकसान न पहुंचे। गौरतलब है कि इस दैवीय आपदा में कुल 206 लोग गायब हैं। आशंका जताई जा रही है कि इनमें से अधिकतर लोगों की जान जा चुकी है। इस बीच, एनडीआरएफ के कमांडेंट पीके तिवारी कहना है कि आपदा प्रभावित जलविद्युत परियोजना स्थलों पर तलाश और बचाव अभियान अंतिम पीड़ित तक पहुंचने तक जारी रहेगा क्योंकि ‘चमत्कार होते हैं।’ आपदा में लापता या फंसे लोगों के जीवित बचने की संभावनाओं के संबंध में पूछे जाने पर कमांडेंट तिवारी ने कहा कि इस बारे में वह विश्वास से कुछ नहीं कह सकते लेकिन ‘चमत्कार होते हैं।’ 'हिमाचल में 10 दिन बाद मिला था जीवित शख्स' कमांडेंट तिवारी ने बताया, ‘हिमाचल प्रदेश में इसी तरह की एक त्रासदी में हमें 10 वें दिन एक जीवित व्यक्ति मिला था। चमत्कार होते हैं। सुरंग में लाखों मीट्रिक टन गाद भरी हुई है। लेकिन एक सिपाही और एक बचावकर्मी के रूप में मैं केवल इतना कह सकता हूं कि अंतिम पीड़ित तक पहुंचने तक अभियान जारी रहेगा।’ एनटीपीसी के क्षतिग्रस्त 520 मेगावॉट तपोवन-विष्णुगाड जलविद्युत परियोजना की तपोवन सुरंग में फंसे लोगों को निकालने के लिए जारी तलाश और बचाव को अनोखा बताते हुए तिवारी ने कहा कि गाद और मलबा साफ करने की कवायद में अगर एक साल नहीं तो कम से कम महीनों लग सकते हैं। '4 किमी लंबी सुरंग में 165 मीटर तक ही पहुंचे हैं बचाव दल' एनडीआरएफ के कमांडेंट ने कहा-‘सुरंग चार किलोमीटर लंबी है। हम इसके अंदर 160-165 मीटर तक पहुंचे हैं और उसके आगे जाना है। निर्माण में आठ-दस साल लेने वाली सुरंग से मलबा साफ करने में एक साल नहीं तो महीनों तो लग ही सकते हैं।’ इनटेक आडिट टनल के समानांतर स्थित निचली सुरंग में छेद करने के बारे में तिवारी ने कहा कि कैमरे की मदद से फंसे हुए लोगों को ढूंढने की उम्मीद में छेद किया जा रहा था। इनटेक आडिट टनल से ही शव बरामद हो रहे हैं। तिवारी ने कहा कि हालांकि बाद में यह अहसास हुआ कि जिस सुरंग में 25-35 व्यक्तियों के फंसे होने की आशंका है, वह भी गाद और मलबे से बुरी तरह भरी पड़ी है।
from Uttarakhand News in Hindi, Uttarakhand News, उत्तराखंड समाचार, उत्तराखंड खबरें| Navbharat Times https://ift.tt/2Nfzqpb
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें