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देहरादून वैदिक परंपरा के अनुसार मंगलवार को दशहरे के दिन उत्तराखंड के चारों धामों के बंद करने का समय तय किया गया। भगवान बद्रीविशाल के मंदिर के कपाट 17 नवंबर को शाम पांच बजकर 13 मिनट पर बंद होंगे। भगवान धाम के कपाट आगामी 29 अक्टूबर को भैयादूज के दिन सुबह 8.30 बजे शीतकाल के लिए अगले छह माह के लिए बंद कर किए जांएगे। मां गंगा के धाम में मां गंगा की भोग मूर्ति 28अक्तूबर को अन्नकूट पर्व के अवसर पर शीतकाल तक के लिए यहां से गंगा के मायका माने जाने वाले मुखबा में स्थापित करने के लिए ले जाई जाएगी, जहां शीतकाल भर गंगा कि भोग मूर्ति की पूजा वहीं की जाएगी। गंगोत्री धाम के कपाट दीपावली के अगले दिन 28 तारीख अन्नकूट पर्व के अवसर पर सुबह 11 बजकर 40 मिनट में बंद किए जाएंगे। यमुनोत्री धाम के कपाट 29 अक्टूबर को भैया दूज के पर्व के दिन बंद किए जाएंगे। इसके बाद मां यमुना की उत्सव मूर्ति को उनके मायके खरसाली गांव में स्थापित किया जाएगा। यमुनोत्री धाम के लिए अभी पंचांग की गणना के बाद कपाट बंद होने का समय एवं शुभ मूहुर्त को निकाला जाएगा। 29 अक्तूबर की सुबह कपाट बंद होने के बाद केदार बाबा की चल विग्रह डोली रात्रि प्रवास को रामपुर को प्रस्थान करेगी। 30 अक्टूबर को गुप्तकाशी में रात्रि प्रवास करेगी। इसके बाद 31 अक्टूबर को बाबा केदारनाथ अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान होंगे। 6 नवंबर को पूर्वाह्न 11.30 बंद तृतीय केदार तुंगनाथजी के कपाट बंद होंगे। 21 नवंबर को द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर के कपाट बंद होंगे। बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के प्रवक्ता के अनुसार मंगलवार की सुबह 9.39 बजे पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में आयोजित समारोह में पंचांग गणना के आधार पर केदारनाथ धाम के कपाट बंद करने का समय तय किया गया। बाबा केदार की पंचमुखी भोगमूर्ति के चल विग्रह उत्सव डोली में शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकोरश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचने का कार्यक्रम भी इसी गणना में तय किया गया। इस मौके पर द्वितीय केदार मद्महेश्वर मंदिर के कपाट बंद होने की तिथि एवं डोली का कार्यक्रम और मद्महेश्वर मेला तिथि की घोषणा भी हुई। मार्कण्डेय मंदिर मक्कूमठ में तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद करने और और बाबा की डोली के शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ में आने की तिथि भी घोषित की गई।
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