गुरुवार, 3 जून 2021

चीन बॉर्डर से लगे गांवों में नेटवर्क बना बड़ी समस्या, बच्चों की ऑनलाइन क्लास में पड़ी खलल

मुनस्यारी हरीश आठवीं क्लास में पढ़ता है। हरीश का गांव नामिक, चीन बॉर्डर से लगा हुआ है। कोरोना कर्फ्यू की वजह से स्कूल बंद हैं और पढ़ाई ऑनलाइन चल रही है। कायदे से तो यह ऑनलाइन पढ़ाई घर बैठे होनी चाहिए लेकिन हरीश को ऑनलाइन पढ़ाई के लिए घर से करीब पांच किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। पहाड़ों के बीच में खुले आसमान के नीचे पढ़ाई करने वाला हरीश अकेला नहीं है। चीन बॉर्डर पर बसे ऐसे कई गांव हैं जहां बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई के कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में चीन बॉर्डर के पास बसे गांवों में मोबाइल नेटवर्क नहीं है। किसी गांव में 2 किलोमीटर दूर पर तो किसी में 5 किलोमीटर दूर पर मोबाइल सिगनल पकड़ता है। मुनस्यारी तहसील का हिस्सा नामिक गांव में कुछ वक्त पहले ही मोबाइल सिगनल पकड़ने लगा। मोबाइल नेटवर्क न होने की वजह से छात्र परेशान गांव वाले बताते हैं कि कुछ वक्त पहले जब दिल्ली से कोई आया और मोबाइल पर गाना सुनते सुनते एक पॉइंट पर उसके फोन पर रिंग आई, तब पता चला कि इस जगह पर मोबाइल नेटवर्क पकड़ता है। यह जगह गांव से पांच किलोमीटर दूर है। तब से यह गांव वालों का मोबाइल पॉइंट बन गया। गांव वालों को जब भी मोबाइल पर बात करनी होती है तो वह पांच किलोमीटर दूर इस पॉइंट पर आते हैं। अब ऑनलाइन क्लास के लिए बच्चों को भी इसी पॉइंट पर आना पड़ रहा है। बच्चे घर से कई किलोमीटर दूर जाकर पढ़ने को मजबूर नामिक गांव के ज्यादातर बच्चे पढ़ाई करने या तो पिथौरागढ़ या फिर मुनस्यारी में किराए में कमरा लेकर रहते हैं। लॉकडाउन की वजह से उन्हें अपने गांव वापस जाना पड़ा। ऑनलाइन पढ़ाई के लिए अब यह पहाड़ों के बीच खुले आसमान के नीचे जाकर बैठते हैं। गांव के 30 से ज्यादा बच्चे इसी तरह पढ़ाई कर रहे हैं। नामिक की आबादी करीब 1400 है। यह मुनस्यारी तहसील से 54 किलोमीटर दूर है, जिसमें से 32 किलोमीटर तक तो सड़क है लेकिन 22 किलोमीटर पैदल चलकर ही नामिक तक पहुंचा जा सकता है। नेटवर्क न होने का मसला संसद में भी उठ चुका है अल्मोड़ा- पिथौरागढ़ संसदीय क्षेत्र के बीजेपी सांसद अजय टम्टा इसे लोकसभा में उठा चुके हैं। चीन और नेपाल बॉर्डर से लगा होने की वजह से ये इलाका सामरिक दृष्टि से भी अहम हैं। भारतीय सेना भी कई बार चीन बॉर्डर के पास बसे गांवों में मोबाइल नेटवर्क न होने का मुद्दा उठा चुकी है। सेना का मानना है कि नेटवर्क कनेक्टिविटी होने से गांव वाले भारतीय सेना के लिए मददगार साबित हो सकते हैं। लेकिन सरकार की तरफ से यह कहा गया कि कम आबादी के लिए मोबाइल टावर लगाने और बाकी सुविधाएं विकसित करने का खर्चा ज्यादा है और उसका इस्तेमाल कम। दूसरी तरफ चीन लगातार लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के पास कनेक्टिविटी बेहतर कर रहा है। ईस्टर्न लद्दाख में एलएसी के पास चीन 5 जी नेटवर्क स्थापित कर रहा है।


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