गुरुवार, 11 फ़रवरी 2021

Chamoli Glacier Burst News: उत्तराखंड के CM रावत बोले- 'बिजली प्रॉजेक्ट ने तो तबाही को बढ़ने से रोका'

देहरादून उत्तराखंड के चमोली जिले में 7 फरवरी को ग्लेशियर के कारण आई आपदा ने देश ही नहीं दुनिया को हिलाकर रख दिया। इसकी 2013 की केदारनाथ आपदा से तुलना हुई तो पहाड़ों पर हाइड्रो प्रॉजेक्ट के नुकसान, क्लाइमेट चेंज के असर पर भी बहस छिड़ी। इस सब पर राज्य के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का क्या कहना है, यह जानने की कोशिश की देहरादून में महेश पांडे ने। बातचीत के प्रमुख अंश : सवाल: आपदा की जानकारी मिलते ही आपने क्या किया?जवाब: नदी किनारे के क्षेत्रों को खाली कराया और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। श्रीनगर बांध के पानी को धीरे-धीरे खाली कराया और हरिद्वार के बैराज भी खाली किए गए जबकि टिहरी बांध से आने वाली धारा रोकी गई ताकि गंगा का प्रवाह न बढ़े। सवाल: ग्लेशियर टूटकर गिर सकता है, ऐसा कोई इनपुट पहले से था?जवाब: किसी को कोई जानकारी नहीं थी। आपदा का कारण ताजा बर्फ बनी। हैंगिंग ग्लेशियर के टूटने और चट्टान खिसकने से यह तबाही शुरू हुई। इस इलाके को कभी भी किसी वैज्ञानिक ने एवलांच जोन नहीं बताया था। सवाल: कुछ लोग कहते हैं, यहां बिजली परियोजना न होती तो आपदा न आती।जवाब: यह कहना बिलकुल सही नहीं। यहां जो दो परियोजनाएं थीं, उनमें रन ऑफ द रिवर की अवधारणा से बिजली पैदा करने की योजना थी। उनमें बने बैराज मात्र पानी का रुख सुरंग की ओर मोड़ने के लिए बने थे। तपोवन विष्णुगाड परियोजना के बैराज ने तो गाद, मिट्टी और पानी के वेग और दबाव को अपने में लेकर इसे आगे बढ़ने से रोका। सवाल: क्या ऐसी घटनाएं रोकने के लिए अर्ली वॉर्निंग सिस्टम बन सकता है?जवाब: ऐसा अभी संभव नहीं है। एकाध संस्थान सैटलाइट के जरिए ऐसे अर्ली वार्निंग के लिए काम करते हैं जिसका शुल्क एक करोड़ प्रति साल तक है। मैंने चीफ सेक्रेटरी को निर्देश दिया है कि हम ये पैसा संस्थान को दे सकते हैं, अगर वह यह काम करे। सवाल: क्या सरकार जल विद्युत नीति में कोई बदलाव करेगी?जवाब: इस हादसे का जल विद्युत योजनाओं से कोई संबंध नहीं। सुरक्षा के लिए ऐहतियात जरूर बढ़ाई जा सकती है। जो गांव आपदा से कट ऑफ हुए हैं, उनमें खाद्य सामग्री और संपर्क बहाली की जा रही है। सवाल: क्या आपदा का असर कुंभ मेले या चारधाम यात्रा पर पड़ेगा?जवाब: कुंभ मेला और चारधाम यात्रा पर इसका कोई असर नहीं होगा।


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