इन उफनायी नदियों ने कई जगह सड़क मार्ग क्षतिग्रस्त कर दिए हैं जिससे उन पर आवाजाही बंद हो गयी है। इसके अलावा, नैनीताल, अल्मोड़ा और अन्य पहाड़ी क्षेत्रों में पहाड़ों से भूस्खलन होने से दर्जन भर मकानों को नुकसान भी पहुंचा है।
राज्य आपदा प्रबंधन केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार, गंगा और सहायक नदियां जैसे अलकनंदा, पिंडर, मंदाकिनी, नंदाकिनी, सरयू और काली, खतरे के निशान के आसपास बह रही हैं और उनके किनारे बसे गांवों के निवासियों से सतर्कता बरतने तथा सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए कहा गया है।
ऋषिकेश में गंगा का जलस्तर सुबह खतरे के निशान तक पहुंच गया। देहरादून के समीप डाकपत्थर में यमुना नदी भी खतरे के निशान के करीब बह रही थी।
पिछले 24 घंटों में हरिद्वार में 89 मिमी, कर्णप्रयाग में 66 मिमी, गैरसैंण में 56 मिमी, अल्मोड़ा और रानीखेत में 50—50 मिमी, टिहरी में 28 मिमी तथा देवप्रयाग में 47.50 मिमी वर्षा रिकार्ड की गयी है। मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में प्रदेश के अनेक स्थानों पर भारी वर्षा की चेतावनी दी है।
ऋषिकेश—केदारनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग कालीमठ गेट के पास और ऋषिकेश— बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग लामबगड के पास भूस्खलन से अवरूद्ध है जिन्हें खोलने का प्रयास किया जा रहा है।
इसके अलावा, प्रदेश भर में जगह—जगह दर्जनों मार्ग पहाड़ों से मलबा आने से बंद हो गये हैं जिनके कारण सामान्य जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है।
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