शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2021

Uttarakhand Glacier Burst: तपोवन सुरंग के बगल से बचाव दल ने किया लंबा ड्रिल, अब फंसे लोगों को निकलने की उम्मीद

देहरादून उत्तराखंड में आई आपदा के बाद, तपोवन हाइडल परियोजना की एक सुरंग के अंदर फंसे 34 लोगों को बचाने का प्रयास लगातार जारी है। भूमिगत सुरंग में गाद और मलबे से घुसने में आ रही परेशानी के चलते बचाव दल ने अब दूसरा रास्ता निकाला है। सुरंग के समानांतर ड्रिल किया गया है। अब उम्मीद है कि इसके जरिए बचाव दल अंदर फंसे पुरुषों को निकाल सकता है। तपोवन टनल के अंदर से ड्रिलिंग का काम फिर शुरू कर दिया गया है। टनल में मलबा हटाकर पहुंचने की बजाय 72 मीटर अंदर ड्रिलिंग की योजना है। 13 मीटर नीचे तक छेद करके अंदर कैमरा डालकर और नीचे से गुजर रही दूसरी टनल में वर्कर्स के सुरक्षित होने का पता लगाया जाएगा। कैमरा डालने में आ रही तकनीकि दिक्कत आईटीबीपी के प्रवक्ता विवेक पाण्डेय ने बताया कि हमने शुक्रवार शाम को सिल्ट फ्लशिंग टनल में ड्रिल करके 75 मिमी-चौड़ा और 12 मीटर लंबा होल कर लिया है। अच्छा संकेत यह है कि इसमें कोई दबाव या गाद का दबाव नहीं देखा गया। हालांकि, हम तकनीकी कठिनाइयों के कारण सिल्ट फ्लशिंग सुरंग में कैमरा नहीं डाल पाए हैं। एनडीआरएफ, सेना और आईटीबीपी के जवानों के साथ रेस्क्यू टीम रात भर काम करेगी। विवेक पाण्डेय ने बताया कि ड्रिलिंग मशीन से ड्रिल किया गया है। हमें उम्मीद है कि 250-300 मिमी व्यास में बोर होल मिल जाएगा। घुमाव पर लोगों के फंसे होने की आशंका प्रवक्ता ने बताया कि मुख्य सुरंग के मुहाने से लगभग 180 मीटर की दूरी पर एक कर्व (घुमाव) है। माना जाता है कि बाढ़ के कारण सुरंग के जरिए निकलने वाली गाद की गति इसी कर्व पर आकर धीमी हो गई है। हो सकता है कि फंसे लोग इसी जगह पर फंसे हों। यह थी योजना लेकिन बदलनी पड़ी मूल योजना यह थी कि सुरंग के सीधे इस बिंदु तक एक मार्ग बनाया जाए। लेकिन यह सफल नहीं हो पाया। दलदल से भरी सुरंग, जिसमें पानी बहता रहता है और मलबे को हटाने के लिए जो काम चल रहा है, उसे पहले की तरहत करना मुश्किल हो गया और केवल 100 मीटर का रास्ता ही साफ हो सका। इसलिए, बुधवार को बचाव दल ने ड्रिलिंग की योजना बनाई।


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